जबलपुर. पाटन विधानसभा सीट (Patan Assembly Constituency) से विधायक अजय विश्नोई (Ajay Vishnoi) और केंट विधायक अशोक रोहाणी (Kent MLA Ashok Rohani) दोनों ने पुलिस (Police) को शिकायत की है कि उनके लेटरहैड (Letterhead) का किसी ने गलत इस्तेमाल कर पुलिसकर्मियों के तबादले की सिफारिश की है। खुलासा तब हुआ जब ये सिफारिश (Recommendation) पत्र अधिकारियों के पास पहुंचा। जिस तरीके की भाषा का लैटरहेड में इस्तेमाल किया गया था, उससे अधिकारियों को शंका हुई। अधिकारियों ने विधायकों से पूछा, तो दोनों ने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की। तबादले की सिफारिश करने वाला कोई पुलिसकर्मी ही है। अब पुलिस को अपने ही महकमे से जुड़े उस शख्स को खोजना है, जिसने जालसाजी के इस कारनामे को अंजाम दिया है। इस तरह के सिफारशी पत्रों के आधार पर सरकारी दफ्तरों में कितने तबादले हो चुके हैं। मामला सामने आने के बाद विधायकों ने एसपी से प्रकरण में जांच के लिए कहा है।
पुलिस ने दिया जांच का भरोसा
अब एक बार फिर इस तरह का मामला सामने आने के बाद प्रशासन में जहां हड़कंप मचा हुआ है, तो वही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि इस तरह के शिफारशी पत्रों पर अब तक सरकारी महकमों में कितने ट्रांसफर हो चुके हैं? बहरहाल, इस मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने भी अपनी तरफ से जांच का भरोसा दिलाया है। यह पहला मौका नहीं है जब सत्ताधारी विधायकों के लेटर पैड का इस्तेमाल कर सरकारी महकमों में सिफारिश पत्र भेजे गए थे। इसके पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आए, लेकिन विधायकों के द्वारा शिकायत दर्ज (complaint filed) न कराने के चलते न तो जांच पूरी हो पाई और न ही दोषी बेनकाब हो पाए हैं।
चौंक गए सत्ताधारी विधायक
विधायकों के लेटर पैड और दस्तखत के फर्जी होने का खुलासा सिफारिशी पत्रों में असभ्य भाषा के इस्तेमाल के चलते हुआ। विधायक अजय विश्नोई के लेटर पेड पर लिखा गया यह पत्र जब अधिकारी के पास पहुंचा तो उसने विश्नोई को इसकी जानकारी दी। इसी तरह विधायक अशोक रोहाणी के नाम से लिखा पत्र उनके पिता स्वर्गीय ईश्वरदास रोहाणी (तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष) के लेटर पैड पर था। खुद के लेटर पैड और फर्जी दस्तखत से सिफारिश पत्र लिखने की खबर मिलते ही जबलपुर के दोनों ही सत्ताधारी विधायक चौंक उठे और उन्होंने इस तरह की जालसाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। दोनों विधायकों ने जबलपुर के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा (SP Siddhartha Bahuguna) को जांच करके कार्रवाई के लिए कहा है।
पहले भी हो चुका इस तरह का फर्जीवाड़ा
मध्यप्रदेश में विधायकों और सांसदों की फर्जी नोटशीट-लैटर हेड का इस्तेमाल कर शासकीय कर्मचारियों के ट्रांसफर की अनुशंसा करने वाले गिरोह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मामले का मुख्य आरोपी रामप्रसाद राही उर्फ गुप्ता ने पुलिस को बताया था कि उसने किसी भी सांसद के नाम से ट्रांसफर के लिए नोटशीट नहीं भेजी थी। उसने सिर्फ विधायक का लैटरहेड इस्तेमाल किया था। सीधी में पदस्थ प्रभारी तहसीलदार वीरेंद्र पटेल को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया था। देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी (Dewas MP Mahendra Singh Solanki) के नाम से तहसीलदार वीरेंद्र का सीधी से देवास ट्रांसफर की अनुशंसा की गई थी। इसी तरह भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Bhopal MP Sadhvi Pragya Singh Thakur), राजगढ़ सांसद रोडमल नागर (Rajgarh MP Rodmal Nagar) के नाम से भी फर्जी अनुशंसा की गई थी। पांच महीने पहले भोपाल क्राइम ब्रांच ने विधायकों, सांसदों की फर्जी नोटशीट भेजकर कर्मचारियों के ट्रांसफर की अनुशंसा करने वाले 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का पुराना चपरासी रामगोपाल पाराशर, विधायक रामपाल सिंह का पूर्व कुक रामप्रसाद राही भी शामिल था।
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