Advertisment

मथुरा छोड़ साढ़े तीन दिन के लिए मुरैना पहुंचे भगवान् द्वारिकाधीश , लीला मेले में मेहमानी करेंगे

author-image
Dev Shrimali
एडिट
New Update
मथुरा छोड़ साढ़े तीन दिन के लिए मुरैना पहुंचे भगवान्  द्वारिकाधीश , लीला मेले में मेहमानी करेंगे

देव श्रीमाली , MORENA . 300 सालों से चली आ रही परंपरा इस बार बदल गई। मुरैना शहर  शहर से 5 किमी की दूरी पर स्थित मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर पर भगवान द्वारिकाधीश इस बार दीपावली के अगले दिन नहीं बल्कि दूसरे दिन मेहमानी करने आ पाए । यह सब हुआ है सूर्यग्रहण की वजह से। हालांकि तिथि के हिसाब से देखें तो सब ठीक है लेकिन भौतिक रूप से 300 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है। मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर पर भगवान द्वारकाधीश इस बार मंगलवार की जगह बुधवार को मुरैना पहुंचे और अब साढ़े तीन दिन यहीं रहकर मेहमानी करेंगे और फिर लौटकर मथुरा जाएंगे। 





कलि में आए करौली न देखी और न देखी मुरैना की लीला…..





चम्बल में क्षेत्रीय बोली  में एक कहावत है कि -





कलि में आए करौली न देखी और न देखी मुरैना की लीला…तो आपका जीवन व्यर्थ है। यानि कलियुग में राजस्थान के करौली में विराजमान राज-राजेश्वरी मां भवानी और मुरैना गांव में स्थित दाऊजी (द्वारकाधीश के प्रतिरूप) के दर्शन नहीं किए तो इंसान का जीवन बेकार है।

Advertisment





 गोवर्धन पूजा के बाद साढ़े तीन दिन मुरैना गांव में मेहमानी करते हैं भगवान द्वारिकाधीश





मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर के बारे में मान्यता है कि दीपावली के दूसरे दिन यानि गोवर्धन पूजा पर भगवान द्वारिकाधीश गोकुल जाते हैं। यहां से गोवर्धन पूजा के बाद सीधे मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर में साढ़े तीन दिन की मेहमानी करने के लिए आते हैं। इन साढ़े तीन दिनों तक मथुरा में द्वारिका में भगवान के मंदिर के पट बंद रहते हैं। चूंकि इस बार मंगलवार को सूर्यग्रहण था इसलिए गोवर्धन पूजा बुधवार को होगी। इसलिए भगवान बुधवार की शाम 4 बजे के बाद ही मुरैना गांव स्थित मंदिर में मेहमानी के लिए पहुंच सके। 





रोचक और भक्ति भाव से ओतप्रोत है इसकी कथा 

Advertisment





इस कथा का सम्बन्ध तीन सौ वर्ष पुराना है। चम्बल के वनखण्ड में स्थित ग्राम मुरैना मैं रहने वाले गोपराम श्रीकृष्ण को अपना मित्र मानते थे और उनके पक्के भक्त थे और वे मथुरा जाकर भगवान् द्वारकाधीश की कठोर तपस्या में लीन हो गए।  द्वारकाधीश महाराज उनकी तपस्या से इतने प्रसन्न हो गए कि उन्होंने दर्शन भी दिए और बोले आपकी तपस्या पूरी हुई अब अपने घर जाओ। गोपराम ने कहा मित्र आपके बिना वहां का करेंगे ? सारी लीलाएं तो यहाँ है। इस पर भगवान ने कहा आप जाओ।  अब हम हर वर्ष गोवर्धन पूजा के बाद आपके पास ही आएंगे और साढ़े तीन दिन आपके साथ ही रखकर लीलाएं देखेंगे। तब से बिला नागा द्वारिकाधीश महाराज यहाँ आ रहे हैं और गोपराम द्वारा स्थापित द्वारिकाधीश मंदिर में बिराजते हैं और साढ़े तीन दिन बाद ही मथुरा लौटते हैं। यही पर द्वारकाधीश अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और यहाँ इस दौरान भव्य मेला लगता है जिसे लीआ मेला कहा जाता है जिसमें भगवा न श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ीं अनेक लीलाओं का मंचन भी किया जाता है। यह मेला कार्तिक मास में  दीपावली की पड़वा के दिन से मुरैना गांव में पांच दिवसीय  लीला-मेला का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा परम्परागत खेल जैसे घुड दौड,ऊँट दौड, लोकगीत गायन और वादन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।  मुरैना जिले और समूचे अंचल में दाऊजी मंदिर के प्रति अगाध  श्रृद्धा है यही कारण है कि यहां लोग अपने बच्चे और बच्चियों के शादी  सम्बध तक तय करते है लोगों  की मान्यता है कि यहा संबंध तय होते है तो दाम्पत्य जीवन निर्विवाद और सुखमय व्यतीत होता है।





इस बार अशोक स्वामी के नाती होंगे भगवान के प्रतिबिंब 





मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर के महंत श्रीनिवास स्वामी बताते हैं कि मुरैना गांव में तकरीबन 300 साल से भगवान मेहमानी करने आ रहे हैं। चूंकि लम्बे रसे बाद ऐसा मौका आया है कि दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण पड़ा है, इसलिए भगवान एक दिन लेट मेहमानी करने गांव में आएंगे। परंपरा के अनुसार भगवान के आगमन से 15 से 20 दिन के अंदर गांव के स्वामी परिवार में एक बच्चा जन्म लेता है, जिसे भगवान का बाल स्वरूप माना जाता है। इस बार गांव के अशोक स्वामी के नाती का जन्म हुआ है।



Dwarkadhish reached Mathura from Morena Leela Fair started in Morena why Dwarkadhish comes from Mathura to Morena Story of Dwarkadhish coming to Morena Story of Leela Fair of Morena द्वारकाधीश मथुरा से मुरैना पहुंचे मुरैना में शुरू हुआ लीला मेला मथुरा से मुरैना क्यों आते हैं द्वारकाधीश द्वारकाधीश के मुरैना आने की कहानी मुरैना के लीला मेले की कहानी
Advertisment