भोपाल. मध्य प्रदेश में राजनीतिक दल मिशन 2023 (विधानसभा चुनाव) की तैयारियों में जुट चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पचमढ़ी में चिंतन बैठक कर चुके हैं। अब कांग्रेस में भी हलचल हो रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने 4 अप्रैल को बड़ी बैठक बुलाई है, जिसमें पूर्व मंत्री और कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मीटिंग में कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने की पेशकश कर सकते हैं। इसी दौरान कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में प्रतिनिधि भेजने पर भी चर्चा की संभावना है।
सबकुछ ठीक दिखाने की कोशिश
3 अप्रैल को अरसे बाद कमलनाथ और अरुण यादव एकसाथ नजर आए। दोनों ने सलकनपुर पहुंचकर मां विजयासन मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस तरह साथ आकर दोनों ने यह संदेश देने की कोशिश की कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में सब ठीक चल रहा है। अरुण पार्टी की पिछली बैठकों में शामिल नहीं हुए थे। अब संभावना है कि वे इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर एक्शन मोड में है, लिहाजा इस बार बिना विवाद के आगे बढ़ने की कोशिश करेगी।
कमलनाथ ने दिया था संकेत
31 मार्च को कमलनाथ ने देश में बढ़ती महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान कमलनाथ ने कहा था कि 'मैं तो किसी भी पद पर रहने का इच्छुक नहीं हूं। मैंने तो पद के लिए अप्लाई भी नहीं किया था, तो जैसा फैसला होगा, ठीक है। मैं तो 2018 में पहली बार अध्यक्ष बना था। मैंने तो नहीं कहा था कि मुझे बना दो। मैं तो दिल्ली में संतुष्ट था, पर एक मई 2018 से मैं यहां शिफ्ट हो गया। मैं तो दो साल से नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष भी हूं। कोई आज से नहीं हूं।'
राज्यसभा के लिए खींचतान
कांग्रेस में राज्यसभा सीट के लिए भी खींचतान चल रही है। इसके लिए अरुण यादव भी बड़े दावेदार हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में यादव बुधनी से शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ खड़े हुए थे। इसके बदले पार्टी हाईकमान ने उन्हें राज्यसभा भेजने का वादा किया था। पिछले दिनों दिल्ली में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि राज्यसभा सीट के लिए बैठक में चर्चा हो सकती है।
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। इनमें से 8 पर बीजेपी और सिर्फ 3 सीट पर कांग्रेस है। जून में बीजेपी की 2 और कांग्रेस के खाते से 1 सीट कम हो रही है। यह एक सीट सांसद विवेक तन्खा का कार्यकाल पूरा होने पर खाली होगी। हालांकि, कांग्रेस का एक धड़ा तन्खा को दोबारा राज्यसभा भेजने के पक्ष में है।