सचिन बने रहेंगे MLA: सदस्यता खत्म करने की अर्जी खारिज, विधानसभा अध्यक्ष ने दिए ये तर्क

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सचिन बने रहेंगे MLA: सदस्यता खत्म करने की अर्जी खारिज, विधानसभा अध्यक्ष ने दिए ये तर्क

भोपाल. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए खरगौन जिले की बड़वाह विधानसभा सीट से विधायक सचिन बिरला विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम (Girish gautam) ने 28 दिसंबर को बिरला (Sachin Birla mla controversy) की सदस्यता खत्म करने की याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि अब उनकी स्थिति त्रिशंकु विधायक की हो गई है। खंडवा लोकसभा के उप चुनाव (By election sachin birla join bjp) के दौरान सीएम के हाथों से अपने गले में बीजेपी का दुपट्टा डलवाने के बाद कांग्रेस (Congress) उन्हें अलविदा कर उन्हें दलबदलु करार दे चुकी है। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को खारिज कर उन्हें बीजेपी का सदस्य मानने से इनकार कर दिया है। सचिन बिरला की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की कांग्रेस की याचिका खारिज (petition dismissed on birla to end assembly membership) करने के पीछे विधानसभा अध्यक्ष ने तर्क दिया है कि विधायक और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह (Govind singh on sachin birla) की याचिका में पर्याप्त दस्तावेज नहीं है। इसके अलावा याचिका के साथ प्रस्तुत शपथ पत्र में भी गलतियां है। शिकायत में बिरला के सोशल मीडिया अकाउंट के URL और वेब एड्रेस की जानकारी भी नहीं दी गई है। न ही अखबारों की कटिंग के साथ अखबारों की पूरी जानकारी दी गई है। इस कारण मैं उनकी याचिका को रद्द करता हूं। इसी के साथ ही सचिन बिरला की सदस्यता खत्म होने का खतरा फिलहाल टल गया है।

कांग्रेस ने बिरला की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी

कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह ने 9 नवंबर को विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत भेजकर सचिन बिरला की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। इसमें सिंह ने बताया था कि कांग्रेस के निर्वाचित सदस्य सचिन बिरला ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। लेकिन वो अभी भी कांग्रेस के विधायक बने हुए हैं। इसलिए दलबदल कानून (defection law) के तहत उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाए। हालांकि याचिका में कुछ कमियां रह जाने पर गोविंद सिंह ने इसे वापस ले लिया था। बाद में फिर 24 नवंबर को सभी दस्तावेजों के साथ उन्होंने दोबारा याचिका दायर की थी। 

याचिका में सचिन बिरला के खिलाफ ये तथ्य गिनाए गए

1. साल 2018 में राजपत्र में विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की सूची प्रकाशित की गई थी। इसमें बिरला कांग्रेस के निर्वाचित सदस्य हैं। बिरला अगस्त 2021 में विधानसभा की कार्यवाही में कांग्रेस विधायक के तौर पर शामिल हुए थे।  

2. सीएम शिवराजसिंह चौहान (CM Shivraj) ने 24 अक्टूबर को खंडवा में एक सभा की थी। इस सभा में बिरला ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली थी। सीएम ने उन्हें बीजेपी का दुपट्टा पहनाया था। इसकी फोटो सभी अखबारों में छपी है। कार्यक्रम में बिरला ने कहा था कि कांग्रेस सरकार में कांग्रेस विधायकों के ही काम नहीं होते हैं। इस कारण मैंने बीजेपी में आने का फैसला किया है। उन्होंने बीजेपी का सेवक लिखकर ट्वीट भी किया था। तभी से बिरला बीजेपी की सभा, कार्यक्रम, और मीटिंग में शामिल हो रहे हैं। इसे सिद्ध करने के लिए गोविंद सिंह ने संबंधित न्यूजपेपर्स की कटिंग शिकायत के साथ भेजी थी। इसके अलावा बिरला के ट्वीट भी शिकायत में संलग्न किए गए थे। 

3. बिरला ये जानते थे कि अगर वह बीजेपी में शामिल होते हैं तो विधानसभा में उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। इसके बावजूद भी वो बीजेपी में शामिल हो गए। ये संविधान की 10वीं अनुसूची (10th Schedule of the Constitution) के कानून का उल्लंघन है। संविधान के अनुच्छेद 191(2) में ये साफ लिखा हुआ है कि ऐसा व्यक्ति राज्य की विधानसभा और विधानपरिषद के लिए अयोग्य होगा। इसलिए 10वीं अनुसूची के आधार पर इनकी सदस्यता रद्द की जाए। 

4. बिरला दलबदल कानून के दायरे में आते हैं। इसकी जांच करने के अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, तीन महीने के अंदर आप इस याचिका का निराकरण करेंगे। ऐसी हमें उम्मीद है। 

धर्मसंकट में पड़े सचिन बिरला

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने के बाद विधायक सचिन बिरला धर्मसंकट में पड़ गए हैं। बिरला के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें राजनीति (Sachin politics) में आगे का रास्ता बीजेपी के साथ तय करना है या वापस कांग्रेस की राह पकड़नी है। सूत्रों का कहना है कि अवैध कॉलोनी (illegal colony) डेवलपमेंट के मामले में सरकार ने बिरला के खिलाफ करोड़ों रुपए की रिकवरी निकाल दी थी। इससे बचने के लिए ही खंडवा लोकसभा उपचुनाव (Khandwa By election) के दौरान बिरला ने सरकार के दवाब में पाला बदल लिया था। इस मामले में विधायक सचिन बिरला से चर्चा कर उनका पक्ष जानने के लिए द सूत्र के संवाददाता ने उनके मोबाइल फोन पर कई बार कॉल किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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