होमस्टे योजना में घरों का होना था रजिस्ट्रेशन, इधर रिसोर्ट और लग्जरी अपार्टमेंट की सरकारी खर्चे पर ब्रांडिंग

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Rahul Sharma
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होमस्टे योजना में घरों का होना था रजिस्ट्रेशन, इधर रिसोर्ट और लग्जरी अपार्टमेंट की सरकारी खर्चे पर ब्रांडिंग

Bhopal. 27 नवंबर...विश्व पर्यटन दिवस पर हम बात करेंगे प्रदेश के पर्यटन विभाग के होम स्टे योजना की। जैसे की नाम से ही स्पष्ट है होम...स्टे...यानी घर पर ठहरना या रूकना। योजना का उद्देश्य यात्री या पर्यटकों को घर से बाहर घर जैसा माहौल देना है और इसलिए इस योजना में घरों का रजिस्ट्रेशन होना था यानी जहां प्रॉपर्टी का मालिक अपने परिवार समेत रहता हो और अपने अतिरिक्त स्पेस को किराए पर देना चाहता हो...पर अन्य योजनाओं की तरह इस योजना को भी पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। योजना में रिसोर्ट और लग्जरी अपार्टमेंट के भी रजिस्ट्रेशन हुए। ये रिसोर्ट और लग्जरी अपार्टमेंट नियमों को ताक पर रखकर सरकारी संसाधनों और खर्चे से अपनी ब्रांडिंग करवा रहे हैं। होमस्टे योजना में मध्यप्रदेश में करीब 157 यूनिट्स रजिस्टर्ड है...इनमें से कई यूनिट ऐसी है जो घर नहीं है...फिर भी होम स्टे योजना के अंतर्गत रजिस्टर्ड है।




पहले समझ लीजिए होम स्टे योजना



होम स्टे योजना 2010 में बनाई गई थी, इसे मध्यप्रदेश होम स्टे स्थापना (पंजीयन तथा नियमन) योजना 2010 (संशोधित 2018) कहा जाता है। योजना का उद्देश्य देशी-विदेशी अतिथियों को किफायती दरों पर आवास, भोजन सुविधा प्रदाय करने के साथ—साथ विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति एवं आतिथ्य से परिचित कराना है। इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र को अपने आवास में उपलब्ध अतिरिक्त क्षमता से आय अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके लिए आवास इकाई को पर्यटन विभाग में 3 साल के लिए रजिस्टर्ड कराना होता है। उसके बाद पर्यटन विभाग रजिस्टर्ड इकाई को अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के साथ—साथ इसका प्रचार प्रसार भी करता है।




किन नियमों की हो रही अनदेखी...



— मध्यप्रदेश होम स्टे स्थापना (पंजीयन तथा नियमन) योजना 2010 (संशोधित 2018) के नियम 1.5 में स्पष्ट लिखा है कि यह योजना होटल, मोटल, गेस्ट हाउस पर लागू नहीं होगी। मतलब घरों के अलावा अन्य आवासीय इकाई इसमें शामिल नहीं होगी।



— मध्यप्रदेश होम स्टे स्थापना (पंजीयन तथा नियमन) योजना 2010 (संशोधित 2018) के नियम 2.6 में स्पष्ट लिखा है कि इकाई विशुद्धतः आवासीय इकाई हो और उसका स्वामी परिवार सहित भौतिक रूप से उसमें रह रहा हो, लेकिन हकीकत में कई ऐसी यूनिट्स है जो रिसोर्ट और लग्जरी अपार्टमेंट है।  




पर्यटन विभाग के होमस्टे योजना की यह है हकीकत...



केस 1 : हॉलिडे होम एंड रिसोर्ट रातीबड़ भोपाल (होमस्टे सूची में 10वे नंबर की यूनिट)




हकीकत : भोपाल रातीबड़ रोड स्थित हॉलिडे होम एंड रिसोर्ट एक फार्महाउस है। द सूत्र ने इसके मालिक ओमप्रकाश साहू से जब मोबाइल पर बात की तो उन्होंने खुद इसे स्वीकार किया।  



केस 2 : आर्यन कैंप पन्ना (होमस्टे सूची में 125वे नंबर की यूनिट)




हकीकत : पन्ना जिले के अंतर्गत टाइगर रिजर्व के मुख्य गेट के पास स्थित 5 एकड़ की इस प्रॉपर्टी के मालिक प्रभाकर तिवारी से जब द सूत्र ने ग्राहक बनकर बात की तो प्रभाकर तिवारी ने बताया कि यह एक फार्म स्टे है, जिसमें 4 अलग—अलग रूम ठहरने के लिए बनाए गए हैं।



केस 3 : स्टे—10 इंदौर (होमस्टे सूची में 67वे नंबर की यूनिट)




हकीकत : यह इंदौर के शक्तिनगर इलाके में मौजूद लग्जरी अपार्टमेंट है। इसका बकायदा यूट्यूब पर प्रमोशनल वीडियो तक अपलोड है। होमस्टे सूची में कई ऐसी प्रॉपर्टी है जो बड़ी ट्रेवल एजेंसियों की वेबसाइट पर भी रजिस्टर्ड है।  




क्या सरकारी फंड पर कमर्शियल प्रॉपर्टी की मौज



बड़ा सवाल यह कि होम स्टे योजना तो होटल, मोटल, गेस्ट हाउस के लिए थी ही नहीं...ऐसे में यह इकाईयां इस योजना में पंजीकृत कैसे हुई? होम स्टे योजना को प्रचारित प्रसारित करने के लिए सरकार भी फंड खर्च करती है। इसके अलावा एमपी टूरिज्म की आफीशियल वेबसाइट पर रजिस्टर्ड यूनिट्स की लिस्ट भी प्रदर्शित होती है...तो क्या यह माना जाए कि योजना की आड़ में सरकारी खर्चे और संसाधनों का उपयोग कर प्राइवेट कमर्शियल प्रॉपर्टी का भी प्रचार हो रहा है।




अब गांवों में 1 हजार घरों को होम स्टे बनाने की तैयारी



ग्रामीणांचलों में एक हजार परिवारों के माध्यम से पर्यटकों को आवासीय सुविधा प्रदान करने के लिए होम स्टे कमरों का नवीन निर्माण/उन्नयन किया जाएगा। योजना में 100 गांवों में अधोसंरचना निर्माण में मप्र टूरिज्म विभाग द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। विकास के लिए चयनित गांवों में होम स्टे निर्माण/उन्नयन की स्थापना लागत का 40% प्रतिशत अनुदान, नवीन होम स्टे निर्माण के लिए अधिकतम 2 लाख रुपए तथा विकसित करने के लिए अधिकतम 1 लाख 20 हजार रुपए दिया जाता है। अब सरकार की यह प्लानिंग जमीन पर सही ढंग से कितनी उतर पाती है यह तो कार्य पूर्ण होने पर  इन ग्रामीण होमस्टे की बुकिंग शुरू होने के बाद ही पता चल सकेगा।  


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