Satna. वन्य जीवों की आमद बताती है कि विंध्य के जंगल उनके लिए कितने महफूज हैं। लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते शिकारियों की मौज है। सतना जिले में दो दिन के अंतर में हुए दो शिकारों से वन विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया हैं। आलम यह है कि तेंदुए के शिकार के बाद अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं। सतना जिले के उचेहरा वन मंडल परिक्षेत्र के गांव महाराजपुर के पास तालाब किनारे एक तेंदुआ का शव मिला। जिसके बाद गांव वालों ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी। मौके पर पहुंचे वन अमले ने शव को बरामद कर औपचारिकता पूरी की।
लगातार मिल रहे तेंदुए के शव के कारण वन अधिकारी सहमे हुए हैं। संभागीय स्तर के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि शिकारी अन्य वन प्राणियों जैसे सांभर, चीतल और सुअर के लिए करंट का जाल बिछाते हैं। चूंकि इस समय गर्मी पड़ रही है ऐसे में वन्य प्राणी पानी की तलाश में जल स्रोतों की तलाश में भटकते हैं। यही उनकी मौत का कारण बनता है। जिसके बाद कई बार उचेहरा रेंजर राम नरेश साकेत से कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन प्रयास असफल रहे।
शिकारियों पर लगाम जरूरी
भोपाल के वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि वन विभाग के अधिकारी यह जानते हैं कि गर्मियों में जंगल के अंदर के जल स्रोत सूख जाते हैं। ऐसे में वन्य प्राणी पास के गांव की ओर रुख करते है। इसलिए जरूरी है कि निगरानी बढ़ा दी जानी चाहिए। यह जानने के बाद भी अधिकारी शिकारियों को मौका दे रहे हैं। जिसकी वजह से आए दिन जानवरों की मौत हो जाती है।
लगातार मिल रहे तेंदुए के शव
30 मई 2022 : सतना जिले के मझगवां रेंज के पगार कला गांव के चकरा नाला के पास तेंदुए का शव मिला था। इसे करंट लगाकर मारा गया था।
31 मई 2022: शहडोल जिले के एक टोल प्लाजा के पास मरा तेंदुआ मिला था। विभाग ने दुर्घटना मान कर मामला दर्ज कर लिया।
01 जून 2022 : सतना जिले के ही उचेहरा रेंज के महाराजपुर गांव में फिर तेंदुआ की लाश मिली। विभाग ने साधी चुप्पी।
गणना में मिले थे 122 तेंदुए
सतना जिले के जंगलों में 2018 की पशुगणना से साफ पता चल रहा है कि मांसाहारी जीवों को जिले के जंगल खूब पसंद आ रहे हैं। यही वजह की वन क्षेत्र में 25 बाघ और करीब 122 तेंदुए की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। तब करीब दो हजार किमी वन क्षेत्र में मांसाहारी जीवों की गणना की गई थी। इस दौरान करीब सात प्रकार के वन्य जीवों के कुल 1,334 साइन मिले। सबसे ज्यादा गोल्डेन जैकाल 696, इंडियन फॉक्स 169, बीयर 145, हायना 128, तेंदुआ 122, इंडियन वोल्फ 40 ,टाइगर 25 और डॉग के कुल 9 साइन मिले। जबकि यह आंकड़ा 2013 की गणना में बहुत कम था। उन दिनों जंगल भले ही घने थे, लेकिन मांसाहारी जीवों की संख्या अपेक्षाकृत कम ही थी।