डायरियों में ब्लैक मनी से जमीन के सौदे, इसी से पनप रहे भूमाफिया; आयकर छापे से सही साबित हुई कलेक्टर सिंह की इंदौर में कार्रवाई

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Vivek Sharma
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डायरियों में ब्लैक मनी से जमीन के सौदे, इसी से पनप रहे भूमाफिया; आयकर छापे से सही साबित हुई कलेक्टर सिंह की इंदौर में कार्रवाई

संजय गुप्ता, INDORE. जमीन को लेकर इंदौर में हो रहे धड़ाधड़ सौदे, डायरियों पर गाइडलाइन से दो-तीन गुनी कीमत पर जमीन की खरीदी और इसी खेल से पनप रहे भूमाफिया। इसी को लेकर जनवरी-फरवरी 2021 में इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह ने पहले भूमाफिया और फिर डायरी पर सौदे करने वाले दलालों को लेकर कार्रवाई की थी। अब आयकर विभाग के छापों में बिल्डर्स के यहां मिले 400 करोड़ रूपए से ज्यादा के डायरियों पर सौदे, फिर साबित कर रहे हैं कि माफियाओं पर जिला प्रशासन और कलेक्टर सिंह द्वारा की गई कार्रवाई सही थी। आयकर छापों में वास्तु ग्रुप के टीनू उर्फ भूपेश संघवी और शुभम व लाभम ग्रुप के संचालकों व स्टॉफ के पास कच्चे हिसाब में इन सभी के सबूत मिले हैं कि इंदौर में जमीन की खरीदी-बिक्री में बड़ा खेल चल रहा है। हालत यह है कि बिल्डरों के यहां घरों में सीक्रेट तिजोरियां बनाकर करोड़ों रुपए छिपा कर रखे जा रहे हैं, जो सब ब्लैक मनी है। प्रशासन द्वारा सुरेंद्र संघवी, दीपक मद्दा सहित कई भूमाफियाओं पर कार्रवाई की गई थी, जिन्होंने सोसायटी के नाम पर लोगों की जमीन हड़प कर हजारों करोड की जमीन दबाई हुई थी।



इस तरह का है पूरा खेल



दरअसल माफियाओं ने फर्जी तरीके से जमीन की कीमतों के भाव ऊंचे पहुंचा दिए हैं। जो जमीन गाइडलाइन के हिसाब से तीन हजार रुपए प्रति वर्गफीट है, वह पांच से छह हजार रुपए प्रति वर्गफीट के भाव में बाजार में बेची जा रही है। प्राइम लोकेशन पर आवासीय जमीन इंदौर में कहीं भी आठ-दस हजार प्रति वर्गफीट से कम नहीं है। शहर से दस-15 किमी दूर की जमीन भी दो हजार प्रति वर्गफीट से कम के भाव पर नहीं बेची जा रही है। गाइडलाइन का भाव तो बिल्डर नंबर एक में चेक में ले रहा है लेकिन इसकी ऊपर की कीमत वह डायरी में दर्ज कर ब्लैक में लेता है। इस तरह वह अपनी आय पर भी भारी टैक्स चोरी करता है। यानि गाइडलाइन में 50 लाख का प्लॉट एक से सवा करोड़ रुपए में बेचा जा रहा है और ऊपर की यह 70 लाख की कमाई ब्लैक मनी में जा रही है, जो डायरी पर सौदे में आ रहे हैं। 



कच्ची जमीन इस तरह बिकती है, यह है पूरा गणित



सबसे बड़ा खेल प्लॉट बिक्री में हो रहा है, शहर के आसपास की जमीन एक-दो करोड़ रुपए में बिल्डर खरीद लेता है। यानी उसे 200 से 300 रुपए प्रति वर्गफीट के भाव में वह खेती की जमीन ले लेता है और फिर बिल्डर अपने वाले निवेशकों औऱ् डायरी पर सौदे करने वाले दलाल को यह पूरा माल एक हजार प्रति वर्गफीट के करीब बेच देता है, हर बिल्डर के फिक्स दो-तीन दलाल यह पूरा माल ले लेते हैं और फिर वह इसमें निवेशकों को ढूंढते हैं औऱ् यह दलाल आगे यह माल अपना पांच फीसदी कमीशन निकालकर डायरी पर ही यह सौदा 1500 के करीब भाव पर कर देता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस सौदों के दौरान कॉलोनी अभी कटी भी नहीं है और ना विकास मंजूरी हुई और ना ही रेरा हुआ है। ऐसे में सारे सौदे ब्लैक में डायरी पर ही चलते है। जब रेरा मंजूरी आती है, तब तक दलाल 500-700 रुपए प्रति वर्गफीट जमीन के भाव को दो हजार तक पहुंचा चुके होते हैं, यानि जिसे घर बनाना है, प्लॉट लेना है, वह जमीन आम व्यक्ति को चार गुना भाव में दो-ढाई हजार रुपए प्रति वर्गफीट में मिलती है। वहीं बिल्डर से लेकर बीच के डायरी दलाल इसमें एक से डेढ़ हजार रूपए प्रति वर्गफीट रुपए कमा चुके होते हैं। इन सौदों में पूरी तरह से ब्लैक मनी लगी होती है, आम निवेशक से ही बिल्डर गाइडलाइन भाव से एक हजार प्रति वर्गफीट के हिसाब से इतनी राशि नंबर एक में बाकी आधी राशि नंबर दो में ब्लैक में लेता है। 



फिर यह होता है ब्लैक मनी का



इस ब्लैक मनी का उपयोग कई गलत कामों में होता है, अधिकांश तो फिर दूसरी जमीन को खरीदने में बिल्डर लगा देते हैं, इससे एक रुपए से फिर दो रुपए कमाए जाते हैं। वहीं इसके बाद बाकी ब्लैक मनी गलत कामों में लगती है। शराब-नशे का कारोबार, अपराधियों को राशि देना आदि जैसे काम इससे होते हैं।

 


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