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भोपाल. 25 मार्च को भोपाल में नॉलेज कुंभ 'भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल' की शुरुआत हुई। यह आयोजन 3 दिन तक चलेगा। इस फेस्टिवल में कई किताबों का विमोचन किया जाएगा। विमोचन होने वाली किताबों के लेखक अपनी बात रखेंगे। इसके साथ कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
कार्यक्रम में ये हस्तियां उपस्थित रहीं: भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत के मौके पर पद्मश्री भूरी बाई जी के बनाए मैस्कॉट समेत 4 किताबों का विमोचन किया गया। इस दौरान 6 जाने-माने लेखक मौजूद रहे। मशहूर लेखक और पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाय कुरैशी, वरिष्ठ पत्रकार उदय महुरकर, संस्कृति संचालक अदिति त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर, कला-इतिहासकार मीरा दास के साथ ही पूर्व आईएएस और बीएलएफ के डायरेक्टर राघव चंद्रा उपस्थिति रहे।
इन किताबों का लोकार्पण हुआ: मुख्य अतिथि ने 4 लेखकों की किताबों का लोकार्पण किया। इनमें अम्बरीन जैदी की द वॉरियर विडो, डॉ. एचएस पाबला की लॉज ऑफ वॉर, अभिलाष खांडेकर की द सिंधिया लेगसी और डॉ. प्रदीप कपूर की किताब द हनीमून शामिल हैं। शुभारंभ सत्र में बोलते हुए पूर्व आईएएस राघव चंद्रा ने कहा कि भोपाल नॉलेज सिटी की तरह उभर रहा है, और इस तरह के फेस्टिवल ना केवल भोपाल, बल्कि पूरे प्रदेश को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में काबिल है। आगे उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी किताबें पढ़ने के बजाय सोशल मीडिया पर डूबी हुई है, जिससे उनकी सोचने-समझने की क्षमताओं का विकास रुक रहा है। ऐसे में भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजन एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। पर्यावरणविद और भारतीय वन सेवा के अधिकारी रहे एच.एस. पाबला ने अपनी अपनी किताब 'लॉस एट वॉर' के बारे में बातचीत की। इस सत्र में अभिलाष खांडेकर और योगेश दुबे ने पाबला से चर्चा की। पाबला जी ने बताया कि 2007 में उन्होंने किताब लिखने के बारे में सोचा लेकिन 2015 में वो अपनी किताब पूरी कर सके। दूसरे सत्र में अगेन्स्ट ऑल ऑड्स किताब के लेखक हेतल सोनपाल ने अपनी किताब के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि ये किताब उनके पिताजी के जीवन को परिभाषित करती है। ये किताब लिखने की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब उनके पिताजी को कैंसर होने का पता चला। उन्होंने तय किया कि पिता के जीवन के संघर्ष को शब्दों में पिरोएंगे।
साल 1993 में कैप्टन मनोज पांडे का पत्र: अंतरंग सभागार में शुभारंभ के बाद दूसरे सत्र में कारगिल गैलेंट्री ऑफ कैप्टन मनोज पांडे परमवीर चक्र अ ह्यूमन स्टोरी पर चर्चा की गई, जिसमें लेखक पवन मिश्रा एवं ब्रिगेडियर संजय अग्रवाल ने चर्चा की। संजय अग्रवाल ने बताया कि लेखक, कैप्टन मनोज पांडे और वो एक ही स्कूल के छात्र थे। यह पुस्तक लेखक के द्वारा 10 सालों में लिखी गई। उसने साल 1993 में अपने पत्र में लिख दिया था कि उनका और कोई लक्ष्य नहीं वो सिर्फ परमवीर चक्र ही पाना चाहते हैं। कई बार उनसे चर्चा में पता चलता था कि हम सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद समेत कई वीरों को फॉलो करते थे, लेकिन वह हमेशा कहते थे कि वह गांधी जी को ही फॉलो करेगा।
फिल्में मेरे लिए स्कूल की तरह है: फेस्ट के चौथे सत्र में डॉ. ऋतु पांडे शर्मा एवं बृजेश राजपूत ने पर्दे के सामने द आर्ट ऑफ फिल्म क्रिटिसिज्म पर चर्चा की। यह पुस्तक फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे के लेखों और उनके अनुभवों पर आधारित रही। डॉ. ऋतु ने बताया कि चौकसी जी स्कूलों में भी फिल्म पर बात करते थे। उनकी एक स्पष्ट सोच रही। जब मैं उनका पहली बार इंटरव्यू लेने गई, तब मैंने उन पर काफी रिसर्च की और कई प्रश्न तैयार किए। उन्होंने बताया कि फिल्में उनके लिए स्कूल की तरह हैं। हमेशा किसी भी चीज की भूमिका से पहले कंक्लूजन पर बात किया करते थे। जब मैं पुस्तक लिख रही थी, तब उन्होंने मुझे उनसे मिलने वाले हर एक शख्स के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने बताया कि पुस्तक के लिए किन-किन लोगों और कंटेंट की आवश्यकता है। चर्चा के दौरान बृजेश राजपूत ने कहा कि चौकसे जी के कॉलम का नाम ही अलग होता था। वह हमेशा सारी दुनिया का हवाला देकर फिल्मों पर बात करते थे, वह हमेशा मुखर और खरी बातें कहा करते थे।
फैंटसी स्पोर्ट्स को लेकर भी चर्चा: इस दौरान फेडरेशन ऑफ इंडिया फैंटसी स्पोर्ट्स के सीईओ श्री अनवर शिरपुरवाला ने फैंटसी स्पोर्ट्स को लेकर प्रेजेंटेशन दी। उन्होंने बताया कि फैंटेसी स्पोर्ट बेटिंग और गैंबलिंग से हटकर है। इसे नॉलेज और स्किल पर आधारित एक कला माना जाता है। इसमें कोई भी मैच शुरू होने पहले टीम बनती है। जिसमें 11 खिलाड़ी चुनने होते हैं। इसके बाद उनके पॉइंट्स बनते हैं और इसी के आधार पर रैंकिंग बनती है। इवेंट खत्म होने पर इनाम मिलता है। इसमें सीमित लोगों को शामिल किया जाता है, और शामिल उन्हीं में से 50 प्रतिशत लोगों को इनाम मिलता ही है। अनवर ने बताया कि फैंटसी स्पोर्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए फेडरेशन ऑफ इंडिया फैंटसी स्पोर्ट्स की स्थापना 2017 में की गई थी।