पेंडिंग बिल की वजह से MPEB ने काटी आंगनवाड़ियों की बिजली; 8,500 केंद्र अंधेरे में

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Ruchi Verma
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पेंडिंग बिल की वजह से MPEB ने काटी आंगनवाड़ियों की बिजली; 8,500 केंद्र अंधेरे में

BHOPAL: जहाँ एक तरफ भारत सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों को प्री स्कूल शिक्षा स्मार्ट तरीके से प्रदान करने के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था शुरू करने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश सरकार अपनी आंगनबाड़ियों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति पहुंचाने में ही असफल है। इस बात की शिकायत हम नहीं बल्कि खुद सरकार के अपने आंकड़े और उनके अपने अधिकारी कर रहे हैं। ज्ञात हो की लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के हिसाब से मध्य प्रदेश के करीब 8,500 आंगनवाड़ी केंद्रों में अभी भी बिजली व्यवस्था नहीं है। वहीं अब राज्य के अफसर/ कलेक्टर्स अब यह शिकायत कर रहे हैं की राज्य के जिन कुछ आंगनवाड़ी  केंद्रों में बिजली है भी तो उनके कनेक्शन भी अब इसलिए काटे जा रहे हैं क्योंकि सरकार ने विद्युत कंपनी को उनका बिजली बिल नहीं अदा किया है।





यह बात उठाई है जबलपुर संभाग का है जहां के कमिश्नर बी चंद्रशेखर ने मध्य प्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक शिकायती पत्र लिखा (30 मई, 2022) है जो कि संभाग के आंगनवाड़ी केंद्रों के बकाया बिजली बिलों के भुगतान के सम्बन्ध में हैं। इसमें उन्होंने लिखा है वे कोशिश कर रहें हैं कि एरिया के आंगनवाड़ी केंद्रों में 100% बिजली कनेक्शन हो।  इसके लिए वो हर हफ्ते मंगलवार को व्यवस्था कि समीक्षा भी करते हैं। यही नहीं, राज्य के बाकी सभी जिलों के कलेक्टर्स को भी सरकार द्वारा यह निर्देशित किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि आंगनबाड़ी केंद्रों के हर कक्ष में पंखा और लाइट हो। परन्तु कलेक्टर्स का कहना है कि बिजली बिलों का भुगतान लंबित होने के कारण मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों के इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन काटे जा रहें हैं। बी चंद्रशेखर ने साफ़ लिखा कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बिजली कि व्यवस्था एक बुनियादी जरुरत है और कनेक्शन काटने से केंद्रों पर आने वाले बच्चों कि पढ़ाई में दिक्कत होती है। ज्ञात हो की अकेले जबलपुर जिले में कुल 2483 आंगनवाड़ियों संचालित हो रहीं हैं। वहीँ पूरे प्रदेश में करीब 97135 आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं।





अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों के बिजली भुगतान के लिए यह सिस्टम था





दरअसल, अभी तक राज्य की आंगनवाड़ी केंद्रों में बिजली जरुरी प्रावधान नहीं था। इसी वजह से जिस तरह आंगनवाड़ियों में पानी, पोषण एवं पढ़ाई जैसी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अलग से फण्ड आता है उस तरह आंगनबाड़ी केंद्रों को बिजली बिल भुगतान के लिए अलग से किसी तरह का फण्ड आवंटित नहीं किया जाता था। ऐसे में पूरे प्रदेश में अब जहां-जहां आंगनवाड़ी  केंद्रों में बिजली है...तो वहां के विद्युत उपयोग के बिलों का भी भुगतान अभी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एकमुश्त न करके अलग-अलग किया जाता रहा है।





क्या किया जा सकता है





बी चंद्रशेखर का सुझाव है कि ग्राम पंचायतों के बिजली बिलों का भुगतान के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी से अनुबंध है। जिसके तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग  शासन स्तर से कंपनी को एकमुश्त बिल राशि देता है। .....इसी तरह कि व्यवस्था महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समस्त आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए भी की जा सकती है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग मध्य प्रदेश विद्युत् वितरण कम्पनी से अनुबंध कर सकता है। जिसके तहत विभाग शासन स्तर से ही सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के बिजली बिलों का भुगतान एकमुश्त कर सकेगा।





मामले की जानकारी नहीं है, चेक करवाएंगे: डॉ.रामराव भोंसले, संचालक, महिला एवं बाल विकास







  • इस पूरे मामले में द सूत्र ने बात की महिला एवं बाल विकास संचालक डॉ. रामराव भोंसले से। जबलपुर कमिश्नर बी चंद्रशेखर द्वारा लिखे पत्र को लेकर उन्होंने कहा अभी उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। और अगर ऐसा है तो वो उसे चेक करवाएंगे।



  • जब उनसे पूछा गया कि क्या अभी राज्य में आंगनवाड़ियों  में बिजली-व्यवस्था को लेकर क्या हालात हैं और क्यों बिजली-बिल के लिए अलग से बजट का प्रावधान नहीं है? तो उन्होंने बताया कि यह सच है कि वर्ष 2021 तक आंगनवाड़ियों  में बिजली कनेक्शन प्राथमिकता नहीं था और इसलिए इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान नहीं था। लेकिन वर्ष 2022 में राज्य सरकार ने पहली बार राज्य की उन आंगनवाड़ियों में जहां बिजली कनेक्शन नहीं है...वहाँ बिजली पहुंचाने के लिए अलग से 4,000 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। इस फण्ड के तहत काम शुरू भी हो चुका है। और करीब 34,000 आंगनवाड़ियों  में जल-जीवन मिशन के तहत बिजली एवं पानी दोनों के कनेक्शन करवाए जा रहें हैं - यह कनेक्शन PHE डिपार्टमेंट की मदद से होगी। इन 34,000 आंगनवाड़ियों  में से 22,000 में बिजली कनेक्शन हो चुकें हैं। साथ ही इसी इस साल से बिजली बिल के भुगतान के लिए भी सरकार अलग से पैसा दे रही है। ये काम भी शुरू हो चुका है। साथ ही जैसा की CM शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में आंगनवाड़ियों के लिए खिलौने इकट्ठे करने के लिए भोपाल में हुए इवेंट में यह बात की थी कि प्रदेश की सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में जल्द ही बिजली कनेक्शन होगा। इसी को पूरा करते हुए भोपाल की जिन 370 आंगनवाड़ियों में बिजली कनेक्शन नहीं थे उनमें से 292 आंगनवाड़ियों  में कनेक्शन हो चुके हैं।






  • अब यह पूरा मामला देखसुनकर तो यही लगता है कि मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में अडॉप्ट एन आंगनबाड़ी प्रोग्राम के तहत आंगनबाड़ियों के लिए खिलौने इकट्ठे करने के लिए भोपाल में हुए इवेंट में यह बात शायद सिर्फ खेल खेल में ही बोल दी थी कि प्रदेश की सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में जल्द ही बिजली कनेक्शन होगा ताकि बच्चे टीवी देखने और खेलने का आनंद ले सकें। क्योंकि अगर वह मामले में गंभीर होते तो नए बिजली कनेक्शन तो बाद की बात है पर कम से कम जहाँ बिजली है वहाँ का कनेक्शन तो नहीं काटने देते। और वो भी तब जब अब सरकार बिजली बिल के लिए अलग से फण्ड दे रही है।  





    मध्यप्रदेश की आंगनवाड़ियों की स्थिति







    • मप्र में कुल 97 हजार 135 आंगनवाड़ियां हैं।



  • महिला बाल विकास विभाग की तरफ से 6 अगस्त 2021 को जारी किए आंकड़े के मुताबिक 86 हजार 435 आंगनवाड़ियों में ही पीने का पानी है। यानी करीब 10 हजार आंगनवाड़ियों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है।


  • 68 हजार 235 आंगनवाड़ियों में ही केवल शौचालय की व्यवस्था है। यानी 30 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ियों में शौचालय नहीं है।


  • वहीं, 97 हजार 135 आंगनवाड़ियों में से 25 हजार 280 आंगनवाड़ियां किराए के भवन में चलती है और 10 हजार 883 आंगनवाड़ियां कच्चे  भवन में संचालित होती हैं।


  • 93,795 केंद्रों में शिशु गृह तक नहीं है...यानी लगभग 4 हजार आंगनवाड़ियों में ही शिशु गृह है।


  • 46,554 आंगनवाड़ी केंद्रों में रसोई घर की व्यवस्था नहीं है।


  • 15,928 केंद्रों पर उपकरणों के भंडारण की जगह नहीं है...यानी कि, एक ही कमरे में आंगनवाड़ी चल रही है...और उसी में सामान को भी रखा जा रहा है। 


  • 75,700 केंद्रों पर बच्चों के बैठने की कुर्सियां उपलब्ध ही नहीं हैं।  


  • 69,923 केंद्रों में पंखा और 66,394 केंद्रों में उजाले के लिए बल्ब उपलब्ध नहीं हैं।  




  • मध्य प्रदेश Madhya Pradesh ICDS महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ADOPT AN ANGANWADI आंगनवाड़ी Bhopal AANGANWADI WCDMP Ministry of Women & Child Development शिवराज सिंह चौहान आईसीडीएस भोपाल SHIVRAJ SINGH CHOUHAN