दमोह जिला अस्पताल में डॉक्टर ने हिंदी में लिखा पर्चा और आरएक्स के स्थान पर लिखा श्री हरि, सीएम की पहल पर होने लगा नवाचार

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Rajeev Upadhyay
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दमोह जिला अस्पताल में डॉक्टर ने हिंदी में लिखा पर्चा और आरएक्स के स्थान पर लिखा श्री हरि, सीएम की पहल पर होने लगा नवाचार

Damoh. मध्य प्रदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराए जाने की शुरुआत हुई है।  16 अक्टूबर को भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में हिंदी की किताबों के वितरण के साथ ही इसकी शुरुआत की गई है।  मुख्यमंत्री ने सभी डाक्टरों से मरीजों के लिए लिखे जाने वाले पर्चे हिंदी में लिखने के लिए कहा है और आरएक्स की जगह पर श्रीहरि लिखने की बात कही थी। हालांकि यह कोई लिखित सरकारी आदेश नहीं था लेकिन मुख्यमंत्री की बात का पालन करते हुए दमोह जिला अस्पताल में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर वेदांत तिवारी ने अगले ही दिन इसका पालन करना शुरू कर दिया और उन्होंने एक मरीज का पर्चा हिंदी में लिखा और आरएक्स की जगह श्रीहरि लिखा।  यह पर्चा जैसे ही मरीज ने देखा तो वह भी काफी खुश हो गया क्योंकि सभी दवाइयां उसकी समझ में आ रही थी।  डॉक्टर तिवारी के द्वारा हिंदी में लिखे गए पर्चे की तारीफ सभी लोगों के द्वारा की जा रही है वहीं जिला अस्पताल प्रबंधन ने भी कहा है कि एक अच्छी शुरुआत है धीरे-धीरे सभी को इसे अमल में लाने का प्रयास करना होगा।



आईएमए और एमसीआई की यह है गाइडलाइन



मरीज को प्रिस्क्रिप्शन लिखे जाने के लिए अब तक आईएमए और एमसीआई ने जो गाइडलाइन तय कर रखी थी, उसके तहत मरीज को लिखी जाने वाली दवाओं के नाम कैपिटल लैटर में लिखा जाना चाहिए, दवाई का प्रोडक्ट नेम के बजाय दवा का नाम लिखना जरूरी होता है। इसके अलावा प्रिस्क्रिप्शन सुस्पष्ट लिखावट में हो ऐसे निर्देश पहले से निर्धारित थे। अब देवनागरी में दवाओं का नाम और उपचार लिखे जाने से हिंदी भाषी सहजता से इस नवाचार को ले रहे हैं। 




इस संबंध में वेदांत तिवारी ने बताया हिंदी में पर्चा लिखने की प्रेरणा उन्हे मुख्यमंत्री द्वारा मिली है।  मेरा हमेशा से प्रयास रहा है अस्पताल में आने वाले मरीजों का अच्छे से अच्छे इलाज हो उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े।  हिंदी में लिखे हुए पर्च को मरीज आसानी से पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैं। जिला अस्पताल में आने वाले अधिकतम मरीजों में से ग्रामीण क्षेत्र के मरीज होते हैं।  हिंदी में लिखे हुए पर्ची पढ़ने में आसानी रहेगी और हिंदी का भी प्रचार होगा।



निजी चिकित्सक भी अपनाएं तो बेहतर



हालांकि अभी सीएम के आदेश का पालन सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। इक्का-दुक्का चिकित्सकों को छोड़ दें तो अभी इस नवाचार को स्वीकारने में निजी डॉक्टरों को समय लग सकता है। वहीं उन झोलाछाप डॉक्टरों पर भी इस नवाचार के असर को देखना होगा जो मरीजों को ऊलजलूल और सेटिंग वाली दवाई थमा देते हैं। 


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