RAISEN. रायसेन में द सूत्र की खबर का असर हुआ है। वन विभाग ने महादेव पानी के रास्ते में बना अवैध नाका बंद कर दिया है। अब महादेव पानी परिसर में ही काउंटर से टिकट काटी जा रही है। वन विभाग ने ईको टूरिज्म के नाम पर कई गांवों का रास्ता रोक लिया था और वन समिति के नाम से अवैध वसूली की जा रही थी। महादेव पानी के नाम पर गोपीसुर, गोपीसुर सतकुंडा, नयापुरा, अगरिया सहित अन्य गांवों में जाने के लिए लोगों से टिकट और पार्किंग की वसूली की जा रही थी। द सूत्र ने वन विभाग के अवैध नाके के कारनामे का खुलासा किया था, इसके बाद अधिकारियों के कान खड़े हो गए थे और उन्होंने अवैध नाके को हटा दिया।
द सूत्र ने किया था अवैध वसूली के खेल का खुलासा
रायसेन में महादेव पानी पिकनिक स्पॉट के नाम पर ग्राम गोपीसुर सतकुंडा के मुख्य सड़क मार्ग पर एक नाका वन विभाग द्वारा लगाकर लोगों से अवैध वसूली की जा रही थी। द सूत्र को जब इस मामले की खबर लगी तो हमने मौके पर जाकर ग्रामीणों और यहां से निकलने वाले लोगों के साथ हो रही जबरिया वसूली के पूरे मामले को सामने रखा। द सूत्र ने बताया कि किस तरह से कई लड़के यहां बिना किसी आइडेंटिटी के हाथों में पर्चियां लेकर लोगों से वसूली कर रहे हैं। इस मामले में जब द सूत्र ने पूरी पड़ताल की और नियमों को समझा तो सामने आया कि इस तरह से मुख्य सड़क मार्ग पर नाका लगाकर वसूली नहीं की जा सकती है। द सूत्र ने जब वन महकमे के अफसरों से इस बारे में बात की तो शुरुआत के वे भी गोलमोल जवाब देते रहे फिर बाद में डीएफओ अजय कुमार पांडे ने मामले को दिखवाने की बात कही। द सूत्र की खबर सामने आने के बाद इस पूरी अवैध व्यवस्था को बदलकर नियमों में लाने की कोशिश करते हुए वन अमला नजर आया।
बंद पड़े टिकट घर को खुलवाया, लाइन से दे रहे टिकट
द सूत्र ने जब इस पूरे मामले का खुलासा किया तो वन विभाग के अफसरों के कान खड़े हुए। अफसरों की शह पर ही चल रहे इस खेल के सामने आने और विभाग की किरकिरी होने की वजह से मंगलवार सुबह से पूरी व्यवस्था को बदलने में वन अमला जुट गया। यहां सड़क पर लगे नाके को सबसे पहले हटाकर ईको टूरिज्म के नियमों के लगे फ्लेक्स हटवाकर इन्हें महादेव पानी परिसर के बाहर शिफ्ट किया गया। पहले से बंद पड़े टिकट काउंटर को आनन-फानन में खुलवाकर साफ-सफाई करवाई गई और यहां से टिकट वितरण की शुरुआत हुई।
गिनती के लड़के करा रहे पार्किंग, मुख्य गेट पर बैठा वनरक्षक
द सूत्र के खुलासे के पहले तक 25-30 लड़के क्षेत्र में हाथों में पर्चियां लेकर लोगों से जबरन वसूली कर रहे थे। अब गिनती के लड़के यहां पार्किंग व्यवस्था देख रहे हैं। टिकट काउंटर में बैठा एक व्यक्ति ही सबको प्रवेश का टिकट दे रहा है। परिसर में अंदर प्रवेश करने के पहले इनके टिकट की जांच गेट पर बैठा वनरक्षक कर रहा है।
द सूत्र का कैमरा देखते ही पीठ दिखाने लगा वनरक्षक
द सूत्र संवाददाता से बात करके उच्च अफसरों से नाके के बारे में पूछे जाने का कहने वाले वनरक्षक आज बात करने से बचते नजर आए। द सूत्र का कैमरा देखते ही वनरक्षक ने चेहरा न दिखाकर कैमरे की तरफ पीठ कर दी। नो कमेंट, नो कमेंट कहकर बात करने से बचता रहा। वनरक्षक कैमरा हटते ही बोला-ये आ गए, रेंजर की डांट अपने को खाना पड़ती है। जैसे ही उससे फिर पूछा कि आपको किसने डांटा तो वनरक्षक फिर गोलमोल जवाब देने लगा।
ग्रामीणों ने कहा धन्यवाद 'द सूत्र'
मुख्य सड़क मार्ग पर नाका लगने से ग्रामीण बहुत नाराज थे। द सूत्र के खुलासे के बाद जब नाका हटा तो ग्रामीण बहुत खुश नजर आए। द सूत्र को धन्यवाद देते हुए ग्रामीणों ने कहा आप लोगों के कारण ही नाका हट पाया।
महादेव पानी से 4 किलोमीटर पहले नाके पर द सूत्र ने उठाए थे सवाल
बीते सालों तक महादेव पानी (कोरोना काल को छोड़कर) पर्यटन स्थल आने वाले पर्यटकों को पार्किंग और अन्य शुल्क महादेव पानी परिसर के बाहर बने टिकट काउंटर पर चुकाने पड़ते थे। इस बार कोरोना की दोनों लहर के बाद पहली बार सैलानी भी यहां आ रहे हैं। महादेव पानी परिसर के टिकट काउंटर में तो ताले लगे थे जबकि यहां से 4 किलोमीटर पहले ही कई गांवों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर नाका लगाकर सभी गाड़ियों को रोका जा रहा था और इसमें सवार व्यक्ति के हिसाब से टिकट राशि वसूली जा रही थी। यहां से कई लोग जो गांवों की तरफ जाते ते उनके वाहन भी रोककर सभी से टिकट के नाम पर वसूली हो रही थी। इस पर द सूत्र ने सवाल उठाए थे।
रायसेन में वन विभाग की लगातार हो रही किरकिरी
रायसेन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र में आता है। डॉ. गौरीशंकर शेजवार पिछली शिवराज सरकार में यहां से वन मंत्री रहे हैं। रायसेन जिले में इन दिनों वन विभाग के अफसरों की मनमर्जी और अधीनस्थ अमले की शह से विभाग की लगातार किरकिरी हो रही है। पिछले दिनों हमने वन मंडल रायसेन की गढ़ी रेंज के गुफा गांव की ग्रेवल सड़क में रेंजर द्वारा कराए गए गोलमाल को उजागर किया था। डीएफओ अजय कुमार पांडे की कार्यशैली पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं।