Bhopal. मध्यप्रदेश की जेलों के हाल देखकर लगता है कि सरकार को जेलों की संख्या बढ़ाने का समय आ गया है। क्योकिं इन दिनों प्रदेश की जेल की हालत बदतर हैं। जेल में कैदियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अब जेल में जगह कम पड़ने लगी है और ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब जेल में कैदियों का आकड़ा 50 हजार तक पहुंचने वाला है। प्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जोकि चिंता का विषय है। कई जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद है। कहीं न कहीं राज्य में जेलों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता हैं।
क्षमता से ज्यादा बंदी बंद
जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि ऐसा पहली मर्तबा हो रहा है जब प्रदेश की जेलों में कैदियों का आंकड़ा 50 हजार को छूने वाला है। एक- डेढ़ साल पहले भी कैदियों की संख्या बढ़ी थी लेकिन इतनी नहीं पहुंची थी। प्रदेश की जेल में इन दिनों रिकॉर्ड तोड़ कैदी है। जेल प्रशासन के मुताबिक पहली मर्तबा प्रदेश की जेलों में कैदियों की इतनी ज्यादा संख्या सामने आई है। प्रदेशभर की जेलों में इस समय कुल 49 हजार 949 कैदी हैं, जिनमें दंडित कैदियों की संख्या 19 हजार 636, विचाराधीन कैदियों की संख्या 30 हजार 89 और अन्य 224 कैदी सलाखों के पीछे बंद हैं। गौरलतब है कि प्रदेशभर की जेलों की क्षमता 29 हजार 575 कैदियों की है,लेकिन इस वक्त प्रदेश की जेलों में क्षमता से 20 हजार 374 ज्यादा कैदी बंद हैं।
प्रदेशभर के जेलों में कैदियों की मौजूदा संख्या
प्रदेशभर के जेल में बंद दंडित और विचारधीन दोनों प्रकार के कैदी बंद हैं। अगर दंडित कैदियों की बात की जाए तो पुरूषों की संख्या 18 हजार 826 और 810 महिला बंद हैं। विचारधीन पुरूषों की संख्या 28 हजार 993 और 1 हजार 96 महिलाएं बंद हैं। अन्य कैदियों की बात की जाए तो 221 पुरूष और 3 महिला कैद हैं। कुल मिलाकर 48 हजार 40 पुरूष और 1 हजार 909 महिलाएं मिलाकर 49 हजार 949 कैदी सलाखों के पीछे अपने कर्मे की सजा काट रहे हैं।
क्या-क्या होता है जेल के अंदर
जेल के अंदर सभी कैदियों को एक समान जो भी नियम के मुताबिक सुविधाएं जैसे- खाना अध्यात्मिक उन्नत, शिक्षा, मनोरंजन, कपड़े, कविता पाठ, योग और मेडिकल सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। हां अगर जेल के अंदर कैदी की कोई शिकायत होती है तो उसकी मुलाकात प्रतिबंधित कर देते हैं। एक महीने माफ कर देते हैं या फिर अन्य दंड दे सकते हैं लेकिन उनकी मूलभूत जरूरतों में कोई कटौती नहीं होती है। सजायफ्ता कैदी या फिर जो काम करने के लिए फिट हैं। उसे जेल में काम भी लिया जाता है और बात मेहनताना की करें तो अर्धकुशल कैदी को 72 रूपये प्रतिदिन और कुशल कैदी को 102 रूपये प्रतिदिन दिया जाता है। कैदियों द्वारा कमाए हुए पैसे का 50 प्रतिशत प्रशासन की विक्टिम फंड में जाता है बाकी का 50 प्रतिशत में से 33प्रतिशत कैदी अपनी जरूरतें जैसे कैंटीन से कुछ सामान मंगाना, 33 प्रतिशत में वकील की फीस या अपने घर वालों को देना और बाकी 33 प्रतिशत जब वो जेल से रिहा होता है तब उसको दिए जाते हैं। कैदियों को शिक्षित बनाने के लिए भी समुचित व्यवस्था है। जेल प्रशासन की ओर से जो कैदी पढ़ना चाहते हैं वो ग्रेजुएशन से लेकर पीजी तक की पढ़ाई कर सकते हैं। इग्नु के सेंटर में सलाना कैदी परीक्षा देने के लिए जाते हैं।