इंदौर में अब चाय, पोहा, कचौरी से लेकर पानी-पताशे वालों तक को ग्राहक को बिल देना होगा। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया(FSSAI) की सख्ती के बाद खाद्य व औषधि विभाग ने तीन महीने विशेष अभियान चलाकर थोकबंद लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन जारी किए।
खाने में शुद्दता बनी रहे इसलिए लाइसेंस जरूरी: FSSAI ने अक्टूबर में ही निर्देश जारी कर दिए थे। जिसके चलते खाने की छोटी से छोटी सामग्री का भी बिल अब ग्राहकों को मिलना जरूरी है। बिल देते ही दुकानदार की जवाबदेही तय हो जाएगी कि जो सामग्री वह दे रहा है, उसकी शुद्धता को लेकर भी वह जिम्मेदार है। FSSAI के ये मापदंड 1 जनवरी से ही लागू हो चुके हैं।
लाइसेंस नहीं हुआ तो जाना होगा जेल: शहर में करीब 37 हजार लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन में से 10 हजार के करीब तो इन्हीं तीन महीने में ही जारी किए गए। इनमें नए और रीन्युअल लाइसेंस भी शामिल हैं। लाइसेंस नहीं मिलने पर फूड सेफ्टी ऑफिसर दुकान बंद कर मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकेगा। इसमें जेल जाने तक की सजा का प्रावधान है।