बेजुबानों का सहारा बना 'इंसानियत' का 'आश्रम', 10 वर्षों से युवाओं की टीम दिन-रात कर रही है सेवा

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Vivek Sharma
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बेजुबानों का सहारा बना 'इंसानियत' का 'आश्रम', 10 वर्षों से युवाओं की टीम दिन-रात कर रही है सेवा

सुनील शर्मा, Bhind.  आज हमें  युद्ध, हिंसा, मारपीट, लूटपाट,चोरी, डकैती, बेईमानी, फ्रॉड, बलात्कार आदि- आदि तरह की नकारात्मक खबरें ही दिखाई पड़ती है लेकिन इन सभी के बीच कुछ लोग भी हैं सही मायनों में इंसानियत का हक अदा कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही कहानी भिंड जिले के युवाओं की है जो बेजुबानों की सेवा करते हैं। बेजुबान जानवरों के प्रति प्रेम, सेवा भाव और पशु आश्रम की तारीफ मेनका गांधी भी कर चुकी हैं। इन युवाओं ने अपने जीवन का कुछ हिस्सा बीमार बेजुबान जानवरों के नाम कर दिया है।  हम बात कर रहे हैं भिंड जिले के विख्यात पशु आश्रम की जिसको कुछ युवकों ने मिलकर 10 साल पहले एक छोटे से कमरे में शुरू किया था, जो आज स्थानीय लोगों और जिला प्रशासन की मदद से एक बड़ी जगह में बेसहारा बेजुबान जानवरों की सेवा कार्य हो रहा है। 



दो कलेक्टर्स भी प्रभावित हुए



बेजुबान जानवरों के प्रति उनका लगाव और सेवाभाव को देखते हुए न सिर्फ शहरवासी उनसे प्रेरित हुए बल्कि भिंड के दो कलेक्टर्स भी प्रभावित हुए। इंसानियत 'युवा मंडल की छोटी सी पहल आज उनके समूह के नाम की तरह ही इंसानियत के असली माइने सिखा रही है। इंसानियत युवा मंडल के सदस्य आज भिंड के बस स्टैंड के पास जानवरों के लिए एक छोटा से टेक केअर होम संचालित करते हैं। यहां देखभाल करने वाले कोई प्रोफेशनल लोग नहीं है, बल्कि शहर के ही युवा है, जो खुद आपस मे पॉकेट मनी इकट्ठा कर इस फैसिलिटी को संचालित कर रहे हैं। 



2012 में रखी गई थी नींव



 खास बात यह है कि ये एनिमल केअर सेंटर न सिर्फ सुविधाओं से लैस है बल्कि ऐसे जानवरों और पक्षियों के लिए बनाया गया है जो बेसहारा है और घायल या बीमार होते हैं। इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्य अक्षय इंसानियत ने बताया कि इस समूह की नींव 2012 में रखी गयी। उनके गुरु अनंत इंसानियत इस ग्रुप के वे पहले शख्स थे जिनके पशु प्रेम ने भिंड के 400 से ज्यादा युवाओं को प्रभावित किया था। इसके साथ ही 2015 में इस ग्रुप का रजिस्ट्रेशन इंसानियत युवा मंडल समिति के नाम से कराया गया। अक्षय इंसानियत कहते हैं कि आदमी की सुनने वाले मदद करने वाले तो बहुत है, लेकिन बेजुबानों की मदद को कोई आगे नही आता है. 



पहली निजी आवास पर होता था उपचार



कई जानवर हैं जिन्हें मदद की ज़रूरत होती है, अक्सर कुत्ते बंदर, बिल्ली पक्षी हादसों में घायल हो जाते हैं, लेकिन उनके लिए कोई आगे नही आता है। किसी को तो पहल करनी होगी। इसी सोच ने इस समूह को जन्म दिया था। अक्षय ने बताया कि शुरुआत में वे लोग शहर के हाउसिंग कॉलोनी स्थित निजी निवास पर जानवरों का इलाज करते थे, लेकिन धीरे धीरे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी तो जगह कम पड़ गयी ऐसे में एक किराए की जगह पर केंद्र संचालित किया। 



भिंड जिला प्रशासन ने भी की मदद



कुछ समय पहले भिंड कलेक्टर सतीश कुमार ने दौरा किया तो इस पहल से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने वेटनरी विभाग से बस स्टैंड के पास इस काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें एक बड़ी जगह उपलब्ध कराई तो इंसानियत युवा मंडल समिति का एनिमल केयर होम यहां संचालित होने लगा जिसे आज ये लोग आश्रम कहते हैं। इस आश्रम में कई तरह के जानवर और पक्षी इलाज के लिए लाए जाते हैं, जिनमें ज्यादातर जानवर आवारा या छोड़े हुए बेसहारा हैं जो किसी हादसे में घायल हो गए या बीमार स्ट्रीट डॉग्स हैं, जिनकी देखभाल के लिए कोई नही है। इस फैसिलिटी में इनका इलाज और खाने की व्यबस्था की जाती है, इस नई फैसिलिटी को संचालित करने के लिए प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला, 



कई तरह की सुविधाओं से लैस है पशु आश्रम



 कलेक्टर ने वेटनरी विभाग से ज़मीन दिलाई वहीं नगर पालिका द्वारा इसके आधे हिस्से में शेड, किचन, तार फेंसिंग और बाउंड्री वॉल बनवाकर दी। वहीं बाद में जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त टीन शेड, जानवरों के इलाज के लिए लगने वाले इक्विपमेंट, टेबल्स, एनिमल बेड्स, व्हील वॉकर्स, पिंजड़े,दवाइयां और ज़रूरत के लिए एक एम्बुलेंस भी खुद इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्यों ने आपस मे चंदा कर खरीद ली है। अक्षय के मुताबिक यहां करीब आधा सैकड़ा जानवरों को इलाज दिया जा रहा है, जिनमे कुत्ते, बंदर, बिल्ली समेत कुछ पक्षी भी हैं ऐसे में इनके खाने की ज़िम्मेदारी भी सभी मिलकर उठाते हैं ।



कई सदस्य हैं समय दानी



समूह के 400 सदस्यों में से करीब 80 सदस्य हर रोज सेवा के लिए इस आश्रम में समय दान देते हैं,जिनमे से कोई रिक्शा चलता है, तो कोई शिक्षक है, लेकिन यह सभी अपनी शिफ्ट के अनुसार आते हैं, और सेवा करते हैं। इन्ही में से समूह की एक सदस्य ने बातचीत में बताया हैं कि वह पिछले 10 साल से इस समूह से जुड़ी हैं, यहीं उन्होंने जानवरों को ट्रीटमेंट देना सीखा है। उन्हें जानवरों से बेहद लगाव है, इस वजह से वे यह सेवा कर रही हैं।  कुछ ऐसे ही विचार एक और सदस्य मोहित इंसानियत के भी हैं, वे शुरू से ही इस समूह का हिस्सा हैं। 

 वे कहते हैं कि छात्र और जॉब में होने के बावजूद इस सेवा कार्य के लिए समय निकालते हैं, उनका मानना है कि अगर जीवन में कछ अच्छा करना है तो आपको अपने रूटीन में थोड़ा बदलाव तो लाना पड़ेगा, लेकिन यह बदलाव आपको एक अच्छा इंसान बनने में मददगार साबित होगा। मोहित कहते हैं कि वे 16 वर्षों से इस समूह से जुड़े हैं और जानवरों के प्रति लगाव लगातार बढ़ता गया है। आश्रम में ग्वालियर से अपने पालतू कुत्ते को इलाज के लिए लेकर पहुंचे भानु प्रताप कुशवाह ने भी इस पहल की तारीफ की। उन्होंने बताया कि उनके डॉग के दोनों पैर खराब हो गए उन्हें पता चला कि भिंड में इस तरह का केयर सेंटर है तो वे अपने डॉग को यहां लाये हैं। इस आश्रम को देखने के बाद वे बेहद प्रभावित नजर आये। इंसानियत युवा मंडल समिति का कार्य वाकई सराहनीय है। 



मेनका गांधी कर चुकी हैं पशु आश्रम की तारीफ



इस पहल की तारीफ खुद एनिमल राइट एक्टिविस्ट और लोकसभा सांसद मेनका गांधी भी कर चुकी हैं। उन्होंने समूह के सदस्यों से दिल्ली में मुलाकात की थी और जब उन्हें पता चला कि भिंड कलेक्टर ने इस कार्य के लिए जगह दी है तो तुरंत कलेक्टर को फ़ोन कर उनके निर्णय की सराहना भी की थी। इस तरह जानवरों की सेवा करना अब इस इंसानियत समूह के सभी सदस्यों के जीवन का हिस्सा बन चुका है। कहीं भी किसी घायल जानवर की जानकारी मिलती है तो इंसानियत युवा मंडल समिति की एम्बुलेंस पहुंचती है और फैसिलिटी में लाकर उसे इलाज और प्यार दोनों दिया जाता है,जिसका नतीजा है कि अब तक कई बेजुबान जानवर आज दोबारा अपने पैरों ओर खड़े हैं और इंसानियत समूह के हर सदस्य को अपना प्यार देते हैं। सबसे बड़ी खास बात है कि इस संस्था जुडे हर सदस्य ने अपने नाम के पीछे सरनेम की जगह इंसानियत शब्द को जोड़ा है।

 


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