धार. शहंशाह-ए-मालवा (Shahenshah-e-Malwa) बाबा कमालुद्दीन चिश्ती (Baba Kalamuddin Chishti) का 690वां उर्स (Urs) आयोजित हुआ। बाबा कलामुद्दीन पूरे भारत मे प्रसिद्ध है। उर्स सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है। धार का उर्स भारत का दूसरे नंबर का उर्स माना जाता है। सुबह नौ बजे पारंपरिक चादर जुलूस (Chadar Procession) निकाला गया। इस बार मेले का आयोजन नहीं हो रहा है। गाईड लाईन का पालन करते हुए चादर जुलूस निकाला गया। चादर जुलूस बाबा कमाल मौला की दरगाह परपहुंचा। श्रद्धालुओं ने बाबा को चादर पेश करके देश से कोरोना महामारी खत्म करने की दुआएं की।
उर्स सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल
धार में शहंशाह-ए-मालवा बाबा कमालुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का 690वां उर्स का आयोजन किया गया। जिसमें बडी संख्या में जायरीन शामिल हुए। धार सहित अन्य शहरों से प्रसिद्ध कव्वालों को यहां बुलाया गया था। जिन्होंने बाबा कमालुद्दीन के दरबार में कव्वाली पेश की और इसके बाद बाबा को चादर चढाई गई। साथ ही रंगे महफिल का आयोजन भी हुआ। बाबा कमालुद्दीन का उर्स सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है। और इस उर्स में हिंदु-मुस्लिम धर्म के लोग बडी संख्या मे शामिल होते हैं।
एक दिन का आयोजन
वहीं, ओमिक्रोन के चलते इस बार उर्स एक दिन का ही लगाया गया और उर्स के दौरान आने वाले व्यापारी मेला भी इस बार नहीं लगाया गया। उर्स कमेटी के सदर निसार अहमद ने बताया कि बाबा कलामुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। धार का उर्स भारत का दूसरे नंबर का उर्स माना जाता है। जिसमें पूरे देश से जायरीन शामिल होते हैं।
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