लर्निंग लायसेंस का बहाना बनाकर क्लेम को खारिज नहीं कर सकती बीमा कंपनी, क्लेम की राशि देने कंपनी को दिए निर्देश

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Rajeev Upadhyay
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लर्निंग लायसेंस का बहाना बनाकर क्लेम को खारिज नहीं कर सकती बीमा कंपनी,  क्लेम की राशि देने कंपनी को दिए निर्देश

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि महज ड्राइवर का लर्निंग लायसेंस होने के आधार पर मोटर दुर्घटना बीमा दावा का भुगतान करने से बीमा कंपनी इनकार नहीं कर सकती। जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा कि ट्रेक्टर से संलग्न थ्रेसर का अलग से बीमा होना आवश्यक नहीं है। इस मत के साथ कोर्ट ने एचडीएफसी एग्रो सेंट्रल इंश्योरेंस कंपनी की अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के निर्णय के अनुसार अपीलकर्ता कंपनी को बीमा दावा का भुगतान करना ही होगा। 



मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के फैसले को दी थी चुनौती



दरअसल एचडीएफसी एग्रो सेंट्रल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से यह अपील दायर की गई थी। कंपनी की ओर से अधिवक्ता राकेश जैन ने कोर्ट को बताया कि मंडला जिले की निवास तहसील में ट्रेक्टर दुर्घटना के दौरान वीरेन सिंह और भंगीलाल की मृत्यु हो गई थी। वीरेन सिंह की पत्नी बिसरती बाई, उसके तीन बच्चों की ओर से मंडला मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में केस दायर किया गया था। अधिकरण ने ट्रेक्टर का बीमा करने वाली अपीलकर्ता कंपनी को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था। जिस आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि ट्रेक्टर के ड्राइवर के पास लर्निंग लायसेंस था, स्थायी नहीं। साथ ही ट्रेक्टर में ट्रॉली की जगह थ्रेसर लगा हुआ था, जिसका बीमा नहीं था। 



अनावेदकों की ओर से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांतों का हवाला दिया गया। सुनवाई के बाद अदालत ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण मंडला के आदेश को उचित करार दिया। बीमा कंपनी की अपील को सारहीन पाकर निरस्त कर दिया गया। बीमा कंपनी को अब पीड़ित परिवार को क्लेम की राशि का भुगतान करना पड़ेगा। 


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