इंदौर. मध्यप्रदेश के बहुचर्चित भय्यू महाराज सुसाइड केस (bhayyu maharaj suicide case) में इंदौर कोर्ट ने तीन साल बाद बड़ा फैसला (Court decision on bhayyu maharaj case) दिया है। कोर्ट ने सुसाइड मामले में तीन लोगों को दोषी माना है। जिला कोर्ट ने शिष्या पलक, मुख्य सेवादार विनायक और ड्राइवर शरद को 6-6 साल की सजा सुनाई है। बता दें कि 32 गवाह और 150 पेशी के बाद कोर्ट का फैसला आया है।
पैसों के लिए ब्लैकमेलिंग करते थे: आदेश में बताया गया कि सेवादारों ने भय्यू महाराज को इतना प्रताड़ित किया था कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। कोर्ट ने माना कि आरोपी महाराज को पैसों के लिए प्रताड़ित करते थे। पैसों के लिए उन्हें ब्लैकमेल भी किया जाता था। गौरतलब है कि इससे परेशान होकर भय्यू महाराज ने 12 जून 2018 को अपनी कनपटी पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।
तीनों 2019 में हुए थे गिरफ्तार: कोर्ट ने पलक, शरद और विनय को आईपीसी के सेक्शन 306 के तहत दोषी माना है। पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को साल जनवरी 2019 में गिरफ्तार किया था। उस वक्त भी ये जानकारी सामने आई थी कि तीनों मिलकर महाराज का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रहे थे। महाराज ने भी अपने सुसाइड नोट में विनायक का जिक्र किया था क्योंकि वो भय्यूजी का 16 साल पुराना वफादार सेवक था।
पलक पर आरोप: पलक ने भय्यू महाराज के अश्लील वीडियो बना लिए थे और इसके जरिए ही वह उन्हें ब्लैकमेल करती थी। भय्यू महाराज ने आयुषी के साथ 17 अप्रैल 2017 को शादी कर ली। पलक ने उन पर एक साल के अंदर शादी करने का दबाव बनाया। पलक दो साल से ज्यादा वक्त से उनके संपर्क में थी। वह महाराज से शादी करना चाहती थी, लेकिन महाराज की डॉ. आयुषी से शादी हो गई। शादी वाले दिन भी पलक ने हंगामा किया था और 16 जून तक उन्हें शादी करने का वक्त दिया था। भय्यू महाराज सुसाइड केस में पुलिस ने पलक, महाराज के ड्राइवर शरद और कर्मचारी विनायक को गिरफ्तार किया था। तीनों पर महाराज को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। शरद और विनायक के वकील धर्मेंद्र गुर्जर का आरोप है कि आयुषी ने ही पूरे मामले में साजिश रची।