भोपाल से राहुल शर्मा/भिंड से मनोज जैन। आपने हाल ही में जरूर पढ़ा-सुना होगा कि प्रदेश सरकार अगले साल भोपाल (Bhopal) में खेलो इंडिया यूथ गेम्स (khelo india uouth games) के बड़े आयोजन के लिए वर्ल्ड क्लास स्टेडियम (world class stadium) बनवाने जा रही है। इसके लिए उसने खेल विभाग (sports department) को भोपाल के पास बरखेड़ा नाथू में 50 एकड़ जमीन और 176 करोड़ रुपए की राशि भी मंजूर कर दी है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि प्रदेश में कुछ साल पहले ग्रामीण क्षेत्र में खेल सुविधाओं के विस्तार के नाम पर करीब 50 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए 100 स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। हाल यह है कि पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान (PYKKA) के तहत हर ब्लॉक में बनाए स्टेडियम खेलों के बजाय पालतू जानवर बांधने के काम आ रहे हैं। कुछ पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। आइए, आपको बताते हैं कि ग्रामीण अंचल से खेल प्रतिभाएं तलाशने और तराशने के लिए टैक्सपेयर (tax payer) की मेहनत की कमाई से खड़े किए गए स्टेडियम जिम्मेदार विभागों की बेपरवाही के चलते किस तरह बदहाल हो रहे हैं।
जानिए, क्यों शुरू की गई पायका योजना : केंद्र सरकार ने साल 2008-09 में पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान (पायका) Panchayat Yuva Krida Aur Khel Abhiyan (PYKKA) शुरू की थी। हालांकि 2014 में इसका नाम बदलकर राजीव गांधी खेल अभियान (RGKA) कर दिया गया। योजना का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं की खेल में रुचि बढ़ाने के साथ ही देश व प्रदेश स्तर पर ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारना था। खेल विभाग ने हर ब्लॉक स्तर पर स्टेडियम निर्माण के लिए सरकार से पांच से सात एकड़ जमीन आवंटित कराई। योजना के तहत एक खेल मैदान के विकास के लिए 80 लाख रुपए का बजट तय किया गया था।
टैक्स पेयर के पैसों से बने स्टेडियम का नहीं कोई जिम्मेदार : ग्रामीण अंचल में स्टेडियम बनाने की निर्माण एजेंसी रूरल इंजीनियरिंग सर्विस (RES) थी। आरईएस ने जब इन स्टेडियम को खेल विभाग के सुपुर्द करना चाहा तो स्टेडियम की सुरक्षा के लिए चौकीदार, कोच के पद स्वीकृति नहीं होने का हवाला देते हुए खेल विभाग ने इन्हें लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद आरईएस ने इन्हें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (panchayat, gramin vikas vibhag) के सुपुर्द कर दिए। पंचायत विभाग अब इनकी देख-रेख नहीं कर पा रहा। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में बने ये स्टेडियम कहीं खंडहर में तब्दील हो रहे हैं या पशुओं के चारागाह बन गए हैं। कई स्टेडियम तो शराबियों का अड्डा बनकर रह गए हैं।
बैरसिया (भोपाल)- स्टेडियम में जानवरों के कंकाल, पत्थर और झाड़ियां : ग्रामीण अंचलों में बनाए गए स्टेडियम की बदहाली के कारणों का पता लगाने द सूत्र की टीम ने मामले की पड़ताल राजधानी भोपाल की बैरसिया तहसील की बर्री छीरखेड़ा पंचायत में बने स्टेडियम से शुरू की। 80 लाख रुपए की लागत से बने इस स्टेडियम का शिलान्यास 3 दिसंबर 2015 को स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कराया गया। लेकिन इसके बाद इसका कभी मेंटेनेंस हुआ ही नहीं। स्टेडियम में 2 कमरे हैं, दोनो में ही गंदगी का अंबार है। मैदान में पत्थर पड़े हुए हैं, झाड़ियां उग आई है। यहीं नहीं यहां जगह-जगह मरे हुए जानवरों के कंकाल तक पड़े हुए हैं। आर्मी और पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे गांव के युवा अभिषेक गुर्जर का कहना है कि स्टेडियम के मैदान में पत्थर पड़े हुए हैं। यहां दौड़ने पर कई बार पैर फिसल जाता है और चोट भी लगती है। खिलाड़ी सागर जाट बताते हैं कि साफ-सफाई और रख-रखाव के अभाव में स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो रहा है।
पंचायत अमले का जवाब, हम जिम्मेदार नहीं क्योंकि स्टेडियम हैंडओवर ही नहीं हुआ : लाखों की लागत से बने स्टेडियम की इस हालत का जिम्मेवार कौन है ? जब द सूत्र ने इस सवाल का जवाब जानने के लिए पड़ताल की तो जो सच्चाई सामने आई वह चौंकाने वाली थी। सबसे पहले पंचायत के सचिव तख्तसिंह दांगी और सहायक सचिव घनश्याम कुशवाह से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि अभी स्टेडियम पंचायत को हैंडओवर ही नहीं हुआ। इसलिए पंचायत, स्टेडियम की बदहाली के लिए जिम्मेदार नहीं है। इसके बाद द सूत्र ने निर्माण एजेंसी रूरल इंजीनियरिंग सर्विस (आरईएस) के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आरके श्रीवास्तव से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि जनपद पंचायत सीईओ को स्टेडियम हैंडओवर किया जा चुका है। हैंडओवर के दस्तावेज उनके पास उपलब्ध हैं, उस पर सीईओ के साइन भी हैं। वहीं जनपद पंचायत बैरसिया के सीईओ दिलीप जैन ने आरईएस के इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनके पास ऐसे कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
पचोखरा (भिंड)- स्टेडियम पर दबंगों का कब्जा, बनाया जानवरों का तबेला : भिंड जिले में पायका योजना से पांच स्टेडियम बनने थे। आरईएस के ईई आलोक तिवारी ने बताया कि गोहद में सिसोनिया, लाहर में पचोखरा में स्टेडियम बनकर तैयार हो चुके हैं। भिंड के खरिका में स्टेडियम बना था वह अभी भी अधूरा है जिसे पूरा करने के लिए शासन से और बजट की डिमांड की गई है। द सूत्र की टीम जब मौके पर पहुंची तो पाया कि ग्राम पंचायत पचोखरा के इस स्टेडियम के अंदर गांव के दबंगों का कब्जा है। इसमें लगाए गए सारे गेट टूट चुके हैं। पानी की टंकी चोरी हो गई है। गोहद तहसील के ग्राम सिसोनिया के स्टेडियम में स्थानीय लोगों ने जानवरों को बंद कर रखा है। पूरा स्टेडियम जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। इसका मैदान पूरी तरह से उखड़ा हुआ है।
खेल विभाग के अमले को पता ही नहीं स्टेडियम के लिए कौन जिम्मेदार : भिंड के जिला खेल अधिकारी शैलेंद्र भारती का कहना है कि मैंने कुछ दिन पहले ही चार्ज लिया है। आप ये मामला मेरी जानकारी में लाए हैं तो मैं देखूंगा कि कहां क्या कमी रह गई। वहीं जिला कोच संजय पंकज का कहना है कि अभी तक यह स्टेडियम खेल विभाग को हस्तांतरित ही नहीं हुए हैं, इसलिए इनकी जिम्मेदारी भी खेल विभाग की नहीं है। वहीं स्पोर्ट्स कोच राधे गोपाल यादव का कहना है कि यह स्टेडियम गांवों में खेल सुविधाएं विकसित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं, लेकिन यदि इनका रखरखाव ही नहीं होगा तो खिलाड़ियों को कैसे इनका लाभ मिलेगा।