इंदौर. यहां के जू से भागा तेंदुआ आखिरकार छठे दिन पकड़ लिया गया। बताया जा रहा है कि ये तेंदुआ 2 दिसंबर को जू से भाग गया था। अब यह जू से 2 किमी दूर नवरतन बाग में मिला। ये रिहायशी इलाका है। इसके पास ही कई अफसरों के बंगले लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि तेंदुआ चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट एचएस मोहंता को दिखा। उन्होंने ही इसकी जानकारी दी। जू से निकलकर नवरतन बाग में तेंदुए का मिलना कई सवाल खड़े करता है।
क्या हुआ था?
1 दिसंबर की रात बुरहानपुर के पास नेपानगर से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के 7 कर्मचारी तेंदुए को इंदौर जू लाए थे। 2 दिसंबर सुबह तेंदुआ ट्रक में रखे पिंजरे से निकलकर भाग गया। इसके बाद से ही उसकी तलाश जारी थी। इन 5 दिनों (120 घंटे) में तेंदुए की तलाश के लिए पिंजरे लगाए गए, हेलोजन लगाकर रात में सर्चिंग की, एक्सपर्ट डॉग को बुलाया। ढोल बजवाए गए, ताकि वह आवाज सुनकर भागे।
ढूंढने के लिए कितनी टीम लगी थी?
तेंदुए को खोजने के लिए करीब 35 लोगों की टीम बनी थी। इसमें बुरहानपुर के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के कर्मचारी, इंदौर रालामंडल की टीम, नवरतन हेडऑफिस के लोग, नगर निगम का अमला, दो NGO की टीम शामिल थी। रात में सर्चिंग के लिए Special Flood Light Cameras लगाए गए थे।
क्या सवाल उठते हैं?
जू से लेकर नवरतन बाग के बीच घना रेसीडेंशियल एरिया है। ये इलाका पार करते समय किसी की भी नजर तेंदुए पर नहीं पड़ी?
पकड़ में आने से पहले तेंदुआ मुख्य वन संरक्षक यानी CCF साहब को दिखा। इससे क्या अंदाजा लगाया जाए? कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने भी कहा कि आश्चर्य में हूं कि CCF को ही तेंदुआ दिखा?
तेंदुआ नवरतन बाग यानी फॉरेस्ट के हेडऑफिस के कैंपस में ही क्यों मिला?
6 दिसंबर को इंदौर में वन मंत्री विजय शाह का दौरा हुआ था। इसमें भी तेंदुए के गायब होने की चर्चा हुई। मंत्री ने निर्देश भी दिए। इसके अगले ही दिन तेंदुआ पकड़ भी लिया गया?
उत्तम यादव ने भी सवाल उठाए
जू इन्चार्ज और नगर निगम उपायुक्त उत्तम यादव ने कहा कि 1 दिसंबर की रात को बुरहानपुर से तेंदुआ लाया गया था। इसको रात में लाने के लिए मना कर दिया था, क्योंकि रातभर देखरेख कौन करेगा। बाद में बुरहानपुर की रेंजर को कहा गया कि कम से कम 4-5 लोग वहीं पर रहेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक आदमी (ड्राइवर) के भरोसे पिंजड़ा छोड़कर सारे लोग चले गए। सुबह जब पिंजड़ा देखा तो वो खाली था। पिंजड़े के ऊपर कवर था। अगर तेंदुआ भागा था तो कवर अस्त-व्यस्त होना था, लेकिन ऐसा नहीं था। रेस्क्यू में जो तेंदुआ मिला है, उसके एक पैर में पैरालिसिस और दूसरे पैर में चोट है। जब ये तेंदुआ जख्मी था तो 2 किमी दूर कैसे जा सकता है?
रेसीडेंसी में हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट की नर्सरी है। ऐसा बताया जा रहा है कि तेंदुए के निशान यहां भी मिले। कर्मचारियों को रात में कुत्तों की कई आवाजें में सुनाई दीं। लगा कि कोई बड़ा जानवर आ सकता है, लेकिन इसके बाद यहां भी नहीं।
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