Jabalpur. जबलपुर के सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में चल रही आयुष्मान योजना के फर्जीवाड़े में डॉ अश्वनी पाठक और उनकी पत्नी डॉ दुहिता पाठक की पुलिस रिमांड में पूछताछ चल रही है। अस्पताल के मैनेजर कमलेश्वर मेहतो को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि इस पूरे घोटाले में ग्रामीण क्षेत्रों से दलालों के जरिए बुलाए गए आयुष्मान कार्डधारियों के भर्ती होने से लेकर वैरीफिकेशन तक उन पर नजर रखने और हिसाब किताब की जिम्मेदारी मैनेजर कम एकाउंटेंट कमलेश्वर मेहतो की ही होती थी। पुलिस अब डॉक्टर दंपति के साथ-साथ आरोपी मैनेजर से इस गिरोह में शामिल हर किरदार के बारे में पूछताछ कर रही है।
घोटाले की जांच अब करेगी एसआईटी
आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के इस स्कैम की जांच अब एसआईटी से कराई जाएगी। एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने एडीशनल एसपी गोपाल खांडेल के सुपरविजन में एसआईटी का गठन किया है। जिसमें सीएसपी अखिलेश गौर और सीएसपी प्रभात शुक्ला, टीआई मधुर पटैरिया, विजय तिवारी, निरूपा पांडे और एसआई शैलेंद्र सिंह को शामिल किया गया है। मामले की जांच के लिए एसआईटी की टीम आज डॉक्टर दंपति को लेकर सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल भी पहुंची जहां स्कैम से जुड़े दस्तावेजों को खंगालने का काम जारी रहा।
प्रयोग के तौर पर की थी शुरूआत
सूत्रों की मानें तो अब तक की पूछताछ में यही सामने आया है कि कोरोना काल में डॉक्टर दंपति ने प्रयोग के तौर पर दो-चार आयुष्मान कार्डधारियों पर इस तरह का प्रयोग किया था जिसमें सफलता मिलने पर दंपति ने आयुष्मान कार्डधारियों के जरिए शासन को चूना लगाने के लिए पूरा नेटवर्क तैयार कर लिया। इस पूरे फर्जीवाड़े में अहम भूमिका वे दलाल निभाते थे जो ग्रामीण क्षेत्रों से कम पढ़े लिखे हितग्राहियों को चंद हजार रुपए की लालच देकर अस्पताल में भर्ती कराने लाते थे।
मरीजों की फाइल और बयानों का हो रहा मिलान
दरअसल होटल में भर्ती गुड्डा ठाकुर नाम के मरीज ने पूछताछ में बताया कि उसे मामूली पेट दर्द और पसली में दर्द होने पर 25 अगस्त को भर्ती किया गया था। मरीज को न तो उल्टी-दस्त हुए और न बेहोशी या फिर रक्तस्त्राव हुआ था। लेकिन जब मरीज की फाइल के डायग्नोसिस पर नजर डाली गई तो उसे निर्जलीकरण के साथ बेहोश होना बताया गया। ट्रीटमेंट में भी डॉक्टर के द्वारा देखा जाना बताया गया और 4 दिन में 12 आईव्ही फ्लूड चढ़ाने का जिक्र था जबकि बकौल मरीज गुड्डा ठाकुर उसे 4 दिन में सिर्फ एक बॉटल ही चढ़ाई गई थी। इस पूरे फर्जीवाड़े का पता लगाने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में भर्ती हुए आयुष्मान योजना के सभी मरीजों के डाटा को निकलवाया जाएगा। जिसके बाद एक-एक मरीज के इलाज और उसमें हुए भुगतान का सच सामने आएगा।
वैरीफिकेशन करने वाले भी संदेह के घेरे में
आयुष्मान योजना के प्रभारी अधिकारी रामभुवन सोनी की मानें तो आयुष्मान योजना के तहत भर्ती मरीज की जानकारी पहले ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज कराई जाती है। जिसके बाद मरीज का वैरीफिकेशन कराया जाता है जिसके बाद इलाज शुरू करने हरीझंडी दी जाती है। इस पूरे फर्जीवाड़े में मरीजों का वैरीफिकेशन करने वालों पर भी संदेह बढ़ गया है कि आखिर एक ही अस्पताल में इतने सारे मरीजों का वैरीफिकेशन करने के बाद भी उन लोगों को इस फर्जीवाड़े की भनक क्यों नहीं लगी। या फिर यह भी हो सकता है कि वैरीफिकेशन करने वाले भी इसी गिरोह का ही हिस्सा बन गए हों।