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Jabalpur. जबलपुर हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर तल्ख टिप्पणी की है। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस पीसी गुप्ता की डिवीजन बेंच ने कहा है कि मुकदमा कोई शतरंज का खेल या लुकाछिपी का खेल नहीं है। न्याय पाने के लिए पक्षकार को कोर्ट के समक्ष अपने सभी पत्ते खोलने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह विधि का सुस्थापित सिद्धांत है कि याचिकाकर्ता को सदैव स्वच्छ हाथों, मन, मस्तिष्क और उद्देश्य के साथ ही कोर्ट के समक्ष आना चाहिए। कोर्ट ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने वाली कंपनी पर 50 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है।
स्वागतिका इंप्लेक्स प्रालि की याचिका
ठाणे की कंपनी स्वागतिका इंप्लेक्स प्रालि की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यूको बैंक जोनल कार्यालय भोपाल ने नीलामी का एक नोटिस स्थानीय अखबारों में प्रकाशित कराया था। इसमें कंपनी की संपत्ति नीलाम करने के लिए इश्तेहार दिया गया। कंपनी इस नीलामी को निरस्त कराने के उद्देश्य से याचिका दायर की गई थी।
बैंक ने लगाई आपत्ति
इस याचिका पर यूको बैंक की ओर से अधिवक्ता अतुल चौधरी ने आपत्ति जताई उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने इस मामले में डीआरटी की शरण ली थी। तो याचिकाकर्ता की विवादाधीन संपत्ति बैंक के स्वामित्व में आ गई थी। इसके खिलाफ डीआरटी में दायर की गई अपील भी लंबित है। जिसकी सुनवाई अक्टूबर माह में होनी है। इन सभी तथ्यों का जिक्र याचिका में नहीं किया गया था।