भोपाल। राज्य सरकार ने अवैध कॉलोनियों (illegal colonies) को वैध करने के नियम जारी कर दिए हैं। 31 दिसंबर 2016 से पहले अस्तित्व में आई कॉलोनियों को विकसित किया जाएगा। नागरिक अधोसंरचना जैसे सड़क, बिजली, पानी, सीवेज सिस्टम, पार्क आदि विकसित करने की प्रक्रिया सक्षम अधिकारी (नगर निगम क्षेत्र में आयुक्त नगर निगम, नगर पालिक या नगर परिषद क्षेत्र में कलेक्टर) शुरु कराएंगे। लेकिन डेवलपमेंट की प्रक्रिया शुरु करने से पहले अवैध कॉलोनी के डेवलपर के खिलाफ मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम की धारा 292 ग, नगरपालिका अधिनियम की धारा 339 ग के तहत एफआईआर (FIR on colony developer) दर्ज कराई जाएगी। सरकारी भूमि (Govt land illegal colony) पर बनाई गई कॉलोनियां डेवलप नहीं की जाएगी।
ऐसे होगा अवैध कॉलोनियों का डेवलपमेंट: अवैध कॉलोनी (rules illegal colony) में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सक्षम अधिकारी ले आउट तैयार करेंगे। उक्त ले आउट पर प्रॉपर्टी मालिक आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। जिसके आधार पर फाइनल ले आउट तैयार किया जाएगा। इसी ले आउट के आधर पर कॉलोनी के डेवलपमेंट की योजना (colony development plan) तैयार की जाएगी। डेवलपमेंट में होने वाला खर्च, समय सीमा और प्रॉपर्टी धारकों से वसूला जाने वाला विकास शुल्क तय किया जाएगा।
प्रॉपर्टी धारकों को देना होगा 50 फीसदी विकास शुल्क: अवैध कॉलोनी में यदि 70 फीसदी जनसंख्या गरीब वर्ग की होगी तो डेवलपमेंट के लिए रहवासियों को 20 फीसदी विकास शुल्क जमा करना होगा। बाकि 80 फीसदी राशि संबंधित निकाय वहन करेंगे। लेकिन मध्यम या उच्च वर्ग के रहवासियों को 50 फीसदी विकास शुल्क वहन करना होगा। विकास शुल्क किश्तों में भी जमा किया जा सकेगा। इसके नियम सक्षम अधिकारी तय करेंगे। विकास शुल्क जमा करने के लिए प्रॉपर्टी धारक लोन भी ले सकेंगे। विकास शुल्क जमा न करने की स्थिति में भू-राजस्व (Land Revenue) के बकाया के तौर पर वसूली की जाएगी।
अवैध कॉलोनी के डेवलपर से होगी वसूली: कॉलोनी में डेवलपमेंट जैसे पार्क आदि के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होगी तो सक्षम अधिकारी अपेक्षित भूमि के मूल्य का अनुमान लगाकर अवैध कॉलोनी के डेवलपर से अनुमानित शुल्क का डेढ़ गुना राशि की वसूली करेंगे।
5 साल में पूरा होगा डेवलपमेंट: विकास शुल्क जमा होने के 5 साल के भीतर ले आउट के अनुसार डेवलपमेंट पूरा करना होगा। समय-सीमा बढ़ने पर डेवलपमेंट का अतिरिक्त खर्च संबंधित निकाय को उठाना होगा। वहीं विकास शुल्क जमा करने के बाद बिल्डिंग परमिशन या कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकेंगे।