मनोज चौबे, Gwalior. फिंगर प्रिंट चोरी करके ग्रामीणों के खाते से पैसा उड़ाने वाली चार सदस्यीय गैंग के अशोक, उपेंद्र, रणवीर व भरत को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित ई-गर्वेनेंस सर्विस के लिए सीएससी के रूप में रजिस्टर्ड थे। गांव-गांव में कैंप लगाकर आयुष्मान व ई-श्रम कार्ड बनाने के साथ डिजिटल साक्षरता अभियान से जुड़े हैं। आरोपी अब तक राज्य साइबर सेल में ठगी का शिकार हुए 26 लोगों ने शिकायतें की हैं। इन लोगों के खाते से पांच लाख रुपए निकले हैं। आरोपियों के पास से पुलिस ने 982 लोगों का डेटा जब्त किया है। ठगी में कियोस्क संचालक भी शामिल है।
भोले लोगों को ऐसे ठगते थे
आरोपियों फिंगर प्रिंट से ग्रामीणों के खातों से अपने खाते में पैसा ट्रांसफर कर ठगी करते थे। सेल के एसपी सुनील अग्रवाल ने ग्रामीणों के खाते से पैसा निकलने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। यह शिकायतें डबरा की थी। इन शिकायतों में एक बात समान थी कि इन ग्रामीणों के फिंगर प्रिंट चोरी करके यह ठगी की जा रही थी। यह तय था कि कोई गैंग डबरा क्षेत्र में सक्रिय है, जो कि यह ठगी कर रहा है। इन शिकायतों की पड़ताल करने की जिम्मेदारी कार्रवाई निरीक्षक जितेंद्र तोमर एवं उप निरीक्षक शैलेंद्र राठौर को सौंपी गई। जांच में पता चला कि आवेदकों के बैंक खातों से आधार इनबिल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) के उपयोग कर राशि निकाली गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिना स्मार्ट फोन तथा बिना कार्ड के बैंकिंग सुविधा प्रदान करने के लिए एइपीएस सिस्टम प्रारंभ किया है।
ऐसे करते थे गड़बड़ी
इसको विभिन्न ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) के माध्यम से लागू किया गया है। कोई बैंक खाता धारक इस केंद्र पर जाकर अपने थंब इंप्रेशन का उपयोग कर बैंक से अपने खाते में जमा राशि प्राप्त कर सकता है। आरोपित ने बगैर पढ़े लिखे साथियों को जीएससी रजिस्टर कराया और एयरटेल पेमेंट बैंक का खाता खोला। रजिस्टर्ड कराने के लिए फर्जी सिम का उपयोग किया। उसके बाद ग्रामीणों के आयुष्मान कार्ड व ई-कार्ड बनाने की आड़ में इनके फिंगर प्रिंट चोरी कर डिजिटल एप में सुरक्षित कर लिए थे। इनके माध्यम से ग्रामीणों के खाते में विभिन्न योजनाओं व अन्य जगह से प्राप्त होने वाली राशि को निकालकर एयरटेल पेमेंट के जरिये बैंक खाते में टांसफर किया, फिर अलग-अलग कियोस्क सेंटरों के खातों में ट्रांसफर कर नकद राशि निकाल ली। इस ठगी में बैंक ऑफ बड़ौदा का कियोस्क सेंटर का संचालक भी शामिल था। इस पूरे घटनाक्रम में चारों आरोपियों की अलग-अलग भूमिका थी।