Bhopal. मध्य प्रदेश की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) अनुराधा शंकर सिंह ने एक बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि पुलिस सिस्टम में एक्सप्लॉइटेशन (शोषण) होता है। आज से 6-7 साल पहले मंत्रालय भवन में महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं थे। इतने साल बाद भी ज्यादा कुछ नहीं बदला। कुछ दिन पहले मैं वल्लभ भवन गई, तो देखा कि 2019 में बने नए भवन में मुख्यमंत्री कार्यालय के पास महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। क्या महिलाओं को टॉयलेट इस्तेमाल का अधिकार नहीं है? दरअसल, अधिकार तो हमें कभी मिले ही नहीं। हम बस ड्यूटी निभाते आ रहे हैं।
मैंने स्वर्ग नहीं देखा
ADG अनुराधा शंकर ने पुलिस मुख्यालय (PHQ) में गुरुवार को वर्टिकल इंटरएक्टिव वर्कशॉप 'उड़ान' में शामिल हुई थीं। इसमें एडीजी से कॉन्स्टेबल स्तर तक की 100 से ज्यादा महिला अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थीं। अनुराधा ने कहा कि हम अधिकार की बात करते हैं, कर्तव्य की नहीं। हम कर्तव्य ही करते आ रहे हैं, हजारों साल से। हमें अधिकार मिले ही नहीं। अधिकार की बात शुरू ही नहीं की। संसार में अगर सभी जगह की पुलिस आदर्श है, तो संसार को स्वर्ग हो जाना चाहिए, लेकिन मैंने कहीं स्वर्ग नहीं देखा। रेप होते हैं, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होता है। ऐसे में महिलाओं को ये नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें अधिकार मिल गए हैं।
महिलाओं की पोस्टिंग पॉलिसी नहीं बनी
अनुराधा के मुताबिक, कनाडा की सबसे पहली पुलिस अफसर मेरी मित्र हैं। वे महिला पुलिस अफसरों के लिए सशक्तिकरण की ट्रेनिंग देती हैं। उन्होंने मुझे बताया कि जब पहली बार वो पुलिस में आईं तो कैसे कनाडा में लोगों ने उन्हें मना किया। उन्होंने कहा कि हमारी लड़कियां जबर्दस्त कमिटमेंट के साथ काम कर रही हैं। महिलाओं की पदस्थापना (पोस्टिंग) के लिए आज तक नीति नहीं बनी।
फ्रंट पर मोर्चा संभालने में महिलाएं सक्षम
ADG ने कहा कि किसी भी नीति का निर्धारण लोएस्ट कॉमन डिनॉमिनेटर (सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति) को ध्यान में रखकर करना चाहिए। यानी कॉन्स्टेबल से लेकर दरोगा के बीच आने वाले हर रैंक को ध्यान में रखकर नीति बनाई जाए। धार में दंगे हुए थे। इस दौरान दो महिला टीआई ने फ्रंट पर रहकर व्यवस्था संभाली। उनका जीवन परिचय बनाकर मैंने पुलिस ट्रेनिंग सेंटर्स पर भेजा, लेकिन उसका एक भी रिएक्शन नहीं आया कि हमें उनसे प्रेरणा मिली।
महिलाओं के लिए पुलिस सेवा चैलेंजिंग
कार्यक्रम की चीफ गेस्ट रिटायर्ड स्पेशल डीजी अरुणा मोहन राव ने कहा कि महिलाओं के लिए पुलिस में सेवा चुनौतीपूर्ण है, लेकिन खुद को साबित करने का मौका भी है। पारंपरिक सोच और पारिवारिक वातावरण के चलते कई बार कुछ चुनौतियां सामने आती हैं, लेकिन दृढ़ निश्चय और कुछ अच्छा करने की चाहत मनोबल को मजबूत करती है।
पुलिस केयरिंग भी चेहरा बने
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नंदितेष निलय ने कहा कि महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि उन्हें परिवार का ध्यान रखते हुए नौकरी भी करनी होती है। जरूरी है कि परिवार के लोग उनके प्रति संवेदनशील रहें। उनको समझना चाहिए कि महिलाएं किन कठिन परिस्थतियों में लगातार काम कर रही हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य है कि पुलिस सिर्फ एक फोर्स के रूप में काम ना करें, बल्कि कम्युनिटी सर्विस और केयरिंग भी उसका चेहरा बने।