मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक युवक ने जिंदा शख्स को मृत बताकर कोरोना की अनुग्रह राशि लेने का आवेदन कर दिया। फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब पटवारी ने वेरिफिकेशन के लिए शख्स के परिवार से डिटेल पता की।
पीड़ित ने कहा हमें फंसाने की कोशिश की: मामले में बुजुर्ग पीड़ित जानकीलाल(55) का कहना है कि मैं जिंदा हूं और मुझे कभी कोरोना हुआ ही नहीं। साथ ही उसने कभी कोरोना अनुग्रह राशि के लिए आवेदन नहीं करने की बात भी कही। जानकीलाला और उनके बेटे अभिषेक ने आरोप लगाया कि उनके परिवार को फंसाने के लिए ये साजिशतन हरकत की गई है। शासन अब मामले की जांच में जुट गया है।
ऐसे सामने आया मामला: अनुग्रह राशि का आवेदन जानकीलाल के बेटे अभिषेक के नाम से किया गया था। दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए क्षेत्र के पटवारी ने 7 फरवरी को अभिषेक को कलेक्टर कार्यालय आने के लिए कहा। तब अभिषेक ने बताया कि मेरे पिता जानकीलाल जीवित हैं और उन्हें कोरोना नहीं हुआ। जांच के लिए प्रशासन उस दिन के CCTV फुटेज देखकर पता लगाएगा कि यह आवेदन देने कौन आया था।
ये डॉक्युमेंट न होने की वजह से हुआ खुलासा: कोरोना अनुग्रह राशि के लिए आवेदन के साथ नियमानुसार कोविड-19 रिपोर्ट, आधार कार्ड, बैंक की पासबुक सहित अन्य जरूरी दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए थे। यह भी पता लगाया जाएगा कि जानकीलाल के दस्तावेज कहां से लीक हुए।
जानकीलाल के बेटे हितेश का कहना है कि किसी ने उसके छोटे भाई अभिषेक और पिता का आधार कार्ड और बैंक पास बुक चुरा ली। कोविड सहायता राशि का फॉर्म भरकर आवेदन किया, लेकिन जिसने भी यह काम किया उसके पास हमारा समग्र आईडी नहीं था। तब पटवारी ने दस्तावेज वेरिफिकेशन के साथ समग्र आईडी भी मंगवाई थी। इसी से मामला पकड़ में आ गया।