Bhopal. विधानसभा चुनाव में 30 में से 24 सीटें जीतकर बीजेपी की नाक बचाने वाला विन्ध्य पुराना प्रदर्शन दोहराए या नहीं, पर कई कद्दावर चेहरे दोहराए नहीं जाएंगे। पार्टी उम्र की सीमा का पैमाना और परिवारवाद की बंदिश पर अड़ी रही तो स्पीकर गिरीश गौतम समेत 6 नेता टिकट की दौड़ से खुद ब खुद बाहर हो जाएंगे।
बीजेपी में व्यक्ति नहीं, संगठन बड़ा
चुनाव पूर्व बीजेपी संगठन मंथन से गुजर रहा है। प्रदेश के संगठन प्रभारी मुरलीधर राव संगठन और सत्ता के मठाधीशों की जमकर खबर ले रहे हैं। संकेतों में बताया कि नेताओं की गणेश परिक्रमा टिकट के लिए काम नहीं आएगी। सिंधिया समर्थकों के लिए यह साफ संकेत है कि बीजेपी में व्यक्ति नहीं, संगठन ही मूल है। सबसे ज्यादा फोकस परिवारवाद पर है। इसकी पहली प्रतिक्रिया कैलाश विजयवर्गीय ने दी। उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं, फिर भी नरेंद्र मोदी के परिवारवाद वाले बयान को ब्रह्म लकीर बताया।
उम्र की सीमा को लेकर बीजेपी नेतृत्व कितना दृढ़ है..सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमारिया, जयंत मलैया और कुसुम मेहदेले का सबक सामने है। इस पैमान पर प्रदेश के 30 से ज्यादा विधायक-मंत्री फंसने वाले हैं। हम बात करेंगे विन्ध्य के बघेलखंड की, जिसकी बदौलत आज बीजेपी सत्ता में है।
स्पीकर गौतम समेत कई टिकट कट सकते हैं
स्पीकर गिरीश गौतम की पैदाइश 1953 की है। जब चुनाव घोषित होंगे, तब वे सत्तर पार हो चुके होंगे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से आए गौतम 2003 से लगातार विधायक हैं। राजेन्द्र शुक्ल मंत्रिपरिषद में ना आने पाएं, इसलिए इनको आगे करके इस क्षेत्र के विधायकों ने लामबंदी की थी...प्रतिफल स्पीकर के पद के रूप में सामने आया।
गिरीश गौतम के रिश्तेदार 4 बार से सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ल भी अगले चुनाव में सत्तर की दहलीज पर होंगे। नागेंद्र सिंह (गुढ़) और नागेन्द्र सिंह (नागौद) दोनों ही 75 पार हैं और टिकट की आशा छोड़ चुके हैं। कांग्रेस से बीजेपी में आए मंत्री बिसाहूलाल सिंह आज की तारीख में ही 73 के हो चुके हैं। अधिकारियों/कर्मचारियों को जब कभी भी गाली देकर सुर्खियां बटोरने वाले श्यामलाल द्विवेदी 71 साल के हो चुके हैं। इस पीढ़ी के शेष बचे नेताओं में शंकरलाल तिवारी ही इकलौते होंगे, जिन्हें टिकट के लायक माना जा सकता है। वे चुनाव के समय वे 68 के होंगे।
...तो कई घरानों की राजनीति डूब जाएगी
मोदी से लेकर मुरलीधर राव तक सभी राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ बात कर रहे हैं। यदि इस पैमाने पर कायम रहे आए तो गोपाल भार्गव समेत कई घरानों की राजनीति डूब जाएगी। विन्ध्य की बात करें तो यहां ऐसे कमोबेश सभी नेताओं के बेटे विवादों की सुर्खियों में हैं।
- हाल ही सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल के बेटे गुरुदत्त शरण ने। सीधी में पत्रकारों और रंगकर्मियों की नंगीपरेड के पीछे उन्हीं का नाम आता है। गुरुदत्त उर्फ मालिक टिकट के दावेदार हैं।