भ्रष्टाचारियों पर CM का डंडाः उपचुनाव से पहले सस्ती लोकप्रियता या अच्छा प्रशासन?

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भ्रष्टाचारियों पर CM का डंडाः उपचुनाव से पहले सस्ती लोकप्रियता या अच्छा प्रशासन?

सुनील शुक्ला। प्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने तेवर अचानक कड़े दिए हैं। उन्होंने हाल ही में सतना के रैगांव और निवाड़ी के पृथ्वीपुर में जनदर्शन कार्यक्रम में जनता से बात करते हुए कहा कि डंडा लेकर निकला हूं, भ्रष्ट अधिकारियों को नहीं छोड़ूंगा। इसके बाद उन्होंने मंच से ही सीएमओ, सब इंजीनियर और एक तहसीलदार को सस्पेंड करने का ऐलान कर जमकर तालियां बटोरीं।

अवैध खनन की कई शिकायतें अब भी पेंडिंग

बहुत अच्छी बात है अब हमारे मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ आर-पार के मू़ड में हैं। इसके लिए उन्होंने डंडा भी उठा लिया है और अब वे भ्रष्टाचार करने वालों को जेल भेजकर ही चैन लेंगे। सही है भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी ही बेचैनी होनी चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री जी क्या आपको पता है कि आपकी सीधी निगरानी वाली सीएम हेल्पलाइन पर पेंडिंग शिकायतों का अंबार लगा है और आपके खास प्रभाव वाले विदिशा जिले में जंगल की जमीन पर अवैध खनन के दर्ज मामलों में सालों बाद भी कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ आपके हालिया दावों पर बड़ा सवाल जरूर खड़ा होता है। 

3 लाख से ज्यादा समाधान के इंतजार में

सरकार और प्रदेश की 8 करोड़ जनता के बीच सिर्फ एक फोन कॉल के फासले का दावा करने वाली सीएम हेल्पलाइन की हकीकत जानते हैं। शिवराज सरकार की बहुप्रचारित हेल्पलाइन पर नागरिकों की 3 लाख 201 जनशिकायतें अभी समाधान की लाइन में हैं। यानी प्रदेश के करीब 3 लाख नागरिक अपनी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री की निगरानी वाली हेल्पलाइन पर करने के बाद भी निराकरण के लिए इंतजार कर रहे हैं। इनमें से सैकड़ों भ्रष्टाचार से जुड़ी हैं। हैरानी की बात यह है कि सीएम हेल्पलाइन पर पेंडिंग शिकायतों के टॉप 10 जिलों में राजधानी भोपाल के अलावा इंदौर और जबलपुर जैसे संभागीय मुख्यालय भी शामिल हैं।

CM हेल्पलाइन में कहां लंबित हैं शिकायतें?  

सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों के निराकरण की 4 स्तरीय व्यवस्था (L1, L2, L3 एवं L4) में सबसे ज्यादा शिकायतें एल-1 यानी प्रशासन के सबसे निचले स्तर पर और शिकायतें एल-4 यानी सबसे ऊंचे स्तर पर  लंबित हैं। यदि संख्या के हिसाब से देखें तो कुल पेंडिंग शिकायतों में से 1 लाख 26 हजार 232 शिकायतें एल-1 के लेवल पर और 1 लाख 7 हजार 185 शिकायतें एल-4 लेवल पर पेंडिंग हैं। जबकि एल-2 लेवल पर 29 हजार 360 शिकायतें और एल-3 लेवल पर 37 हजार 424 शिकायतें पेंडिंग हैं। क्या सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों का यह अंबार प्रदेश में सुशासन के लिए जिलों में कलेक्टर, संभाग में कमिश्नर से लेकर राजधानी में बैठने वाले एचओडी (HOD), सेक्रेटरी और चीफ सेक्रेटरी के फौलादी ढांचे में ढली नौकरशाही में ढिलाई की जंग लगने का नतीजा नहीं हैं। 

CM के असर वाले विदिशा में हाल बेहाल

आइए अब मुख्यमंत्री शिवराज के खास प्रभाव वाले जिले विदिशा चलते हैं। कहा जाता है कि इस जिले में मुख्यमंत्री के इशारे के बिना पत्ता भी नहीं खटकता। यहां वन विभाग के मैदानी अफसरों ने जंगल में घुसकर रेत और पत्थरों का अवैध खनन करने वाले आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद साल बाद भी कोर्ट में चार्जशीट (Charge Sheet) दाखिल ना कर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के सरकारी दावों को पलीता लगाने कीर्तिमान रच दिया है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद सरकार के वन विभाग का एक पत्र बोल रहा है। द सूत्र को मिला अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वर्क प्लान) भोपाल का यह पत्र इसी साल 8 जुलाई का है। इस लेटर में विदिशा जिले का हवाला देते वन मुख्यालय को लिखा गया है कि गंजबासौदा के वन परिक्षेत्र में 2008 से 2018 के बीच दर्ज किए गए अवैध उत्खनन के 258 मामलों में एक भी आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। दूसरे शब्दों में कहें तो इनमें से एक भी केस में कोर्ट में चार्जशीट पेश नहीं की गई।

कहीं केस दर्ज, कहीं कार्रवाई जारी

  • गंजबासौदा फॉरेस्ट रेंज में 2008- 2018 के बीच अवैध खनन के 258 केस दर्ज किए गए। 

  • 243 मामलों में आरोपियों से 15 लाख 21 हजार 899 रु. जुर्माना वसूलकर ये सभी केस खत्म कर दिए गए। जबकि नियमानुसार इन सभी मामलों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की जानी थी और फैसला भी वहीं से होना था।   
  • 2014-15 के 15 मामलों का अभी भी निराकरण किया जाना बाकी है। इनमें से 12 मामलों के दस्तावेज तो गंजबासौदा की भिलाय चौकी प्रभारी ने गुमा दिए। 2 केस में अभी जांच चल रही है। अन्य एक मामले में भी राजसात करने की कार्रवाई अभी भी चल ही रही है।
  • भोपाल अंचल के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वर्क प्लान)  एचयू खान के हस्ताक्षर से जारी पत्र में लिखा गया है कि अवैध उत्खनन के गंभीर मामलों में भी 10 साल में सरकार के हित को ध्यान में रखते हुए कोई कार्रवाई नहीं की गई।  
  • हमने आपको बताया, फैसला आप पर

    विदिशा का मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कथनी और करनी के अंतर का जीता जागता सबूत है। सवाल खड़ा होता है कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ शिवराज का डंडा अभी प्रदेश के सिर्फ उन्हीं इलाकों में घुमाया जा रहा है, जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने हैं। द सूत्र इसका फैसला जनता पर छोड़ता है कि अब वो ही तय करे कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को मंच पर तलब कर सस्पेंड करने के चलन को सुशासन का प्रतीक माना जाए या सस्ती लोकप्रियता।

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