BHOPAL: जहाँ एक तरफ भारत सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों को प्री स्कूल शिक्षा स्मार्ट तरीके से प्रदान करने के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था शुरू करने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश सरकार अपनी आंगनबाड़ियों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति पहुंचाने में ही असफल है। इस बात की शिकायत हम नहीं बल्कि खुद सरकार के अपने आंकड़े और उनके अपने अधिकारी कर रहे हैं। ज्ञात हो की लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के हिसाब से मध्य प्रदेश के करीब 8,500 आंगनवाड़ी केंद्रों में अभी भी बिजली व्यवस्था नहीं है। वहीं अब राज्य के अफसर/ कलेक्टर्स अब यह शिकायत कर रहे हैं की राज्य के जिन कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों में बिजली है भी तो उनके कनेक्शन भी अब इसलिए काटे जा रहे हैं क्योंकि सरकार ने विद्युत कंपनी को उनका बिजली बिल नहीं अदा किया है।
यह बात उठाई है जबलपुर संभाग का है जहां के कमिश्नर बी चंद्रशेखर ने मध्य प्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक शिकायती पत्र लिखा (30 मई, 2022) है जो कि संभाग के आंगनवाड़ी केंद्रों के बकाया बिजली बिलों के भुगतान के सम्बन्ध में हैं। इसमें उन्होंने लिखा है वे कोशिश कर रहें हैं कि एरिया के आंगनवाड़ी केंद्रों में 100% बिजली कनेक्शन हो। इसके लिए वो हर हफ्ते मंगलवार को व्यवस्था कि समीक्षा भी करते हैं। यही नहीं, राज्य के बाकी सभी जिलों के कलेक्टर्स को भी सरकार द्वारा यह निर्देशित किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि आंगनबाड़ी केंद्रों के हर कक्ष में पंखा और लाइट हो। परन्तु कलेक्टर्स का कहना है कि बिजली बिलों का भुगतान लंबित होने के कारण मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों के इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन काटे जा रहें हैं। बी चंद्रशेखर ने साफ़ लिखा कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बिजली कि व्यवस्था एक बुनियादी जरुरत है और कनेक्शन काटने से केंद्रों पर आने वाले बच्चों कि पढ़ाई में दिक्कत होती है। ज्ञात हो की अकेले जबलपुर जिले में कुल 2483 आंगनवाड़ियों संचालित हो रहीं हैं। वहीँ पूरे प्रदेश में करीब 97135 आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं।
अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों के बिजली भुगतान के लिए यह सिस्टम था
दरअसल, अभी तक राज्य की आंगनवाड़ी केंद्रों में बिजली जरुरी प्रावधान नहीं था। इसी वजह से जिस तरह आंगनवाड़ियों में पानी, पोषण एवं पढ़ाई जैसी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अलग से फण्ड आता है उस तरह आंगनबाड़ी केंद्रों को बिजली बिल भुगतान के लिए अलग से किसी तरह का फण्ड आवंटित नहीं किया जाता था। ऐसे में पूरे प्रदेश में अब जहां-जहां आंगनवाड़ी केंद्रों में बिजली है...तो वहां के विद्युत उपयोग के बिलों का भी भुगतान अभी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एकमुश्त न करके अलग-अलग किया जाता रहा है।
क्या किया जा सकता है
बी चंद्रशेखर का सुझाव है कि ग्राम पंचायतों के बिजली बिलों का भुगतान के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी से अनुबंध है। जिसके तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग शासन स्तर से कंपनी को एकमुश्त बिल राशि देता है। .....इसी तरह कि व्यवस्था महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समस्त आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए भी की जा सकती है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग मध्य प्रदेश विद्युत् वितरण कम्पनी से अनुबंध कर सकता है। जिसके तहत विभाग शासन स्तर से ही सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के बिजली बिलों का भुगतान एकमुश्त कर सकेगा।
मामले की जानकारी नहीं है, चेक करवाएंगे: डॉ.रामराव भोंसले, संचालक, महिला एवं बाल विकास
- इस पूरे मामले में द सूत्र ने बात की महिला एवं बाल विकास संचालक डॉ. रामराव भोंसले से। जबलपुर कमिश्नर बी चंद्रशेखर द्वारा लिखे पत्र को लेकर उन्होंने कहा अभी उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। और अगर ऐसा है तो वो उसे चेक करवाएंगे।
अब यह पूरा मामला देखसुनकर तो यही लगता है कि मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में अडॉप्ट एन आंगनबाड़ी प्रोग्राम के तहत आंगनबाड़ियों के लिए खिलौने इकट्ठे करने के लिए भोपाल में हुए इवेंट में यह बात शायद सिर्फ खेल खेल में ही बोल दी थी कि प्रदेश की सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में जल्द ही बिजली कनेक्शन होगा ताकि बच्चे टीवी देखने और खेलने का आनंद ले सकें। क्योंकि अगर वह मामले में गंभीर होते तो नए बिजली कनेक्शन तो बाद की बात है पर कम से कम जहाँ बिजली है वहाँ का कनेक्शन तो नहीं काटने देते। और वो भी तब जब अब सरकार बिजली बिल के लिए अलग से फण्ड दे रही है।
मध्यप्रदेश की आंगनवाड़ियों की स्थिति
- मप्र में कुल 97 हजार 135 आंगनवाड़ियां हैं।