इंदौर. 72 घंटे बाद भी इंदौर के जू (Indore Zoo Leopard) से लापता तेंदुआ नहीं मिला है। टीमें लगातार उसकी तलाश कर रही है। तेंदुएं को ढूंढने के लिए पिंजरे लगाए गए, रात में हेलोजन लगाकर सर्चिंग की गई। फिर टीमों ने ढोल बजाकर उसकी तलाश की। इसके बाद भी टीमों को नाकामी ही हाथ लगी। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर तेंदुआ गया कहां। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट (Forest Department) तेंदुए के जू में ही भागने की बात कर रहा है। जबकि जू मैनेजमेंट (Zoo managment) का दावा है कि तेंदुआ जू लाने से पहले रास्ते में कहीं भाग गया।
ढोल से डरते हैं जानवर
पिंजरे और जाल की मदद से पकड़ने की कोशिश की गई लेकिन पता नहीं चला कि तेंदुआ है कहां। करीब 52 एकड़ में फैले चिड़ियाघर में 200 कर्मचारियों की टीमें लगातार खोजबीन में जुटी रही। करीब 40 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे लेकिन इसमें बिल्ली व कुत्ते तो नजर आए मगर तेंदुआ नहीं दिखा। अफसरों के मुताबिक, जानवर ढोल की आवाज से डरकर भागते हैं। उम्मीद है कि तेंदुआ इससे पकड़ में आ जाएगा। इधर, जू प्रभारी उत्तम यादव के मुताबिक CCTV फुटेज में जिसे तेंदुआ बताया जा रहा है, वो बिल्ली है।
नेपानगर में रेस्क्यू किया गया था तेंदुआ
30 नवंबर को नेपानगर (Nepanagar) के नावरा वन परिक्षेत्र के ग्राम डालमहु से तेंदुआ को पिंजरे में कैद किया था। यहां मादा तेंदुआ को श्वानों ने घेरा था। श्वानों के झूंड से जान बचाकर तेंदुआ रहवासी इलाके में आ गया। वन विभाग को इसकी सूचना दी गई। वन विभाग की टीम ने सफल रेस्क्यू किया। इसके बाद तेंदुएं की मेडिकल जांच करवाई गई।
इंदौर जू से पिंजरा तोड़कर भागा था
तेंदुए को पकडने के बाद उसे नेपानगर रेंज कार्यालय में लाया गया। इसकी पुष्टि रेंजर विमला मुवेल ने की थी। जांच से पता चला की मादा की उम्र एक साल की है। वह घायल स्थिति में मिला था। यहां उसका उपचार किया गया था। इसके बाद SDO नेपानगर दिनेश यादव ने खुद जाकर इंदौर जू तेंदुआ छोड़कर आए। इसके बाद वह भाग गया था। इधर, इंदौर जू के अफसर कह रहे हैं कि तेंदुआ इंदौर (Indore Tendua Movement) लाया ही नहीं गया था। न हमने इसे रिसीव किया और न ही कोई रिसिप्ट दी। फिर बाद में जू से तेंदुआ भागने की पुष्टि हुई थी।
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