BHOPAL. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों तक न्याय पहुंचाने के लिए साल 2014 में CM हेल्पलाइन (181) योजना शुरु की थी। योजना इस मकसद से शुरू की गईं थी कि आमजन की समस्या घर बैठे हल हो सके और उन्हें सरकारी कार्यालयों और बाबुओं के चक्कर न काटने पड़ें। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी की वजह से और कई बार आवेदन देने के बाद भी शिकायतों का समाधान न मिलने से लोगों का इस योजना से भरोसा उठने लगा है। और सीएम हैल्पलाइन खुद लाचार होकर रह गई है। हेल्पलाइन में दर्ज की गईं शिकायतों के निराकरण की समयसीमा वैसे तो 7 से 30 दिन तक की हैं....पर यहाँ तो दर्ज की गईं तीन लाख से भी ज्यादा समस्याएं सालों-साल पड़ी ही हुई हैं। वहीँ कई विभाग और जिले समस्या के निराकरण के मामले में काफी पीछे यानी C और D ग्रेड में बने हुए हैं। पहले तो अधिकारी लेवल 1 से लेकर लेवल 4 तक की समयावधि में सीएम हेल्प लाइन की शिकायतों का निराकरण महीनों तक करते ही नहीं हैं....और फिर कई बार कार्रवाई से बचने के लिए अधिकारी बिजली, पानी, पुलिस, स्वास्थ्य और साफ़-सफाई जैसी बेसिक शिकायतों का भी निराकरण या तो बस कागजों में करवा देते हैं या फिर शिकायतों को फ़ोर्स क्लोज करवा देते हैं। देखिये द सूत्र की CM हेल्पलाइन की हालात बयान करती हुई ये स्पेशल रिपोर्ट...
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जन सेवा अभियान जोर-शोर से जारी है। इस दौरान MP के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह पर शिविर लगा कर... केंद्र और राज्य की योजनाओं के पात्र हितग्राही खोजे जा रहे हैं। और अगर इनसे किसी भी तरह की शिकायत आती हैं तो उनके फीडबैक के आधार पर CM जिम्मेदार अधिकारियों पर सीधे एक्शन भी ले रहे हैं। हाल ही में श्योपुर जिले के फूड ऑफिसर यानी DSO को राशन वितरण से जुड़ी गलत जानकारी देने पर सस्पेंड तक कर दिया। अच्छी बात है कि CM को सरकार द्वारा चलाई गईं योजनाओं की सार्थकता की इतनी चिंता है। पर कहते हैं न... हर सिक्के के दो पहलू होते हैं...कुछ ऐसा ही यहाँ पर भी हैं। एक तरफ CM का अपनी योजनाओं के लागू न होने पर अधिकारियों के प्रति सख्त रवैया....वहीँ दूसरी तरफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में में ही साल 2014 शुरू की गईं महत्वकांक्षी सीएम हेल्पलाइन योजना के पस्त हालात। हेल्पलाइन में दर्ज लाखों शिकायतों के प्रति अधिकारियों की अनदेखी के चलते और समाधान न होने से सालों-साल इनके पेंडिंग रहने से ये सेवा शिकायतकर्ताओं के लिए नाकाम साबित हो रही है। आलम यह है कि आवेदक एक ही समस्या लेकर बार-बार शिकायत कर रहे हैं, जबकि उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। उदाहरण के लिए बड़वानी, शिवपुरी और विदिशा के ये मामले ही ले लीजिये:
बड़वानी
मोहम्मद फैज़ुद्दीन हाशमी ने जिला सांख्यिकी कार्यालय के सम्बन्ध में बड़वानी कलेक्टर को साल 2018 में जनसुनवाई में शिकायती पत्र दिया था...शिकायत थी कि जनभागीदारी-2000 के अंतर्गत बड़वानी जिले में साल 2018-2019 में जो काम हुए हैं, उसमें अनियमितताएं की गईं थी। यही नहीं खुद कलेक्टर कार्यालय में बिना प्रशासकीय स्वीकृति के जन भागीदारी योजना के अंतर्गत काम सम्पादित करवाएं गए हैं और नियमों का उलंघन सरेआम हुआ हैं...जिला अधिकारी सरिता भूरिया ने संचालनालय में लेटर तक लिखा हैं कि कलेक्टर के दबाव में बिना प्रशासकीय स्वीकृति के ये काम करवाना पड़ा। मोहम्मद फैज़ुद्दीन हाशमी की इस शिकायत को बड़वानी कलेक्टर ने खुद CM हेल्पलाइन में आगे बढ़ा दिया था....लेकिन वो 2018 का साल था और आज 2022 है...इन पांच सालों में आज तक शिकायतकर्ता को समस्या का कोई निवारण नहीं मिल पाया है। समस्या का हल न मिलता देख मोहम्मद फैज़ुद्दीन हाशमी अब हाई कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
शिवपुरी
इंदरगढ़ के रहने वाले हरिओम शर्मा का तो किस्सा ही अजीब हैं...हरिओम शर्मा और उनके भाई बांके बिहारी का नाम संबल योजना के लिए चल रहा था...लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा था... जिसके बाद उन्होंने 181 यानी कम हेल्पलाइन पर शिकायत की...पर उनको अपनी समस्या का कोई लाभ नहीं मिला....नतीजा तो नहीं निकला पर इस दौरान उनके भाई बांके बिहारी की मौत हो गई। हद तब हो गईं जब जनपद के कर्मचारी और बाबुओं ने हरिओम शर्मा को भी मृत घोषित कर दिया और उनके नाम पर चार लाख रुपये की शासकीय राशि निकाल लिए.... सदमे की वजह से पहले तो वो अस्पताल में भर्ती हुआ और बाद में अपनी फरियाद लेकर जनसुनवाई में पहुंचा जहां....यहाँ से उसे समाधान के लिए उन्ही जनपद के अधिकारियों के पास भेज दिया गया, जिन्होंने उसे मृत घोषित किया था।
विदिशा
विदिशा जिले के ग्राम सनोटि के मुंशीलाल और सुनीताबाई की भी यही कहानी हैं...दोनों के जमीन-विवाद से जुड़े मामले हैं....और दोनों ने ही CM हेल्पलाइन में कई बार शिकायतें की हैं... पर हमेशा की तरह इनकी भी कोई सुनवाई नहीं हुई हैं।
फैज़ुद्दीन हाशमी, मुंशीलाल और सुनीताबाई...ये तो बाद कुछ दो-तीन मामले ही हमने आपको दिखाए हैं....इनकी तरह करीब 3 लाख 50 हज़ार कम्प्लेंट्स ऐसी हैं जो CM हेल्पलाइन पर पेंडिंग पड़ी हुई हैं...यानी करीब साढ़े 3 लाख लोग ऐसे हैं जिनको आज भी अपनी समस्या के निराकरण का इंतज़ार हैं। वहीँ जिन 28 विभागों में शिकायतें दर्ज हैं, उनमें से 14 विभाग समस्या के निराकरण के मामले में सबसे पीछे यानी C और D ग्रेड में बने हुए हैं। साथ ही 52 जिलों में से 10 जिले भी C और D ग्रेड में हैं। आइये अब आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि CM हेल्पलाइन सेवा की ये हेल्पलेस कंडीशन आखिर क्यों बनी हुई है....
साल 2015 से अबतक का हाल: 7 सालों से 3,50,569 कम्प्लेंट्स पेंडिंग; ऊर्जा, गृह, राजस्व विभाग प्रमुख
- CM हेल्पलाइन में साल 2015 से अब तक यानी सितम्बर, 2022 तक कुल 3 लाख 50 हज़ार 5 सौ 69 कम्प्लेंट्स पेंडिंग हैं।
पिछले एक साल का पोस्टमार्टम: 2 लाख कम्प्लेंट्स फोर्स्ड क्लोज की गईं; 37 हज़ार पेंडिंग; रीवा, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर शिकायतों में सबसे ऊपर
1/जनवरी/2022 से 18/सितम्बर/2022 तक के नौ महीनों में कुल 26 लाख 5 हज़ार 3 सौ 13 कम्प्लेंट्स हुईं हैं...इन 2654313 कम्प्लेंट्स का लेवल और स्टेटस इस प्रकार है
- L1: 1621574 - 61.09%
कम्प्लेंट्स का स्टेटस
- क्लोज्ड: 2027947- 78.55%
जिलावार कपालिन्ट्स की संख्या
रीवा: 139899, भोपाल: 129956, ग्वालियर: 129663, इंदौर:128551, सतना:101358, सागर:92917, जबलपुर: 92538, शिवपुरी: 91849, छत्तरपुर:74918, भिंड: 74642, मुरैना:73995, विदिशा:68187, राजगढ़:66463, उज्जैन:60179, कटनी:58139, गुना:55274, दामोश: 53319, छिंदवाड़ा:51999, सिवनी:51483, सिंगरौली:51455, सीधी:49254, टीकमगढ़:47515, सीहोर:47474, शहडोल:47245, नर्मदापुरम:46978, रायसेन:44701, देवास:42629, पन्ना:42451, खरगौन:40911, बालाघाट: 39830, बैतूल:38375, नरसिंगपुर:37664, खंडवा:37544, अशोकनगर:36824, दतिया:36228, रतलाम:35885, मंदसौर:33938, शाजापुर:31608, धार:31299, अनूपपुर:30346, उमरिया:26342, श्योपुर:26141, मंडला:21613, निवाड़ी:21445, हरदा:21246, डिंडोरी:21217, नीमच:19260, आगर मालवा:16785, बुरहानपुर:12513, बड़वानी:11903, झाबुआ:7743, अलीराजपुर:2620
हेल्पलाइन में शिकायतों के टॉप टेन कारण
- बिजली या वोल्टेज ना आने की शिकायतें - ऊर्जा विभाग: 251944
सितम्बर में सबसे ज्यादा शिकायतों वाले विभाग निराकारण में भी पिछड़े
- गृह विभाग: 30709 (C ग्रेड)
विभागीय मंत्री का दावा कि शिकायतों को प्राथमिकता से दूर किया जा रहा
हालांकि इस विभाग के मंत्री अरविंद भदौरिया का कहना है कि सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों को प्राथमिकता से दूर किया जाता है। अब मंत्रीजी किस आधार पर दावा कर रहे हैं ये तो नहीं पता अगर शिकायतों का सही समय पर निराकरण किया जाता है तो फिर जनअभियान शिविर में जो शिकायतें मिल रही है वो शायद नहीं मिलती।
7 से 30 दिन मेंएक शिकायत का समाधान मिल जाना चाहिए
सीएम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज़ होने के बाद निवारण सात से तीस दिन में होना चाहिए... 181 यानि सीएम हेल्पलाइन पर कोई शिकायत दर्ज कराने के बाद वह L-1 अफसर लेवल पर पहुंचती है। इस लेवल पर सात दिन में शिकायत का निराकरण होना चाहिए। यहां शिकायत का निराकरण न हाेने पर वह स्वत: ही L-2 अफसर लेवल पर पहुंच जाती है। यहां कलेक्टर को सुनवाई करना होती है। यहां भी शिकायत निवारण के लिए सात दिन का समय रहता है। इसके बाद शिकायत अपने आप L-3 लेवल पर पहुंच जाती है। यहां शिकायत संबंधित विभाग के प्रमुख द्वारा सुनी जाती है। यहां अधिकारी को विशेषाधिकार भी होता है वह चाहे तो स्वत: शिकायत को समाप्त भी कर सकता है। इसके उपरांत शिकायत L-4 लेवल पर पहुंच जाती है। यहां शिकायत को प्रदेश स्तर के अधिकारी यानि संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव सुनते हैं। यहां भी अधिकारी को शिकायत निरस्त करने के लिए विशेषाधिकार दिए गए हैं।
वैसे तो सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए खुद मुख्यमंत्री ने कई बार लिए अधिकारियों को कई बार निर्देशित भी किया है। मीटिंग्स करके इसका रिव्यु किया भी जाता है। कई बार शिवराज सिंह चौहान ने कई अधिकारीयों को लापरवाही बरतने पर निलंबित भी किया हैं। लेकिन जो हालात हैं उन्हें देखकर तो ये साफ़ होता हैं कि शिवराज के इस CM हेल्पलाइनको खुद ही हेल्प की जरुरत हैं....और अधिकारियों को तत्परता से काम करने की जरुरत हैं बजाय शिकायतों को पेंडिंग रखने या फिर जबरन क्लोज करने की।
शिवपुरी इनपुट: मनोज भार्गव