Jabalpur. विदिशा के लटेरी में मुठभेड़ के दौरान एक व्यक्ति की मौत के बाद डिप्टी रेंजर पर हत्या का मामला दर्ज किए जाने के विरोध में आक्रोशित वन कर्मियों ने जबलपुर में विभागीय कार्यालय में अपने शस्त्र जमा करा दिए। इस दौरान जिले की सातों रेंज के 2500 वन कर्मियों ने 9 रिवाल्वर, 50 से ज्यादा रायफल और हजार से ज्यादा कारतूस कार्यालय में जमा करा दिए। वन कर्मियों ने लटेरी की घटना में शासन पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगाए हैं। जबलपुर जिले के इस विरोध में शामिल हो जाने के बाद प्रदेश के अधिकांश जिलों में वनकर्मियों द्वारा ऐसा विरोध किया जा चुका है।वनकर्मियों ने हथियार सौंप कर सरकार पर दबाव बनाया है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वन मंडल कार्यालय जबलपुर में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत गुरूवार को वन कर्मियों ने अपने शासकीय हथियार लौटाए। इससे पहले वन कर्मियों के संगठन ने कटंगा रेस्ट हाउस में बैठक कर लटेरी घटना के विरोध की रूपरेखा तैयार की थी। वन कर्मियों का कहना है कि लटेरी मामले में शासन ने एकतरफा कार्रवाई की है। यदि आत्मरक्षा में हथियार का उपयोग ही नहीं कर सकते तो उसे लेकर चलने का फायदा ही क्या है?
मध्यप्रदेश वन कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री महेश मिश्रा ने बताया कि 9 अगस्त की रात रायपुरा गांव के लोग जंगल से लकड़ी काटकर ले जा रहे थे। इसी दौरान वन कर्मियों से उनकी मुठभेड़ हो गई थी। वन कर्मियों द्वारा की गई फायरिंग में चैनसिंह भील नामक युवक की मौत हो गई और कुछ अन्य घायल हो गए थे। लटेरी पुलिस ने घायलों की शिकायत पर डिप्टी रेंजर निर्मल अहिरवार सहित अन्य पर प्रकरण दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया। जबकि उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच होकर विधिवत कार्रवाई की जानी चाहिए थी। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के विरोध में भी संघ ने निर्णय लिया है कि वन कर्मचारी हथियार लेकर ही नहीं चलेंगे, जमा किए गए हथियार नाजरात शाखा में जमा कराऐंगे।