GUNA: ‘महाराज’ से लिए निकाय चुनाव नहीं आसां, टिकट नहीं मिला तो सिंधिया के साथ BJP आया ये नेता फिर पुरानी पार्टी में लौटा

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Shivasheesh Tiwari
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GUNA: ‘महाराज’ से लिए निकाय चुनाव नहीं आसां, टिकट नहीं मिला तो सिंधिया के साथ BJP आया ये नेता फिर पुरानी पार्टी में लौटा

GUNA. एमपी में इन दिनों निकाय चुनाव (civic elections) हो रहे हैं। पार्टियों के नेता कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दोनों पार्टियां (बीजेपी-कांग्रेस) ज्यादा से ज्यादा निकायों पर कब्जा करना चाहती हैं। लेकिन इसके पहले बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) को बड़ा झटका लगा है। सिंधिया के करीबी माने जाने वाले अमित सोनी ने बीजेपी को अलविदा कह दिया और कांग्रेस में वापसी की है। अमित सोनी इससे पहले सिंधिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में गए थे। वे गुना नगर पालिका चुनाव में बीजेपी से टिकट पाना चाह रहे थे। बीजेपी ने टिकट नहीं दिया, जिसके चलते वो बागी हो गए। 



कांग्रेस में हुए शामिल



केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी अमित सोनी (Amit Soni) का वापस कांग्रेस में शामिल होना, वो भी निकाय चुनाव से पहले, बीजेपी के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस में रहने के दौरान अमित सोनी युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते अमित सोनी ने खुद को बीजेपी से अलग कर लिया। सोनी अपने कार्यकर्ताओं के साथ जयवर्धन सिंह (Jaivardhan Singh) की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए।



यहां ये लगे आरोप



भोपाल के टीलाजमालपुरा के वार्ड 13 से बीजेपी ने मनोज राठौर को टिकट दिया है। इस वार्ड के निवासी न होने पर इन पर बाहरी होने का आरोप लगा है। यही स्थिति वार्ड 18 की है। इब्राहिमगंज का वार्ड 17 सामान्य महिला वार्ड है। यहां से अन्य वर्ग की महिला को टिकट दिए जाने से नाराजगी है। चौतरफा विरोध को देखते हुए पार्टियां अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई हैं। ग्वालियर में कांग्रेस में पार्षद टिकट को लेकर विरोध शुरू हो गया। टिकट नहीं मिलने से संजय सिंह ने इस्तीफा दे दिया। बीजेपी में वार्ड-3 की प्रत्याशी मंजू राजपूत पर आरोप लगाया गया कि उन पर कोर्ट में मामला विचाराधीन है, फिर भी टिकट दिया गया। मुरैना में महिला नेत्री ललिता जाटव ने बीजेपी छोड़ दी। उन्होंने 'आप' पर भरोसा जताया है। इसकी बड़ी वजह बीजेपी की ओर से उन्हें महापौर का टिकट न दिया जाना बताया जा रहा है। दमोह में दो दिन में 30 से ज्यादा नेता-कार्यकर्ताओं ने बीजेपी छोड़ दी। 10 से अधिक पूर्व पार्षद और अन्य पदाधिकारियों ने सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे हाल लगभग हर जिला के हैं।

 


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