Jabalpur. घपलेबाजी के आरोप में जेल में बंद बिशप पीसी सिंह पर नियति प्रहार पर प्रहार किए जा रही है। ताजा चोट उसे उसी सीएनआई ने दी है जिसका माडरेटर बनकर वह घपलेबाजी किया करता था। दिल्ली के सीएनआई भवन में आयोजित हुई बैठक के बाद बिशप पीसी सिंह को संस्था के माडरेटर पद से निलंबित कर दिया गया है। बैठक में 23 सदस्यों की सहमति के आधार पर पूर्व बिशप पर यह कार्रवाई की गई। इससे पहले सीएनआई ने पीसी सिंह को बिशप के पद से हटाया था। इसके अलावा बिशप पीसी सिंह उनकी पत्नी नोरा सिंह और बेटे पीयूषपाल सिंह से जबलपुर के सभी शैक्षणिक व अन्य संस्थाओं की साइनिंग अथॉरिटी भी छीन ली गई थी। बता दें कि ईओडब्ल्यू द्वारा कार्रवाई का शिकंजा कसे जाने के बाद से बिशप पीसी सिंह, पीयूषपाल सिंह और सुरेश जैकब जेल में निरूद्ध हैं।
23 बिशप करते थे बिशप के मातहत काम
बताया जा रहा है कि पूर्व बिशप पीसी सिंह के अधीन 23 बिशप काम करते थे। पीसी सिंह जो भी चाहता था वह आदेश सभी 23 बिशप को मानना पड़ता था। यही कारण था कि कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद भी पीसी सिंह ने कभी माडरेटर पद का चुनाव भी नहीं होने दिया था।
संस्था के आला अधिकारियों से भी हो चुकी पूछताछ
मामले में अब तक साइनोड ऑफ द चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया जबलपुर डायोसिस के पूर्व जनरल सेक्रेटरी डेनिस लाल और खजांची सुब्रता गुरई से भी ईओडब्ल्यू लंबी पूछताछ कर चुकी है। खासकर डेनिस लाल पर अब भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
एक और मैनेजर पर नजर
पता चला है कि ईओडब्ल्यू को क्राइस्ट चर्च स्कूल से जुड़े एक मैनेजर की जानकारी हाथ लगी है जो नोरा सिंह की तरह ही 3 जगहों पर पदस्थ है और उसे तीनों पदों की सैलरी दी जाती है। सूत्रों की मानें तो वह व्यक्ति एक बड़े अधिकारी का रिश्तेदार बताया जा रहा है। फिलहाल ईओडब्ल्यू पुख्ता सबूत हाथ लगने का इंतजार कर रही है।