SATNA: शौर्य और पराक्रम है इस गांव की पहचान, हर दूसरे घर का एक लाल है फौजी

author-image
sootr editor
एडिट
New Update
SATNA: शौर्य और पराक्रम है इस गांव की पहचान, हर दूसरे घर का एक लाल है फौजी

SATNA. आज से 23 साल पहले करगिल की पहाड़ियों पर भारत (India) के शूरवीरों ने विजयगाथा लिखी थी... भारत के जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani soldiers) के मनसूबों को धूल चटाई और करगिल की चोटियों पर तिरंगा लहरा दिया...हर भारतीय को गर्व से भर देने वाली वह तारीख थी 26 जुलाई...करगिल वॉर (Kargil War) में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया ( Captain Saurabh Kalia) की कहानी आपको प्रेरणा जरूर देगी... फरवरी 1999 में उनकी पहली पोस्टिंग करगिल में 4 जाट रेजिमेंट में हुई... 14 मई 1999 को हथियारबंद पाकिस्तानियों के करगिल की चोटी पर मौजूद होने की सूचना पर वो 5 जवानों के साथ पेट्रोलिंग पर निकल गए..तब उनकी टीम के पास ना तो ज्यादा हथियार थे और ना ही ज्यादा गोला-बारूद...उधर पाकिस्तानी पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद थे...कैप्टन सौरभ कालिया ने पाकिस्तानी फौज का डटकर मुकाबला (Combat) किया...कैप्टन कालिया पोस्टिंग के महज 4 महीने बाद शहीद हो गए...यहां तक की उनकी पहली सैलरी उनकी शहादत के बाद उनके घर पहुंची थी... करगिल दिवस के इस ऐतिहासिक दिन पर द सूत्र सतना (Satna) के एक ऐसे गांव पहुंचा जिसकी शौर्य और पराक्रम की पहचान पूरे देश में है...देखिए करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के मौके पर हमारी यह खास रिपोर्ट....