सुशील शर्मा, भिंड. बेसहारा जानवरों का अगर कोई सहारा है तो वो है इंसानियत संस्था। जैसा नाम वैसा काम, इस कहावत को ये संस्था चरितार्थ करती है। इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्य बस स्टैंड पर एक छोटा-सा टेक केयर होम चलाते हैं। ये सेंटर उन जानवरों के लिए बनाया गया है, जो बीमार और घायल हैं, बेसहारा हैं। यहां घायल कुत्ते, बिल्ली, बंदर और पक्षियों का भी इलाज किया जाता है। टेक केयर होम सारी सुविधाओं से लैस है। युवा अपनी पॉकेट मनी से ही टेक केयर होम को संचालित करते हैं।
घायल कुत्ते के इलाज से हुई शुरुआत: इंसानियत संस्था के सदस्य बताते हैं कि उन्हें 10 साल पहले एक घायल कुत्ता मिला था। वे उसे उठाकर घर ले आए और घरवालों के विरोध के बाद भी इलाज किया। कुछ महीनों में उसे फायदा हुआ और वो पूरी तरह स्वस्थ हो गया। इसी घटना से युवाओं में सेवाभाव जागा और उन्होंने जानवरों की सेवा करने का मन बना लिया।
दो कलेक्टरों ने की मदद: युवाओं के छोटे से टेक केयर होम में धीरे-धीरे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी और जगह कम पड़ने लगी। चार साल पहले तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी ने युवाओं के काम की तारीफ की और इंसानियत संस्था का राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराया। वर्तमान में जब कलेक्टर सतीश कुमार को इस संस्था के बारे में पता चला तो वे भी बेहद प्रभावित हुए। जब कलेक्टर को पता चला कि जानवरों के इलाज के लिए जगह कम पड़ रही है तो उन्होंने बस स्टैंड के पास खाली पड़ी जमीन सेंटर के लिए अलॉट कर दी।
50 से ज्यादा जानवर, 240 से ज्यादा सेवक: इंसानियत संस्था के टेक केयर होम में 50 से ज्यादा जानवरों का इलाज किया जा रहा है। 240 से ज्यादा सदस्य रोज जानवरों की सेवा के लिए समय देते हैं। सेंटर में जानवरों के इलाज के लिए हर इक्युप्मेंट उपलब्ध है। जानवरों को रोज 400 से ज्यादा रोटियां खिलाई जाती हैं। फिलहाल तो हर सदस्य अपने घर से कुछ रोटियां बनाकर लाते हैं। जल्द ही टेक केयर होम में किचन की शुरुआत होती जिसके बाद जानवरों के लिए भोजन यहीं बनने लगेगा
इंसानियत संस्था की सराहनीय कार्य: भिंड में इंसानियत संस्था के युवाओं ने जीव दया को लेकर एक मिसाल पेश की है। इंसानियत संस्था के काम की हर जगह सराहना हो रही है। कोई तो है जो बेजुबान और बेसहारा जानवरों का सहारा बना है। धीरे-धीरे इंसानियत संस्था के काम से प्रभावित होकर कई लोग जुड़ रहे हैं, क्योंकि जीव दया परम धर्म है।