सड़क किनारे मिला तेंदुए का शव, सड़क हादसे में मौत होने की आशंका

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Pratibha Rana
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सड़क किनारे मिला तेंदुए का शव, सड़क हादसे में मौत होने की आशंका

अरुण सिंह, Panna. पन्ना में एक तेंदुए की मौत होने का मामला सामने आया है। घटना उत्तर वन मण्डल के धरमपुर रेंज के तहत आने वाले  किशनपुर गांव की है। आशंका जताई जा रही है कि, सड़क हादसे में तेंदुए की मौत हुई है। फिलहाल वन विभाग के अधिकारी मामले की जांच कर रहें हैं। तेंदुए की उम्र 3-4 वर्ष के लगभग बताई जा रही है। सुबह घूमने जाने वाले लोगों से घटना की जानकारी मिलने पर वन अधिकारी मौके पर पहुंचे। उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि युवा नर तेंदुए की मौत सड़क हादसे में हुई है। वन्य प्राणी चिकित्सक द्वारा पोस्ट मार्टम किया जाएगा। तभी स्थिति स्पष्ट होगी। शर्मा ने बताया कि, सड़क पर ताजा खून व वाहन के पहियों के निशान भी पाए गए हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि घटना सुबह 4 से 6 बजे के बीच की है। 



नए इलाके की तलाश में निकल रहे वन्य प्राणी



आपको बता दें कि, पन्ना जिले में बाघों के साथ-साथ तेंदुओं की भी अच्छी खासी संख्या है। पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघ व तेंदुओं की संख्या बढ़ने के साथ ही वे अपने लिए नए इलाके की तलाश में कोर क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं। बफर व टेरिटोरियल का जंगल कोर की तरह सुरक्षित न होने के कारण ये वन्य प्राणी जहां शिकारियों के निशाने पर रहते हैं। पन्ना-बांदा, पन्ना-छतरपुर व पन्ना-कटनी मार्ग में आए दिन वन्य प्राणी हादसे का शिकार होते हैं। नवम्बर 2020 में ठीक दीपावली के दिन पन्ना-कटनी सड़क मार्ग पर अकोला बफर वृत्त के बीट अमझिरिया में तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से एक वर्षीय बाघिन की मौत हो गई थी। 



प्रदेश में सबसे ज्यादा तेंदुए



मध्य प्रदेश सिर्फ टाइगर स्टेट ही नहीं अपितु लेपर्ड स्टेट ऑफ इंडिया भी बन गया है। जंगल के राजा बाघ के साथ-साथ जंगल के राजकुमार कहे जाने वाले तेंदुओं की संख्या भी पूरे देश में सबसे अधिक मध्य प्रदेश में पाई गई है। मध्य प्रदेश में 3421 तेंदुओं का अनुमान लगाया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।मध्य प्रदेश को यह तमगा कर्नाटक और महाराष्ट्र को पछाड़कर मिला है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वर्ष 2018 में तेंदुए की स्थिति रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 3,421, कर्नाटक में 1783 और महाराष्ट्र में 1690 तेंदुए पाए गए थे।



टाइगर रिज़र्व के बाहर का जंगल तेंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं 



पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाहर बफर व टेरिटोरियल के जंगल में सुरक्षित नहीं है। यहां स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र को यदि अलग कर दें तो बफर क्षेत्र व उत्तर तथा दक्षिण वन मंडल का जंगल तेंदुओं के लिए अनुकूल और सुरक्षित नहीं बचा है। तकरीबन 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडने की क्षमता रखने वाला यह खूबसूरत वन्य जीव शातिर शिकारियों के निशाने पर रहता है। बीते दो साल के दौरान अकेले विश्रामगंज व धर्मपुर वन परिक्षेत्र में शातिर शिकारियों ने पांच तेंदुओं को अपना निशाना बनाया है।


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