अंकुश मौर्य, भोपाल । मध्य प्रदेश (MP) के नर्सिंग कॉलेजों (Nursing College) में पढ़ने वाले करीब 80 हजार स्टूडेंट (Nursing Student) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते दो साल से ये सभी स्टूडेंट एक ही क्लास में हैं। वजह यह है कि मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (MP Medical Science University) नर्सिंग कालेजों की एफिलिएशन प्रोसेस नहीं होने के कारण पिछले दो साल से परीक्षाएं ही नहीं करा पा रही। हालत यह है कि 2019 में फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट 2021 में भी इसी क्लास में हैं। सेकंड, थर्ड और फोर्थ ईयर के स्टूडेंट्स का भी यही हाल है। जबकि कोरोना काल में परीक्षाएं नहीं हो पाने के कारण इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) ने अंतिम वर्ष के छात्रों को छोड़कर शेष सभी छात्रों को इंटरनल असेसमेंट के आधार पर जनरल प्रमोशन (General Promotion) देने के निर्देश जुलाई 2020 में ही जारी कर दिए थे। छात्रों द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद अब यूनिवर्सिटी प्रशासन दो साल की परीक्षाएं दीवाली के बाद महज एक महीने के अंतर से एक साथ कराने की तैयारी में है। पीड़ित स्टूडेंट का आरोप है कि दो साल की परीक्षाओं के लिए बेहद कम समय देकर यूनिवर्सिटी प्रशासन उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।
INC का सर्कुलर नहीं मानती मेडिकल यूनिवर्सिटी
कोरोना काल में परीक्षाएं न हो पाने की वजह से इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएऩसी) ने 10 जुलाई 2020 को एक सर्कुलर जारी किया था। सर्कुलर में स्पष्ट तौर पर निर्देश था कि अंतिम वर्ष (Last Year) के नर्सिंग स्टूडेंट्स को छोड़कर सभी छात्रों को इंटरनल परीक्षा के आधार पर जनरल प्रमोशन दे दिया जाए। लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं हुआ। जबकि राजस्थान, बिहार, तेलंगाना समेत कई राज्यों ने स्टूडेंट्स को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने फंसाया पेंच!
आईएनसी का सर्कुलर जारी होने के पांच महीने बाद 18 दिसंबर 2020 को मेडिकल यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन दिए जाने का फैसला लिया । परीक्षा नियंत्रक ने बकायदा नोटिस जारी कर कहा था कि लास्ट ईयर को छोड़कर अन्य स्टूडेंट्स को सत्र 2020-21 हेतु अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा । लेकिन अचानक ही यह फैसला बदल दिया गया। 26 दिसंबर 2020 को यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक ने दूसरा नोटिस जारी करते हुए सूचित किया कि 18 दिसंबर को लिए गए फैसले का क्रियान्वयन चिकित्सा शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देश (Direction) और अनुमोदन (Approval) मिलने पर लिया जाएगा। 14 जनवरी 2021 को परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर के साथ नया नोटिस जारी कर दिया गया। जिसमें सूचित किया गया कि 18 दिसंबर 2020 को लिया गया फैसला निरस्त किया जाता है। यानि नर्सिंग स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा।
हताश छात्रों की हर दरवाजे दस्तक, पर कोई सुनवाई नहीं
आईएनसी के सर्कुलर के बाद 7 महीने तक जनरल प्रमोशन की उम्मीद लगाए बैठे छात्रों को मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर से हताशा ही हाथ लगी। जिसके बाद नर्सिंग स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के कुलपति से लेकर सीएम तक अपनी बात पहुंचाई लेकिन हासिल कुछ भी नहीं हुआ। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा दिया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पेंच फंसाया है। लिहाजा स्टूडेंट्स ने कई बार भोपाल पहुंचकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री (Medical Education Minister) विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) से मुलाकात की लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। स्टूडेंट्स लंबे समय आंदोलन भी कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
सरकार की ढिलाई से निजी कॉलेजों की चांदी
प्रदेश में 173 नर्सिंग कॉलेज हैं। इनमें से ज्यादातर कॉलेज प्राइवेट हैं। इन कॉलेजों की फीस सालाना 80 हजार रुपए तक है। बता दें कि नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स निम्न मध्यम वर्ग से आते है। ऐसे में वो एजुकेशन लोन लेकर पढ़ाई करते हैं। ऐसे छात्रों का एक ही सपना होता है कि जल्द उनकी डिग्री पूरी हो तो नौकरी करें और अपना एजुकेशन लोन चुकाएं।
लेकिन सरकार और विवि के ढीले रवैये की वजह से अब समय पर उनकी डिग्री ही पूरी नहीं हो पा रही है। दूसरी तरफ जनरल प्रमोशन न देकर विभाग ने छात्रों को फंसा दिया है। उन्हें डर है कि यदि एक साथ दो शिक्षण सत्र की परीक्षाएं ली गईं तो वे फेल हो जाएंगे। ऐसे में उन्हें दोबारा उसी कक्षा में पढ़ना पड़ेगा और फीस भी डूब जाएगी। इस खेल में सबसे बड़ा फायदा निजी नर्सिंग कॉलेजों का है। क्योंकि परीक्षाएं भले ही नहीं हो रही, लेकिन कॉलेज प्रबंधन स्टूडेंट्स से हर साल फीस की वसूल रहा है।
ऑडियो वायरलः मंत्री सारंग नहीं चाहते छात्रों को मिले जनरल प्रमोशन
परेशान छात्र-छात्राएं बार-बार विश्वविद्यालय के अधिकारियों को फोन लगाते हैं। उनसे पूछते है कि परीक्षा कब होगी। लेकिन यूनिवर्सिटी के अधिकारी समाधान करने की बजाए उन्हें अजीबो-गरीब सलाह देते हैं। एक स्टूडेंट ने एक अधिकारी से हुई बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया था। उसका ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
ऑडियो में विवि के अधिकारी छात्र को भोपाल जाकर आंदोलन करने की सलाह दे रहे हैं । साथ ही वे यह बोलने से भी नहीं चूकते कि विभागीय मंत्री विश्वास सारंग नहीं चाहते कि छात्रों को जनरल प्रमोशन दिया जाए। हालांकि द सूत्र इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता। लेकिन नर्सिंग स्टूडेंट जयप्रकाश शेंडे बताते हैं कि उन्हीं की तरह परेशान एक छात्र ने यूनिवर्सिटी के अधिकारी को फोन लगाया था। वहां अधिकारी ऐसे ही जवाब देते हैं।
सियासी रोटियां सेंकते हैं छात्र संगठन
80 हजार नर्सिंग स्टूडेंट्स परेशान हैं, और छात्र हित की बात करने वाले संगठन उनका साथ नहीं दे रहे। स्टूडेंट् अनिकेत पटेल बताते हैं कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) और नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) दोनों ही राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम कर रहे हैं। दिखावे के लिए शुरुआत में साथ खड़े हुए, फिर विद्यार्थियों को अपने हाल पर छोड़ दिया।
परीक्षा के सवाल पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने साधी चुप्पी!
द सूत्र ने नर्सिंग छात्रों की लंबित परीक्षाओं के मुद्दे पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से बात करने की कोशिश की। उनसे पूछा कि नर्सिंग स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन क्यों नहीं दिया जा रहा है, परीक्षाएं क्यों नहीं हो रही है ? दो साल से स्टूडेंट्स परेशान हैं ? लेकिन मंत्री विश्वास सारंग ने इन सवालों के कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।
एक साथ होगी दो साल की परीक्षाः प्रभारी कुलपति
मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलपति एवं जबलपुर संभाग के कमिश्नर वी. चंद्रशेखर का कहना है कि नर्सिंग कॉलेजों के एफिलिएशन की प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से परीक्षा में देरी हुई है। कोरोना आपदा की वजह से यूनिवर्सिटी कालेजों का निरीक्षण नहीं कर पाई। अगले एक महीने में एफिलिएशन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
2019-20 की परीक्षा नवंबर तक आयोजित कराई जा सकती हैं। 2020-21 की परीक्षा दिसंबर में आयोजित की जाएंगी। फाइनल ईयर का रिजल्ट भी इस महीने के लास्ट में जारी कर दिया जाएगा। जनरल प्रमोशन से संबंधित इंडियन नर्सिंग काउंसिल का कोई सर्कुलर नहीं मिला था। नर्सिंग के स्टूडेंट्स को बिना पढ़ाई और प्रैक्टिकल के सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता। लिहाजा उन्हें जनरल प्रमोशन देना सही नहीं है।