Jabalpur:जबलपुर नगरनिगम प्रदेश की पहली नगर निगम,भवानी से स्वाति तक मेयर की लिस्ट

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Rajeev Upadhyay
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Jabalpur:जबलपुर नगरनिगम प्रदेश की पहली नगर निगम,भवानी से स्वाति तक मेयर की लिस्ट

Jabalpur. मध्य प्रदेश की पहली नगर निगम जबलपुर है। नगर निगम का इतिहास  बहुत गौरवशाली है। हर महापौर की कार्यशैली इस तरह रही कि उन्हें उनके किसी न किसी विशेष काम से जाना गया। नगर निगम को 1864 के लखनऊ  नगर पालिका अधिनियम के अंतर्गत  नगर समिति के रूप में स्थापित किया गया था। इसमें बदलाव 1935 में किया गया और राज्य सरकार ने प्रशासन खुद अपने हाथ में ले लिया। इसके बाद 1948 में नगर पालिका अधिनियम बना। इस अधिनियम के आलोक में जबलपुर नगर निगम की स्थापना 1 जून 1950 को हुई। 





हर महापौर के विशेष कार्य....




शुरुआती दौर में महापौर के पद के लिए एक.एक साल का कार्यकाल रहता था। पहले महापौर पंडित भवानी प्रसाद तिवारी थे। ये 1952ए1953 और 1955से लेकर 1958 तक महापौर रहे। 1954 में श्रीमति इंदिरा शर्मा ने मेयर के पद पर पदासीन होकर नगर निगम की बागडोर संभाली। इनके बाद सवाईमल जैन बने लेकिन फिर भवानी प्रसाद तिवारी एक साल के लिए महापौर बने। इनको स्टेडियम के चारों ओर मार्केट बनवाने का श्रेय दिया जाता है। तिवारी के बाद रामेश्वर प्रसाद गुरु महापौर बने इन्होंने साफ छवि के रूप में पहचान बनाई।फिर मुलायम चंद जैन महापौर बने। महापौर नारायण प्रसाद चौधरी अपनी दबंग छवि के लिए पहचाने गए। पन्नालाल श्रीवास्तवए गुलाबचंद्र गुप्ताए डॉ एस सी बराटए डॉ के एल दुबे के बाद  डॉ गंगा प्रसाद पटेल महापौर बने। पटेल के समय ललपुर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बना। पत्रकारिता जगत के अमिट हस्ताक्षर मुन्दर शर्मा भी महापौर के पद पर चुने गए उनके कार्यकाल में बेहतर सड़कों का निर्माण हुआ। इनके अलावा शिवनाथ साहू दो कार्यकाल में महापौर रहे।इनके कार्यकाल में शहर में उद्यान विकसित किए गए। शिवनाथ साहू के बाद मनोनयन से महापौर बनने वाले आखिरी शख्स एन पी दुबे रहे। जिसके बाद महापौर का चयन प्रत्यक्ष चुनाव के जरिए होने लगा ।




कल्याणी पाण्डे बनीं पहली निर्वाचित मेयर




साल 1995 में प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव हुए। जिसमें पार्षदों द्वारा महापौर का चयन किया गया। कल्याणी के कार्यकाल में स्ट्रीट लाइट पर काम हुआ साथ ही सीमेंटेड सड़कें बनवाई गईं। इनके कार्यकाल में जबलपुर में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भी निगम द्वारा अनेक राहत कार्य हुए। इसके पश्चात साल 2000 में महापौर सीधे जनता द्वारा चुने जाने लगे। यहां भी कांग्रेस के पण्डित विश्वनाथ दुबे ने भाजपा के अंबिकेश्वर दुबे को हराकर मेयर का गाउन पहना। दुबे का कार्यकाल मॉडल रोड के निर्माण और अतिक्रमण समेत बेजा कब्जों को हटाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने पहली बार एडीबी का फंड भी स्वीकृत करवाया। 

2004 में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद दुबे ने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद 6 माह के लिए सदानंद गोडबोले महापौर रहे। दुबे के कार्यकाल की खास बात यह रही कि चुनावों में कांग्रेस के पास बहुमत नहीं था इसलिए निगम अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा के राजकुमार मेहता काबिज रहे। साल 2005 में हुए चुनाव में सुशीला सिंह महापौर बनीं इनके कार्यकाल में जेएनयूआरएम के अंतर्गत रमनगरा वाटर ट्रीटमेण्ट प्लांट का निर्माण हुआ वहीं मेट्रो बस इन्ही के कार्यकाल की देन है। साल 2010 में मेयर बने प्रभात साहू का कार्यकाल सीवर लाइन, नालों को पक्का करने, नर्मदा तट के सौंदर्यीकरण के लिए जाना जाता है। तो पिछली महापौर स्वाति गोडबोले के कार्यकाल में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के तहत कार्य शुरू हुए। कांग्रेस के अंतिम महापौर पंडित विश्वनाथ दुबे थे। इनके बाद पिछले 16 साल से भाजपा से महापौर पद पर आसीन हो रहे हैं।




30 से 79 वार्ड तक हुआ विस्तार




 नगर निगम जबलपुर की स्थापना के समय 30 वार्ड थे। समय के साथ नगर की सीमा बढ़ी तो वार्ड की संख्या 70 हुई फिर 9 नए वार्ड जोड़े गए। इस तरह अब 79 वार्ड हैं।

 


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