संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में दिया बयान सुर्खियों में है। कैलाश ने 6 अक्टूबर को कहा कि अधिकारियों की मालिश करना बंद कर दो। अधिकारियों में दम होता तो जो इंदौर कलेक्टर हैं, उज्जैन गए थे, और जो इंदौर निगम कमिश्नर थे (जिन्हें अमिताभ ने सम्मानित किया था) और आज उज्जैन कलेक्टर है, क्या वे उज्जैन को नंबर वन बना सके। इंदौर को नंबर वन यहां की जनता ने बनाया है। राजनीतिक के साथ प्रशासनिक गलियारों में ये बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि वास्तव में यह निशान अधिकारियों के लिए था या फिर सीएम शिवराज सिंह चौहान की ओर। जानकारों के अनुसार, विजयवर्गीय ने दरअसल एक तीर से कई निशाने साध दिए हैं। इस कार्यक्रम के दौरान सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ ही शहर के अन्य जनप्रतिनिधि और निगमायुक्त प्रतिभा पाल सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
दोनों सिंह शिवराज के सबसे भरोसेपंद मैदानी अधिकारी
विजयवर्गीय ने इंदौर के बहाने उज्जैन के अधिकारियों को घेरा है। इसमें मुख्य तौर पर निशाना इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह और उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह की ओर था। यह दोनों अधिकारी आज प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे खास मैदानी अधिकारियों में हैं। सीएम चौहान ने मनीष सिंह को उज्जैन कलेक्टर बनाया था। इस दौरान उज्जैन 2019 में मध्यम सिटी कैटेगरी में सफाई में नंबर वन आया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने हटा दिया था। जब बीजेपी लौटी तो कोविड जैसे महामारी के दौर में मनीष सिंह को इंदौर की कलेक्टरी दी गई। उधर, आशीष सिंह को सीएम ने महाकाल लोक की जिम्मेदारी देने के लिए उज्जैन कलेक्टर बनाया। दोनों सिंह ने बखूबी काम संभाला, आशीष सिंह के समय अभी सफाई काम में सबसे अधिक जनभागादारी के लिए उज्जैन निगम को सम्मानित किया गया।
पहले भी बोले विजयवर्गीय- कार्यकर्ता से ज्यादा अधिकारी पर भरोसा करते हैं सीएम
विजयवर्गीय ब्यूरोक्रेसी को लेकर पहले भी सीएम को घेर चुके हैं। निगम चुनाव के बाद उन्होंने कहा कि सीएम जितना भरोसा अधिकारियों पर करते हैं, यदि वे कार्यकर्ता पर करें तो अधिक बेहतर होगा। भोपाल में एक महीने पहले हुई बैठक में भी विजयवर्गीय ने हावी हो रही ब्यूरोक्रेसी को लेकर मुद्दा उठाया था।
सांसद लालवानी और निगमायुक्त प्रतिभा पाल भी घेरे में
इस कार्यक्रम में मंच से ही विजयवर्गीय ने एक बड़ा अलग रेलवे स्टेशन की जरूरत बता दी और तंज कसा कि हमें मास्टरप्लान में 25 साल आगे का सोचना चाहिए। कारण है कि सांसद ने हाल ही में वर्तमान रेलवे स्टेशन के ही विस्तार की योजना पर काम शुरू किया है, जिसके लिए शास्त्री ब्रिज तोड़ने की बात आ रही है। साथ ही विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि मैं जो कड़वी बात बोल रहा हूं, मेरे अलावा किसी में बोलने की हिम्मत भी नहीं है।
बीते कुछ समय से देखने में आया कि अधिकारियों के सामने जनप्रतिनिधि दम से बात नहीं उठा रहे हैं। वहीं, विजयवर्गीय ने अप्रत्यक्ष तौर पर महापौर भार्गव को भी नसीहत दी है कि अधिकारियों को नहीं, जनता को भाव देना। वहीं, कार्यक्रम में निगमायुक्त प्रतिभा पाल भी थीं। हाल ही में एमपीसीए में टिकट विवाद हुआ है, जिसे लेकर विजयवर्गीय खुश नहीं है। पाल भी अब सीएम की गुडलिस्ट में हैं। इस तरह विजयवर्गीय ने उन्हें भी घेरे में लिया।
विजयवर्गीय के ब्यूरोक्रेसी को लेकर तीखे बोल
- जनवरी 2020 में कांग्रेस काल में संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी के बंगले के बाहर बोले थे- जब वह मीटिंग में नहीं आए, वो संघ के नेता आज शहर में हैं नहीं, नहीं तो आग लगा देता।