INDORE: 22 साल पहले DM ने सरकारी जमीन बताते हुए बहुमंजिला भवन तुड़वाया; कोर्ट का आदेश- जिला प्रशासन 1.26 Cr. का मुआवजा और ब्याज दे

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
INDORE: 22 साल पहले DM ने सरकारी जमीन बताते हुए बहुमंजिला भवन तुड़वाया; कोर्ट का आदेश- जिला प्रशासन 1.26 Cr. का मुआवजा और ब्याज दे

संजय गुप्ता, INDORE. कोर्ट ने 22 साल पहले इंदौर के मनोरमागंज (Manoramaganj) क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा तोड़े गए बहुमंजिला भवन (प्रिसेंस पैराडज) के मामले में मुआवजा राशि ब्याज सहित देने का आदेश दिया है। ये राशि करीब तीन करोड़ रुपए की होगी। एमपी में संभवत: पहली बार इस तरह का फैसला हुआ है। इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव (Indore then collector Manoj Shrivastava) ने राज टावर को तोड़ने का काम करवाया था, जो अब रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने आज भी इंदौर में इस काम के लिए याद किया जाता है। जिला कोर्ट (District Court) द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि जिला प्रशासन (District Administration) को एक करोड़ 26 लाख का मुआवजा (Compensation) और इस राशि पर छह फीसदी की दर से अभी तक का ब्याज देना होगा। यानी करीब तीन करोड़ की राशि देनी होगी। 





Ese tuti thi multi





आपको बता दें कि इसी मामले में प्रशासन के खिलाफ फरियादी भार्गव परिवार (Bhargava family) ने हाईकोर्ट में अवमानना केस लगाया था, जो आज भी तारीखों में उलझा है और सुनवाई जारी है।





 यह पूरा है मामला





साल 2000 में मनोरमागंज में 2.46 एकड़ एरिया में फैली सर्वे नम्बर 313 की यह जमीन सिटी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की थी। इस जमीन को 1932 में टी.एन भार्गव के नाम ट्रांसफर कर दी गई थी। तब से इस जमीन पर उनके परिवार के लोगों का कब्जा है। इस जमीन पर बाद में सुरेश भार्गव ने बहुमंजिला भवन बनवाया। लेकिन प्रशासन ने 23 जून 2000 में यह कहते हुए भवन को डायनमाइट से उड़वा दिया कि यह जमीन सरकारी है। जबकि जिला प्रशासन के तोड़ने के नोटिस के जवाब में भार्गव परिवार कोर्ट से स्टे भी ले आया था। भार्गव परिवार के परिजनों ने बताया कि हमारा परिवार वह स्टे लेकर कार्रवाई के लिए आए तहसीलदार ओपी श्रीवास्तव के पास भी गया लेकिन उन्होंने स्टे को देखा भी नहीं। तत्कालीन तहसीलदार जिन्होंने तोड़ने का आदेश दिया था, उनका निधन हो चुका है। 





22 साल से अवमानना का केस भी चल रहा है





सुरेश भार्गव के पुत्र चिंतन भार्गव ने बताया कि यह संपत्ति मेरे माता-पिता के निधन के बाद बहन रचना भार्गव के नाम पर है। मकान तोड़ने पर हमने कोर्ट में याचिका दायर की थी। वकील कैलाश अग्रवाल ने बताया कि प्रशासन से एक करोड़ 26 लाख 91 हजार 441 रुपए, जो उस समय लागत थी, वह मांगी थी। साथ ही 12 फीसदी की दर से ब्याज, जिसमें कोर्ट ने मूल राशि और इस पर छह फीसदी की दर से अभी तक का ब्याज मान्य किया है। भार्गव ने बताया कि कोर्ट ने डिक्री पास कर दी है। यह मुआवजा राशि अब प्रशासन से हमे लेना है। वहीं कोर्ट के स्टे के बाद भी कार्रवाई करने को लेकर हमने तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना केस लगाया था, जो अभी तक जारी है। इसमें फैसला नहीं आया है।



 



इंदौर Indore District Court जिला कोर्ट District Administration जिला प्रशासन मुआवज़ा Manoramaganj multi-storey building then Collector Manoj Shrivastava Compensation Bhargava family मनोरमागंज बहुमंजला इमारता तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव भार्गव परिवार