Bhopal. केंद्र और प्रदेश के पेंशनर्स, सबके लिए महंगाई में कोई फर्क नहीं, लेकिन दोनों की महंगाई राहत (डियरनेस रिलीफ- DR) में खासा अंतर है। राज्य के 4 लाख 75 हजार पेंशनर्स को 17% डीआर मिल रही है, जबकि केंद्र के पेंशनर्स को 34%। यानी हर महीने मिलने वाली पेंशन में 1200 से 17000 रुपए तक का नुकसान हो रहा है। मप्र में बुजुर्गों की न्यूनतम पेंशन 7750 रुपए और अधिकतम 1 लाख 10 हजार रुपए तक है।
दरअसल, पेंशनर्स के मामले में शिवराज सरकार ने छत्तीसगढ़ को लिखे पत्र में डीआर 14% बढ़ाने को लेकर मार्च में सहमति मांगी थी, जिस पर इनकार कर दिया गया। इसके बाद दोबारा छत्तीसगढ़ को डीआर बढ़ाने के बारे में सहमति देने के लिए अपर मुख्य सचिव (वित्त) मनोज गोविल की ओर से लेटर लिखा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
इसलिए अटकते हैं पेंशनर्स के डीआर के मामले
साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना। कर्मचारियों का बंटवारा 74 और 26% के हिसाब से हुआ। ये तय हुआ कि जिस दिन से छत्तीसगढ़ बना, उसके पहले के पेंशन के मामलों में 74% राशि मप्र और 26% छग मिलाएगा। इसी के चलते 21 सालों से पेंशनर्स के महंगाई राहत के मामले छह महीने से एक साल तक लटकते रहे हैं। यानी बढ़ी हुई महंगाई राहत का फायदा 6 महीने बाद ही मिलता है।
कर्मचारियों के डीए और पेंशनर्स की डीआर में 14% अंतर
मध्य प्रदेश में 6 लाख 90 हजार कर्मचारियों को 31% महंगाई भत्ता (डीए) मिल रहा है, जबकि 4 लाख 75 हजार पेंशनर्स को 17% महंगाई राहत (डीआर) मिल रही है। इस तरह यह पहला मौका है, जब कर्मचारियों के डीए और पेंशनर्स की महंगाई राहत के बीच इतना अंतर है।
कानून की एक धारा बनी परेशानी
मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 पेंशनर्स के महंगाई राहत बढ़ाए जाने में आड़े आ रही है। केंद्रीय गृह विभाग द्वारा जारी इस अधिनियम के तहत दोनों राज्यों की सरकार यह कहती आई हैं कि जब तक दोनों राज्य पेंशनर्स की महंगाई राहत बढ़ाने पर सहमत नहीं होते तब तक बढ़ी हुई महंगाई राहत नहीं दी जाएगी।
दोनों राज्यों के बीच महंगाई राहत बढ़ाए जाने के मामलों में असहमति के बाद राज्य के पेंशनर्स ने केंद्र सरकार के अपील की थी कि डीआर के बारे में स्थिति साफ की जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 नवंबर 2017 को दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखकर कहा कि पेंशनर्स की महंगाई राहत बढ़ाने के लिए दोनों राज्य फैसला ले सकते हैं, इसके बावजूद राज्यों ने कोई फैसला नहीं लिया।