पिता-पुत्र की हत्या के केस में 11 साल जेल में रहा निर्दोष शख्स, अब होगी रिहाई

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Rahul Garhwal
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पिता-पुत्र की हत्या के केस में 11 साल जेल में रहा निर्दोष शख्स, अब होगी रिहाई

Gwalior. ग्वालियर हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे पप्पू यादव को रिहा करने के आदेश दिए हैं। पप्पू यादव ने उस जुर्म के लिए 11 साल जेल में बिता दिए जो उसने किया ही नहीं था। पप्पू यादव पर पिता-पुत्र की हत्या का आरोप था और इसलिए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट का कहना है कि मामले में जांच अधिकारी, मेडिकल करने वाले डॉक्टर और सरकारी वकील का रवैया लापरवाही भरा रहा। हाईकोर्ट ने इन सभी के खिलाफ राज्य शासन को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।





जानिए पूरा मामला





भिंड के दीनपुरा में रामकुमार शर्मा आटे की चक्की और रामप्रकाश यादव होटल चलाता था। रामप्रकाश पर राम कुमार के करीब डेढ़ हजार रुपए उधार थे। इसे लेकर दोनों में बहस चल रही थी। 19 जुलाई 1998 को रामकुमार पैसे मांगने के लिए रामप्रकाश के होटल पर पहुंचा। जहां मुकेश ओझा, पप्पू यादव, मानसिंह और राजू बैठे हुए थे। इन्होंने रामकुमार को धमकाया तो दोनों पक्षों में विवाद हुआ। विवाद के बाद ये लोग रामकुमार के घर पहुंचे और उन्होंने रामकुमार और उसके बेटे की लाठी-डंडे, कुल्हाड़ी और तौलने के बांट मारकर हत्या कर दी। वहीं रामकुमार के पोते संतोष का मुंह कुचल दिया।





कहां हुई लापरवाही





डबल मर्डर की जांच इंस्पेक्टर केएल पवार ने की थी। वे उस वक्त CID के निरीक्षक थे। पूरे मामले के सरकारी गवाह भी थे जिन्हें लिस्ट से हटाया गया। रामकुमार की बंदूक को लेकर भी कागजात कोर्ट में पेश नहीं किए गए थे। जांच अधिकारी केएल पवार का बयान भी दर्ज नहीं हुआ। अस्पताल के डॉक्टर जेपी गुप्ता, डॉ. टीसी अग्रवाल और पीडी पाठक ने साफ MLC रिपोर्ट नहीं दी थी। तत्कालीन अपर लोक अभियोजन अधिकारी वीरेंद्र भदौरिया ने लापरवाही पर ध्यान नहीं दिया।





कोर्ट ने केस को संदेहास्पद माना





पूरा केस सिर्फ रामकुमार के पोते संतोष के बयान पर टिका था। इसलिए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे पप्पू यादव को बरी कर दिया। मामले में एक आरोपी मानसिंह को पहले ही बरी कर दिया गया है। मुकेश ओझा की मौत हो चुकी है। वहीं एक आरोपी राजू अब तक फरार है।



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