भू-माफिया कॉन्स्टेबल: तालाब की 40 बीघा जमीन पर कब्जा, शिकायत पर कार्रवाई नहीं

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Pooja Kumari
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भू-माफिया कॉन्स्टेबल: तालाब की 40 बीघा जमीन पर कब्जा, शिकायत पर कार्रवाई नहीं

गुना. मध्य प्रदेश में कानून के रखवाले पुलिसकर्मी ही कानून तोड़ने से बाज नहीं आ रहे। ताजा मामला गुना जिले की पुरैना ग्राम पंचायत में सामने आया है। यहां ग्राम पंचायत में 2015 में करीब 40 बीघा क्षेत्र में बनाए गए सरकारी तालाब पर एक पुलिस कॉन्स्टेबल (Police Constable) ने कब्जा कर रखा है। इस तालाब के निर्माण में सरकार के 8 लाख 25 हजार रुपए खर्च हुए थे।‌ तालाब पर कब्जा करने वाले कॉन्स्टेबल ने तालाब को समतल करके यहां सरसों की फसल लगा दी। ग्रामीण लगातार इसकी शिकायत प्रशासन से कर रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। आरोपी कॉन्स्टेबल का कहना है कि तालाब सरकारी जमीन पर बना है और मैं भी एक सरकारी कर्मचारी हूं, इसलिए मैंने इस पर कब्जा किया है, कलेक्टर की जनसुनवाई (Public hearing) में शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।





सिंचाई और मवेशियों के लिए तालाब का निर्माण: ग्राम पंचायत ने सर्वें नं. 201 और 202 पर तालाब का निर्माण कराया था। 22 दिसंबर को 2015 में इसके लिए राशि स्वीकृत की गई थी। इस पर गांव के ही रामकुमार यादव ने जबरन कब्जा कर लिया है। रामकुमार इस समय झाबुआ में पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर पदस्थ है। ग्रामीणों ने जब कॉन्स्टेबल से कब्जे का कारण पूछा तो उसने बताया कि ये सरकारी जमीन है और हम सरकारी कर्मचारी। इसलिए हमने इस पर कब्जा किया है।





ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई गुहार: ग्रामीणों ने कब्जा हटवाने के लिए जनसुनवाई में कलेक्टर को आवेदन दिया है। इस आवेदन में बाकायदा सभी ग्रामीणों ने साइन भी किए हैं। इससे पहले भी ग्रामीण इसकी शिकायत कर चुके हैं। गांव के दीपक यादव ने बताया कि ये पंचायत का तालाब था। मवेशियों और सिंचाई के लिए इसका निर्माण किया गया था, लेकिन अब इस पर गांव के रामकुमार यादव ने कब्जा कर लिया है। एक बार कलेक्टर साहब को ज्ञापन दिया था, तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। 







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ग्रामीणों ने जनसुनवाई में कलेक्टर से शिकायत की।







सरपंच मजदूरी करता है: इस मामले में सरपंच और सचिव ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। गांव के जयभान सिंह यादव ने बताया कि गांव के जानवर यहां चरने और पानी पीने के लिए आते थे। अब जानवरों के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। गांव का सरपंच मजदूरी करता है, बेचारा वो क्या करेगा? उसे कोई लेना-देना नहीं है, जबकि सचिव का झुकाव भी कॉन्स्टेबल की तरफ ही है।





(गुना से राकेश कुशवाह की रिपोर्ट।)



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