MP: गायब हुए प्रदेश की 60 हजार से ज्यादा लाड़लियों के राष्ट्रीय बचत पत्र!

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Ruchi Verma
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MP: गायब हुए प्रदेश की 60 हजार से ज्यादा लाड़लियों के राष्ट्रीय बचत पत्र!

BHOPAL: सागर जिले के ब्लॉक बण्डा के ग्राम सोहनपुर निवासी धन सिंह की 12 साल की बेटी कुमारी भारती लोधी है| जब 11/2/2010 को भारती का जन्म हुआ तो पिता धन सिंह ने अपनी बेटी का पंजीयन लाड़ली लक्ष्मी योजना आंगनवाडी कार्यकर्त्ता में बड़ी ख़ुशी से कराया था| पंजीयन बिचपुरी आंगनबाडी में कराया गया था जिसकी कार्यकर्ता प्रभा अहिरवार है| 10 साल पहले जब पंजीकरण कराया था तब उनको वादा किया गया था कि जब बच्ची 6 में प्रवेश लेगी तब रु.2000 की मदद की जायेगी, कक्षा 9 वीं में प्रवेश लेने पर रु.4000 की , कक्षा 11 वीं में प्रवेश लेने पर रू.6000 तथा 12वीं कक्षा में प्रवेश लेने पर रू.6000 की मदद की जाएगी। 1 लाख रुपये का अंतिम भुगतान बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर तथा कक्षा 12 वीं परीक्षा में सम्मिलित होने पर किया जाएगा| उनकी बेटी को 2010 में पंजीकरण के वक़्त प्रमाणपत्र भी दिया गया था। पर सरकार का वो 10 साल पहले किया गया वादा था और आज का दिन है, आज तक लाड़ली भारती लोधी को 2000 रुपए की पहली सहायता राशि ही नहीं मिल पा रही है|  पिता धन सिंह सहायता राशि के लिए लगातार आंगनवाड़ी के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा। धन सिंह ने जून 2022, में 181 पर इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी....शिकायत दर्ज होने पर अधिकारियों ने आश्वासन दिया की जल्दी ही उनकी समस्या दूर कर दी जायेगी। पर आजतक ऐसा हुआ नहीं....दुबारा इन्क्वायरी करने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता नए फिर से कागज़ मांगे...जो दिए भी गए...लेकिन सब फ़िज़ूल| इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी रचना बुधौलिया का कहना है कि आप के माध्यम से मामले की जानकारी प्राप्त हुई है संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों से मामले की जानकारी लेकर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।





बंडा की भारती की ही तरह कहानी है सागर जिले के ही ब्लॉक खुरई में रहने वाली 11 वर्षीय कुमारी. दिव्या विश्वकर्मा की।  दिव्या का जन्म दिनांक. 11/11/2009 को हुआ था | आंगनबाडी कार्यकर्ता द्रोपती विस्वकर्मा के माध्यम से दिव्या  का पंजीकरण लाडली लक्ष्मी योजना के तहत 2009 में ही करवा दिया गया था| जब द सूत्र ने दिव्या के पिता देवेन्द्र विस्वकर्मा से बात की तो उनका कहना था कि अभी तक आवेदक को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है और इससे उन्हें काफी समस्या हो रही है| उन्होंने इस बात की शिकायत एक महीने पहले सी एम् हेल्पलाइन पर भी की थी| शिकायत करने के 7-8 बाद अधिकारियों का कॉल आया था और उन्हें बताया गे की आपकी समस्या का निराकरण हो चुका है| पर अभी तक दिव्या विस्वकर्मा के नाम का कोई पैसा उन्हें नहीं मिला है|





लाड़ली लक्ष्मी योजना के हितग्राहियों को पैसे न मिलने के केसेस सिर्फ सागर जिले से ही नहीं हैं। बल्कि ऐसा ही एक केस हम विदिशा जिले से भी देखने को मिला है। विदिशा की 14 वर्षीय हिना जैन कक्षा नौवीं में पढ़ती है। अभी तक हिना को भी योजना का कोई लाभ नहीं मिला। पिता रत्नेश जैन का कहना है कि हिना का जन्म वर्ष 2007 में हुआ था| और इसी वर्ष में हिना का रजिस्ट्रेशन आंगनबाड़ी के माध्यम से लाड़ली लक्ष्मी योजना में करवाया गया था| इन्हें आज तक योजना के तहत दिया जाने वाला सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है।





भारती, दिव्या और हिना के मामले उन कुछ मामलों में से हैं जिनमें से कुछ के पास तो प्रमाण पत्र है तो कुछ के पास नहीं। लेकिन इन तीनों को योजना का लाभ नहीं मिला उसकी वजह एक सामान है और वह ये कि   -   इनके नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट ही या तो गुम हो गए है या नष्ट हो गए है। इन तीनों लाड़लियों की ही तरह कई और हज़ारों हितग्राही ऐसे हैं जो नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट गुम या नष्ट हो जाने की वजह से अपनी-अपनी किस्तों के लिए आंगनवाड़ी व विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। 





नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट गुम /नष्ट होने के वजह से नहीं मिल पा रही राशि





दरअसल, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता वाली लाड़ली लक्ष्मी योजना लाड़ली लक्ष्मी योजना में महकमे की ओर से जमकर लापरवाही की जा रही है। योजना में गंभीर वित्तीय अनियमिततताएँ उजागर हुईं हैं। यह टिपण्णी द सूत्र नहीं बल्कि खुद राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग के कागज़ कर रहें हैं। दरअसल, योजना के अंतर्गत वर्ष 2007 से 2014 तक 8 सालों में जारी किये गए करीब 61 हज़ार 338 राष्ट्रीय बचत पत्र गायब/गुम दर्ज़ किये गए हैं। प्रदेश के 32 जिलों में ऐसे प्रकरण सामने आए हैं। अब महिला एवं बाल विकास विभाग  इन गुम हुए NSCs की डुप्लीकेट प्रतियां निकलवाने की तैयारी में है। पता हो कि वर्ष 2007 से 2014 तक मध्य प्रदेश में 17 लाख से भी ज्यादा लाड़ली लक्ष्मी रजिस्ट्रेशन हुए थे। और बात की जाए अब तक योजना का लाभ पाने वाली प्रदेश की कुल बालिकाओं की तो अब तक 39.81 लाख बालिकाओं को मिल योजना का लाभ मिलना बताया गया है। पर अब इस सारी गड़बड़ी से करीब हज़ारों हितग्राहियों को '36 करोड़ रुपए' से ज्यादा की राशि मिलने में देरी हो सकती है।





इन NSCs का मतलब क्या है?







  • दरअसल, लड़कियों के जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच पैदा करने, लिंग अनुपात में सुधार, लड़कियों में शैक्षणिक स्तर और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने तथा उनके अच्छे भविष्य की नींव रखने के मकसद से राज्य में  दिनाँक 1 अप्रेल, 2007 से लाड़ली लक्ष्मी योजना बड़े जोर-शोर से शुरू की गई थी। योजना में पंजीकृत और स्वीकृत लड़कियों के नाम से शासन रूपये 1,18,000/- का प्रमाण पत्र जारी करता है।



  • लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत, मध्य प्रदेश सरकार पांच साल तक प्रति पंजीकृत लाड़ली के लिए प्रत्येक वर्ष 6,000 रुपये का राष्ट्रीय बचत पत्र खरीदती है। समय-समय पर इन राष्ट्रीय बचत पत्रों का नवीनीकरण किया जाता है। NSC की खरीद लगातार पाँच वर्षो तक जारी रहती है जब तक की कुल राशि 30,000 तक नहीं पहुँच जाती। इसके बाद 30,000 रुपए की कुल राशि  बालिका के नाम से योजना निधि में जमा कर दिए जाते हैं।


  • तत्पश्चात, बालिका के कक्षा 6 में प्रवेश लेने पर रु.2000, कक्षा 9 वीं में प्रवेश लेने पर रु.4000, कक्षा 11 वीं में प्रवेश लेने पर रू.6000 तथा 12वीं कक्षा में प्रवेश लेने पर रू.6000 ई-पेमेंट के माध्यम से किया जाता है। 1 लाख रुपये का अंतिम भुगतान बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर तथा कक्षा 12 वीं परीक्षा में सम्मिलित होने पर किया जाता है, इस शर्त के साथ कि बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु के पूर्व न हुआ हो।






  • क्या है पूरा मामला







    • वर्ष 2007 से वर्ष 2014 तक पंजीकृत बालिकाओं के पक्ष में डाकघरों के माध्यम से राष्ट्रीय बचत पत्र जारी करवाए गए थे। वर्ष 2014-15 से योजना को रीविजिट किया गया। तब से वर्ष 2007 से वर्ष 2014 तक....8 सालों में जारी किये गए इन NSCs को मैच्योर होने के उपरांत डाकघरों में दिया जाता है। और प्राप्त राशि को जिला स्तर से योजना निधि में जमा करवाया जाता है। जो बाद में हितग्राहियों को तय समय पर दी जाती है।



  • पर जो जानकारी मिली है उसके अनुसार मध्य प्रदेश के 32 जिलों से करीब 62 हज़ार NSCs (61,338) घुम गए हैं। जानकारी मिलने पर मध्य प्रदेश महिला एवं बाल विकास के संचालक रामराव भोंसले ने राज्य के 24 जिलों के जिला  कार्यक्रम अधिकारियों को लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत गुम/नष्ट हुए NSCs के सम्बन्ध में एक पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने अधिकारियों को कहा है कि गुम/नष्ट हुए NSCs की डुप्लीकेट प्रति डाकघरों से  शीघ्र प्राप्त की जाए और हितग्राहियों को भुगतान किया जाए। साथ ही ये साड़ी जानकारी पोर्टल पर अपडेट की जाए।


  • पत्र की कॉपी मध्य प्रदेश के सभी संभागों के संभागायुक्त को सभी संबंधित जिलों के कलेक्टरों को, मध्य प्रदेश परिमंडल के मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल को, महिला एवं बाल विकास विभाग के  सभी संभागों के संभागीय संयुक्त संचालक को भी दी गई है।






  • कितनी राशि का फर्क पड़ता है इन NSCs के न मिलने से





    आपको बतादें कि वर्ष 2007 से 2014 तक मध्य प्रदेश में कुल 17,26,516 लाड़ली लक्ष्मी हितग्राही दर्ज़ हुईं हैं। प्रति NSC की वैल्यू 6000 रुपए की होती है और 61338 NSCs गुम हुई हैं। इस हिसाब से करीब 36,80,28,000 की राशि मिलने में देरी हो सकती है। वर्ष 2007 से 2014 तक मध्य प्रदेश में दर्ज़ हुए लाड़ली लक्ष्मी हितग्राही:  वर्ष 2007-08 में 40854 हितग्राही दर्ज़ हुए, वर्ष 2008-09 में186803 हितग्राही दर्ज़ हुए, वर्ष 2009-10 में 213874 हितग्राही दर्ज़ हुए, वर्ष 2010-11 में 305228 हितग्राही दर्ज़ हुए, वर्ष 2011-12 में 380260 हितग्राही दर्ज़ हुए, वर्ष 2012-13 में 318912 हितग्राही दर्ज़ हुए,  वर्ष 2013-14 में 280585 हितग्राही दर्ज़ हुए।





    इन जिलों में मिली गड़बड़ी





    ये गड़बड़ी कुल 32 जिलों में पाई गई है। सबसे ज्यादा बचत पत्र सागर (7819), टीकमगढ़ (7165), रीवा (4800), सतना (3979), उमरिया (3962),बैतूल (3540) और निवाड़ी (3069) से गुम हुए हैं। और इन 24 जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारीयों को यह पत्र लिखा गया है: सागर, टीकमगढ़, रीवा, मंदसौर, उमरिया, बैतूल, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, खरगौन, सतना, डिंडोरी, इंदौर, रतलाम, खंडवा, धार, विदिशा, बालाघाट, हरदा, गुना, झाबुआ, बड़वानी, पन्ना, मुरैना, कटनी, रायसेन, होशंगाबाद, उज्जैन, देवास, ग्वालियर, बुरहानपुर, आगर-मालवा





    5,506 हितग्राहियों को राशि ना मिलने की शिकायतें हैं





    लाड़ली लक्ष्मी योजना में ये गड़बड़ियाँ तब हो रहीं हैं जबकि पहले ही योजना के तहत राज्य भर के 52 जिलों से करीब 5,506 हितग्राहियों को राशि ना मिलने की अथवा मिलने में दिक्कतों की शिकायतें हैं: रीवा: 332, सागर: 276, भिंड: 267, शिवपुरी: 216, विदिशा: 194, छिंदवाड़ा: 178, भोपाल: 178, छत्तरपुर: 167, ग्वालियर: 163, मुरैना: 159, दमोह: 157, सीधी:157, इंदौर: 153, सतना: 152, उज्जैन: 149, नरसिंहपुर: 129, राजगढ़: 126, टीकमगढ़: 124, अशोकनगर: 123, शहडोल:113, सिंगरौली: 106, कटनी: 102, जबलपुर: 100, देवास: 100, सिवनी:92, रतलाम:90, बैतूल:88, पन्ना:80, गुना:79, रायसेन: 77, खरगोन: 74, धार: 71, नर्मदापुरम: 71, डिंडौरी: 66, खंडवा: 65, मंदसौर: 65, सीहोर: 65, उमरिया: 60, नीमच: 59, शाजापुर:58, आगर मालवा:56, अनुपपुर:54, दतिया: 51, बालाघाट: 46, निवाड़ी: 43, हरदा: 41, मंडला: 39, बुरहानपुर: 28, बड़वानी: 24, झाबुआ: 21, श्योपुर: 21, अलीराजपुर: 1





    महिला एवं बाल विकास विभाग नहीं दे रहा कोई जवाब





    अब सवाल ये है कि 62 हजार सेविंग सर्टिफिकेट गुम हुए है या फिर इस पैसे की अफरातफरी हो चुकी है। साफ़ है कि शिवराज मामा प्रदेशभर की लाड़लियों को खुश करने के लिए वादे तो बड़े-बड़े कर देतें हैं। पर असलियत में लाडली लक्ष्मी योजना अब अर्थ खोने लगी है। जिस सोच और जोश के साथ इसे शुरू किया गया था वह कहीं ही नज़र नहीं आता। ‘लाडली’ को लखपति बनाना भले ही मुख्यमंत्री के लिए महत्वाकांक्षी योजना हो, लेकिन विभाग द्वारा की जा रही ये वित्तीय लापरवाहियां ऐसा होने ही नहीं दे रहीं। करीब 15 साल पहले शुरू की गई योजना की हालत आज यह है कि बच्चियों को समय पर किस्त मिली ही नहीं मिल पा रही है।





    ऐसा नहीं है कि सरकार की यह लाड़ली लक्ष्मी योजना पहली बार मुश्किल में पड़ी हो.....इसके पहले भी कइयों बार इसको पलीता लग चुका है:







    • साल 2014: वर्ष 2014 में जुलाई में महालेखा परीह्नक एवं नियंत्रक (कैग) ने लाडली लक्ष्मी योजना की खामियों को उजागर करते हुए टिप्पणी की थी इन्हें समय रहते दूर नहीं किया गया तो आगे चलकर गंभीर अनियमितताएं होंगी। कैग के मुताबिक महिला और बाल विकास विभाग ने योजना का लाभ देने से पहले पात्रता का परीक्षण ठीक से नहीं किया था और ऐसी कई लड़कियों को योजना में शामिल कर लिया जो जीवित ही नहीं थी। वर्ष 2014 में ही योजना का संचालन करने वाले डाक विभाग ने योजना की जटिलता से परेशान होकर राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) उपलब्ध कराने से ही हाथ खड़े कर दिए थे। विभाग ने 2013 में ही सरकार को साफ कर दिया था कि उसके पास योजना को संचालित करने के लिए साधन नहीं हैं। विभाग ने योजना का हिसाब-किताब रखने में भी असमर्थता जाहिर की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने अन्य वित्तीय संस्थाओं से संपर्क किया था, लेकिन एनएससी के बराबर धनराशि देने को कोई तैयार नहीं हुई थी।



  • साल 2018: मार्च 2018 में कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह ने लाडली लक्ष्मी योजना पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार के खजाने में पैसा ही नहीं है।


  • साल 2018: सूत्रों के मुताबिक अगस्त 2018 में लाड़ली लक्ष्मी योजना की वेबसाइट पर पंजीयन की जांच में गड़बड़ी पकड़ में आई थी। पंजीयनकर्ताओं ने एक ही नंबर पर दो बालिकाओं का पंजीयन कर दिया। ऐसे में दोनों में से किसी एक बालिका को योजना का लाभ नहीं मिल सकता था।  प्रदेश के 18 जिलों में ऐसे 78 प्रकरण सामने आए थे। मामला सामने आने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के आयुक्त डॉ. अशोक भार्गव ने जिला कार्यक्रम अधिकारियों को सभी मामलों में तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। कार्यवाही के बाद इनमें से एक बालिका का प्रमाण पत्र निरस्त कर दोबारा जारी करने की तैयारी की गई थी।


  • साल 2020: मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के मुरार तहसील के बेरजा गांव में लाड़ली लक्ष्मी योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ। यहां लाड़ली लक्ष्मी योजना में लाभार्थियों का नाम जुड़वाने के लिए 6 -6 हजार रुपए की रिश्वत ली गई। उसके बाद भी कई लाभार्थियों के नाम लाड़ली लक्ष्मी योजना में नहीं जोड़ा गया। ग्रामीणों का आरोप था कि यहां आशा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने में लोगों से 6-6 हजार रुपए लिए उसके बाद भी योजना में नाम नहीं जुड़वाया।


  • साल 2021: अगस्त 2021 में सीएम शिवराज के ड्रीम प्रोजेक्ट लाड़ली लक्ष्मी योजना में सरकारी रिकॉर्ड से 9 लाख लाड़ली गायब बताई गईं थी। 2007 से 2021 तक समय-समय पर रजिस्टर्ड बालिकाओं में से करीब 15 लाख बच्चियां 6वीं,9वी,11वीं और 12वीं अध्ययनरत लाड़लियों को छात्रवृत्ति मिलना चाहिए थी। लेकिन विभाग केवल 6 लाख बच्चियों को ही योजना का लाभ दे रहा था। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन लाड़लियों को ढूंढने के लिए आंगनबाड़ी और स्कूल के रिकॉर्ड भी खंगाले, लेकिन जानकारी नहीं मिल सकी।






  • इनपुट्स:





    अविनाश नामदेव (विदिशा)



    रमन अग्रवाल (बंडा)



    मध्य प्रदेश Madhya Pradesh Shivraj Singh Chauhan डब्ल्यूसीडी मंत्रालय मध्य प्रदेश महिला सशक्तिकरण मध्य प्रदेश लाड़ली लक्ष्मी योजना शिवराज सिंह चौहान सरकारी योजनाएं WOMEN EMPOWERMENT MP Ministry of WCD Madhya Pradesh LADLI LAXMI YOJANA