Jabalpur. जबलपुर में हुए न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल अग्निकांड मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। संभागायुक्त बी चंद्रशेखर की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी की प्रतिवेदन रिपोर्ट में यह खुलासे हुए हैं। जांच में यह पाया गया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अस्पताल का निरीक्षण के दौरान जमकर फर्जीवाड़ा किया था। दरअसल जांच में पाया गया कि जिस दिन अस्पताल का निरीक्षण हुआ उसी दिन पंजीयन भी जारी कर दिया गया। इस खुलासे के बाद तत्कालीन सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुररिया पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। दरअसल कमिश्नर ने अपनी जांच में सीएमएचओ समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही को कदाचरण माना है और आरोप पत्र के आधार पर विभागीय जांच बैठा दी है। इस संबंध में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं अपर संचालक द्वारा पत्र जारी कर तत्कालीन सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुररिया को 15 दिन के भीतर जवाब भी तलब किया है। जवाब न मिलने पर एकपक्षीय कार्रवाई भी की जा सकती है।
निरीक्षण की दिनांक तक नहीं बता पाई डॉक्टरों की टीम
संभागायुक्त की जांच टीम ने प्रतिवेदन में इस बात का उल्लेख किया है कि न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल के निरीक्षण का जिम्मा जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ एल एन पटेल और डॉ निशेष पटेल के दो सदस्यीय टीम को दिया गया था। दोनों ने जांच समिति के समक्ष जो बयान दिए, उनमें काफी विसंगतियां मिलीं। दोनों ही डॉक्टर निरीक्षण की दिनांक बताने में असमर्थ रहे, साथ ही निरीक्षण का समय भी दोनों ने अलग-अलग बताया है। जिससे जांच टीम को इस बात का शक भी गहरा गया कि दोनों ने अस्पताल का निरीक्षण किया भी था या नहीं।
तमाम विसंगतियों के बावजूद दे दी थी क्लीनचिट
संभागायुक्त की जांच टीम ने पाया कि निरीक्षणकर्ता डॉक्टरों ने अस्पताल के वेंटिलेशन, पर्याप्त जगह, बिल्डिंग कंप्लीशन लायसेंस जैसे तमाम आवश्यक तथ्यों के न होते हुए भी अस्पताल को क्लीनचिट दे दी। खास बात यह है कि अस्पताल में ब्लडबैंक जैसी सुविधा थी ही नहीं, बावजूद इसके निरीक्षणकर्ता डॉक्टरोें ने निरीक्षण की रिपोर्ट में ब्लड बैंक के सामने वाले कॉलम में हां अंकित कर दिया था।
इधर हाईकोर्ट ने फरार आरोपी डॉक्टरों की अग्रिम जमानत अर्जी की खारिज
जबलपुर के अस्पताल अग्निकांड मामले में जहां एक ओर स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है वहीं लंबे समय से फरार चल रहे अस्पताल के संचालक डॉ सुरेश पटेल और डॉ निशिंत गुप्ता की अग्रिम जमानत की याचिका को हाईकोर्ट ने खाजिर कर दिया। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि हादसे की प्रारंभिक जांच में अस्पताल प्रबंधन की अनियमितता उजागर हुई है। अभी मामले की जांच चल रही है और अभियोजन को कई और तथ्य भी जुटाने हैं। ऐसी स्थिति में अदालत ने दोनों फरार संचालकों को अग्रिम जमानत का लाभ देने से इनकार करते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी।