Bhopal. रायसेन किले में बने सोमेश्वर महादेव मंदिर में पूजा को लेकर पिछले महीने काफी सियासत हुई। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसके लिए मोर्चा खोल दिया था। मध्य प्रदेश के 61 मंदिरों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का पहरा है। यहां आज भी पूजा-पाठ की अनुमति नहीं है। इनमें 23 तो अकेले खजुराहो में हैं।
ये ऐसे मंदिर हैं, जो अपने स्थापत्य और पुरातात्विक महत्व के कारण राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं, लेकिन इनमें से तीन मंदिरों ( दो हिंदू व एक जैन) में ही पूजा कर सकते हैं। बाकी में सब कुछ प्रतिबंधित है। बड़ी बात ये है कि इन 60 मंदिरों में से ज्यादातर में विराजमान प्रतिमाएं या तो खंडित हैं, गायब हैं या सलाखों में कैद हैं। जबकि करीब 1500 साल पुराने ये मंदिर आज भी बेजोड़ स्थापत्य कला, प्राचीन भारत के वैभव और इतिहास के स्वर्णिम पलों को संजोए हुए हैं।
प्रदेश के 11 जिलों इन मंदिरों में नहीं होती पूजा
- कटनी- वराह करीतलाई (करनपुर), विष्णु वराह मंदिर (बिलहरी), सोमनाथ मंदिर (बरगांव), मढादेवरी गांव में कियान नदी किनारे स्थित मंदिर, ननवारा शिव मंदिर।
एक कानून, दो संशोधन
ब्रिटिश सरकार ने 118 साल पहले द एन्शिएंट मॉन्यूमेंट प्रिजर्वेशन एक्ट-1904 बनाया था। इसी कानून के तहत प्राचीन स्थल, किले, महल, मंदिर, मकबरों को उनके स्थापत्य और पुरातात्विक महत्व के कारण राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया।
1949 में इस कानून में संशोधन किए गए, लेकिन करीब-करीब मूल कानून आज भी वैसा ही है, जैसा अंग्रेजों ने बनाया था। इसके बाद 1958 में इन राष्ट्रीय स्मारकों की सुरक्षा और रखरखाव से जुड़ा नया कानून बनाया गया, जिसमें 2010 में संशोधन कर उन्हें अतिक्रमण से मुक्त करने का नया प्रावधान जोड़ा गया।
ASI के पास MP के 115 मंदिर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में मध्य प्रदेश के 290 स्मारक हैं, जिनमें 115 मंदिर हैं। इन मंदिरों में से 105 टेंपल सर्वे प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। इनमें से 54 मंदिरों और 7 मकबरे व मस्जिद को लिविंग मॉन्यूमेंट की कैटेगरी में रखा गया है।