भोपाल. हेल्दी स्टेट्स प्रोगेसिव इंडिया 2019-20 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश 19 बड़े राज्यों की लिस्ट में 17वें नंबर पर है। विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सीएम शिवराज से सवाल पूछा है। जीतू पटवारी ने कहा कि स्वास्थ्य के हर पैमाने पर मध्यप्रदेश में गिरावट दर्ज की जा रही है। स्वास्थ्य सूचकांक में मध्यप्रदेश फिसड्डी क्यों है, विश्व स्वास्थ्य दिवस पर मुख्यमंत्री जवाब दें।
अस्पतालों में डिलीवरी के मामले में पीछे
विधायक जीतू पटवारी ने सीएम से पूछा कि संस्थागत या अस्पतालों में डिलीवरी के मामले में प्रदेश पीछे क्यों है ? अस्पताल में डिलीवरी के मामले में मध्य प्रदेश देश में 16वें नंबर है। मध्यप्रदेश के अस्पतालों में 66.33 फीसदी प्रसव हुए हैं। इस मामले में सबसे बेहतर तेलंगाना (96.31 प्रतिशत), केरल (92.29 प्रतिशत), महाराष्ट्र (91.19 प्रतिशत) और गुजरात (86.13 प्रतिशत) हैं।
मातृ मृत्यु दर में 15वें नंबर पर मध्यप्रदेश
विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि मातृ मृत्यु दर में मध्यप्रदेश 15वें नंबर पर है। 2018-19 की रिपोर्ट से हम नीचे चले गए हैं। पिछली बार इसमें 188 पाइंट्स थे, जो घटकर अब 173 हो गए हैं। मध्यप्रदेश से बेहतर स्थिति में छत्तीसगढ़ है। उन्होंने पूछा कि नीति आयोग की हेल्थ रिपोर्ट रैंकिंग के मुताबिक 2015-16 में मध्यप्रदेश 17वें, 2017-18 में 18वें, 2018-19 में 18वें और 2019-20 में 17वें स्थान पर ही रहा है। मतलब ये है कि इस पैमाने पर भी सीएम ने झूठे दावे, झूठे वादे किए।
हेल्दी स्टेट्स प्रोगेसिव इंडिया की रिपोर्ट में पीछे
जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री से पूछा कि नीति आयोग के देश भर के सभी राज्यों के हेल्दी स्टेट्स प्रोगेसिव इंडिया 2019-20 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश 19 बड़े राज्यों की सूची में 17वें स्थान पर है। चौंकाने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट में पिछले 5 साल से मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाएं बीमार स्थिति में हैं। प्रदेश 17वें-18वें स्थान पर बना हुआ है, जबकि दूसरे राज्य लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
जीतू पटवारी का सीएम शिवराज पर निशाना
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार हर मंच पर झूठे आंकड़े, आश्वासन और वादे पेश करते रहते हैं। मध्य प्रदेश की जनता को आपके विज्ञापन और झूठे वादों की आवश्यकता नहीं है बल्कि जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। स्वास्थ्य मनुष्य का बुनियादी अधिकार है और जो सरकार यह बुनियादी अधिकार प्रदेश की जनता को नहीं दे सकती उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।