जबलपुर: जेल में खुलेगा सुभाषचंद्र बोस पर आधारित म्यूजियम, 2 बार यहां बंद हुए थे

author-image
एडिट
New Update
जबलपुर: जेल में खुलेगा सुभाषचंद्र बोस पर आधारित म्यूजियम, 2 बार यहां बंद हुए थे

जबलपुर. सेंट्रल जेल (Jabalpur Central Jail) केवल खूंखार कैदियों की बदनाम जगह ही नहीं बल्कि आजादी के दीवानों का तीर्थ स्थल भी है। यहां आजादी की लड़ाई के दौरान तमाम स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) को भी अंग्रेजों ने कैद में रखा था। साल 1933 और 1934 के दौरान नेताजी को दो बार जबलपुर जेल में बंद किया गया। स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) को अब जबलपुर के लोग करीब से जान पाएंगे। 



नेताजी पर आधारित म्यूजियम : जबलपुर के सेंट्रल जेल में मध्य प्रदेश का पहला नेताजी पर आधारित एक संग्रहालय (Museum) खुलने जा रहा है। संग्रहालय में केवल नेताजी से जुड़ी कारावास के दौरान इस्तेमाल किए गए सामान को सहेज कर रखा गया है। जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर (Superintendent Akhilesh Tomar) के मुताबिक 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर सेंट्रल जेल में म्यूजियम आम लोगों की खातिर खोल दिया जाएगा।



23 जनवरी को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा : अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में जिस चहारदीवारी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैद थे, जेल का वह वार्ड अब संग्रहालय का रूप लेने जा रहा है। जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल के सुभाष वार्ड को म्यूजियम का रूप दिया जा रहा है। उसे 23 जनवरी को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर केंद्रीय जेल प्रशासन की तरफ से सुभाष वार्ड को म्यूजियम का रूप दिया जा रहा है। खास बात यह है कि इस म्यूज़ियम को बनाने में खुद कैदी ही इंजीनियर और कारपेंटर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। चित्रकारी से लेकर गार्डन बनाने तक का काम कैदी कर रहे हैं। यहां तक कि सुभाष वार्ड के अंदर जहां नेताजी बंद थे, उसे भी नई साज-सज्जा के साथ एक नया स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है।



दो पालियों में संग्रहालय खुलेगा : 23 जनवरी नेताजी की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। जबलपुर केंद्रीय जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया कि सरकार के फैसले के बाद जिस वार्ड में नेताजी बंद थे यानी सुभाष वार्ड को अब म्यूजियम का रूप दे दिया गया है। अमूमन अभी विशेष मौके पर ही शहरवासी सुभाष वार्ड को देख पाते थे लेकिन अब निरंतर लोग इस वार्ड को म्यूजियम के रूप में देख सकेंगे। शुरुआती तौर पर सुरक्षा मापदंडों के पूरा होने तक केवल रविवार और शनिवार को इसे खोला जाएगा। सुबह और शाम दो पालियों में संग्रहालय खुलेगा। इस दौरान आम लोग इस म्यूजियम में रखी नेताजी की विभिन्न ऐतिहासिक वस्तुओं का अवलोकन कर पाएंगे।



ये स्मृति अब भी है : जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था। सन 1933 और 34 में अंग्रेजों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को इसी जेल में लाकर बंद किया था, जहां वो एक बार 6 माह और दुबारा एक सप्ताह कैद रहे। 13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कर दिया गया था। इस जेल में आज भी नेताजी की शयनपट्टिका के अलावा जिस जंजीर से उन्हें बांधा गया था, वो भी मौजूद है। इसके आलावा चक्की-हंटर के साथ कई और सामान जेल प्रबंधन के पास आज भी मौजूद है, जो अब आम लोग भी देख सकेंगे।


Jabalpur जबलपुर Central Jail सेंट्रल जेल Museum सुभाषचंद्र बोस Netaji Subhash Chandra Bose नेताजी संग्रहालय स्वाधीनता संग्राम सेनानियों अधीक्षक अखिलेश तोमर Superintendent Akhilesh Tomar