भोपाल. देश में कुछ दिनों से दंगों की आग भड़क रही है। महज 15 दिन के अंदर राजस्थान के करौली, मध्य प्रदेश के खरगोन और दिल्ली के जहांगीरपुरी में जिस तरह से हिंसा के मामले सामने आए हैं। उससे पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए हैं। एक दम से इस तरह की घटनाएं क्यों सामने आ रही हैं। पुलिस के इंटेलिजेंस विंग को दंगों की भनक तक नहीं लग रही है। 15 दिन में हिंसा के सात मामले सामने आ चुके हैं। सभी जगह जिस तरह की हिंस हुई उनका लगभग एक ही पैटर्न था। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर प्रशासन से कहां चूक रह गई।
1. नवसंवत्सर पर करौली में हिंसा
हिंदू नववर्ष पर बाइक रैली निकाली जा रही थी। रैली जब मुस्लिम बहुल क्षेत्र से गुजरी तो कुछ उपद्रवियों ने पथराव कर दिया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। जांच में सामने आया कि यहां उपद्रव की प्लानिंग पहले से थी। छतों से सैकड़ों टन पत्थर, लाठी, सरिए, चाकू बरामद किए गए थे।
माहौल खराब करने के लिए कई दिनों से साजिश रची जा रही थी, लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। नतीजा यह हुआ कि एक मकान, 35 दुकानें जला दी गईं। 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए। चार पुलिस वाले भी घायल हुए। उपद्रवियों ने 30 से ज्यादा बाइक तोड़ दीं।
प्रशासन की गलतियां
करौली हिंसा में प्रशासन की गलतियां उजागर हुईं। यहं पहले भी दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। इसके बाद भी रैली का रूट डाइवर्ट नहीं किया। विवाद भड़कने की आशंका के बावजूद रैली के लिए महज 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस ने ड्रोन से निगरानी नहीं कराई। वरना छत पर रखे पत्थर, लाठी-सरियों दिख जाते। प्रशासन मौके पर पहुंचकर उपद्रव रोकने में भी नाकाम ही साबित हुई।
2. रामनवमी पर खरगोन हिंसा
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के जुलूस में पथराव और आगजनी के बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। हिंसा का सच सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि नकाबपेाश उपद्रवियों ने किस तरह शहर में उत्पात मचाया। 300-400 लोगों की भीड़ ने शीतला माता मंदिर और आसपास के घरों पर हमला बोल दिया। इस घटना में भी पुलिस इंटेलिजेंस फेल रही। यहां तक कि उपद्रवियों ने पेट्रोल बम भी फेंके।
इसी दिन गुजरात के साबरकांठा के हिम्मतनगर में दो समुदायों के बीच पथराव हुआ। पेट्रोल बम भी फेंके गए। पुलिस ने चार उपद्रवियों को पकड़ा। खंभात शहर में भी हिंसक झड़प हुई।
3. जहांगीरपुरी का उपद्रव
जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर निकाली जा रही शोभायात्रा के मस्जिद के करीब पहुंचने पर हिंसा भड़की। चश्मदीदों ने बताया कि उपद्रवियों ने पहले से पत्थर, बोतल और चोट पहुंचाने वाली चीजें जमा कर रखी थीं। पुलिस के मुताबिक, मस्जिद के पास दो पक्षों में बहस हुई। जिसके बाद मस्जिद से पथराव शुरू हो गया। फिर हिंसा भड़की और फायरिंग तक हुई।
सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन
हिंसा पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि 15 दिनों के अंदर सात जगह सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आए। पुलिस को पहले से सावधानी बरतनी चाहिए। शरारती तत्वों को पाबंद करना चाहिए। हथियारों को कब्जे में ले लेना चाहिए। शोभायात्रा या जुलूस के आगे, पीछे और बीच में अच्छी संख्या में फोर्स लगानी चाहिए। छतों पर पुलिस की मॉनिटरिंग होनी चाहिए। टेक्नोलॉजी का यूज करना चाहिए। जहां- जहां दंगे हुए, वहां यह सब कुछ मिसिंग थीा।