Jabalpur. जे के लिमिटेड को राज्य सरकार की ओर से आवंटित की गई जमीन के विवाद पर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कैंट बोर्ड के रक्षा संपदा अधिकारी ने पेश किए जवाब में बताया कि महाराजा पन्ना ने आजादी के बाद लगभग 1800 एकड़ जमीन रक्षा विभाग को बतौर उपहार दान दी थी। यह जमीन राज्य सरकार ने अनाधिकृत रूप से जेके लिमिटेड को आवंटित कर रक्षा मंत्रालय को हानि पहुंचाई है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने की मोहलत दी है।
याचिकाकर्ता अनिल तिवारी की ओर से दायर इस याचिका पर अधिवक्ता वी के शुक्ला ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि 1949 में विंध्य प्रांत के भारत में विलय के वक्त महाराजा पन्ना महेंद्र यादवेंद्र सिंह ने अपनी 1800 एकड़ जमीन रक्षा विभाग को सौंपी थी। उस समय भारत सरकार के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। रक्षा मंत्रालय द्वारा ध्यान न दिए जाने से जमीन पर कब्जा भी हो गया और राज्य सरकार ने जमीन जेके लिमिटेड को आवंटित कर रायल्टी वसूली जा रही है।
रक्षा संपदा अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि जमीन के नाम परिवर्तन के लिए कई बार राज्य सरकार को लिखा भी गया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा राज्य सरकार ने बिना अधिकार विभाग से अनुमति लिए बिना इसका आवंटन कर दिया है।