हरीश दिवेकर। राजधानी भोपाल में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से सरकारी हलकों, नेताओं, अफसरों में जबर्दस्त गहमागहमी है। हर महकमा, प्रशासन सक्रियता दिखाने की जुगत में है। इन सबके बीच चर्चाओं, खबरों का बाजार भी गर्म है। चर्चाएं भी ऐसी कि किसी बात का सुराग भी मिल जाए और किसी को कुछ पता भी ना चले। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा कुछ ज्यादा ही सक्रिय हैं, क्या किसी किसी के लिए खतरा बन रहे हैं? कहते हैं ना कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते, एक नेताजी का इश्किया अंदाज लाख छिपाने के बावजूद दिख ही गया...। इस बार बोल हरि बोल में ऐसी कई खबरें पढ़ने को मिलेंगी, बस चुपके से अंदर चले आइए...
किसके लिए खतरा बन रहे VD?
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा किसके लिए खतरा बन रहे हैं? आखिर उनके खिलाफ कौन साजिश रच रहा है? सियासी गलियारों में इसे लेकर खासी खुसफुसाहट है। पिछले 6 महीने में जिस तरह से वीडी सक्रिय होकर हर जिले को नाप रहे हैं। इसके बाद बीजेपी कार्यकर्ता आपस में बात करने लगे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद यदि कोई सक्रिय नेता है तो वो वीडी भाई हैं। क्या पार्टी में तेजी से बढ़ता कद ही उनका दुश्मन बन रहा है। ये सारा धुआं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय की तरफ से किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों के कारण उठ रहा है। हाल ही में दिग्गी राजा ने वीडी के खिलाफ लोकायुक्त में 2000 से ज्यादा दस्तावेजों के साथ शिकायत की। अंदरखाने की माने तो पार्टी के बड़े नेता के इशारे पर ये सारे दस्तावेज दिल्ली हाईकमान को भी भेजे गए हैं, इनमें क्या सच्चाई है ये तो वक्त बताएगा। बड़ा सवाल ये है कि वीडी की मूर्ति खंडित करवाने में किस राजनेता का हाथ है।
नेताजी की कार ने खोला इंदौर प्रेम का राज
हाल ही में संगठन मंत्री के पद से हटाए गए एक नेताजी के चाल-चलन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। दरअसल, नेताजी का इंदौर दौरा कुछ ज्यादा ही लग रहा है। उनकी कार अक्सर इंदौर की एक विवादित आश्रम संचालिका के यहां कई बार देखी गई। नेताजी का आश्रम संचालिका के पास जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके इंदौर प्रेम के किस्से अब संगठन पदाधिकारियों तक भी पहुंच रहे हैं। हम आपकी सुविधा के लिए बता दें कि नेताजी का संगठन में खासा रसूख है। संगठन मंत्री के पद से हटने के बाद अब वो निगम मंडल में घुसने की जुगत में हैं।
प्रदेश के सबसे अमीर शख्स के समधी की नीलामी!
एक बड़े उद्योगपति (Businessman), जिन्हें हाल ही में प्रदेश के सबसे अमीर होने का तमगा मिला, उनके समधी की नीलामी होने वाली है। दरअसल, उद्योगपति के समधी को रियल एस्टेट के कारोबार में बड़ा नुकसान हुआ, जिसके चलते वे तय समय तक बैंक का कर्ज भी नहीं चुका पाए। हाल ही में बैंक ने उनकी प्रॉपर्टी की नीलामी का विज्ञापन (Advertise) जारी कर दिया। सूत्रों की मानें तो उद्योगपति ने अपने समधी की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था, लेकिन समधी ठहरे ठाकुर साहब तो उन्होंने बिटिया की ससुराल से मदद लेने से इनकार कर दिया।
प्रमोटियों ने मारी बाजी, RR को बचाने में जुटे आला अफसर
उपचुनाव में कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी की जीत के बाद प्रमोटी अफसरों में खुशी का माहौल है। दरअसल, प्रमोटी आईएएस (IAS) के जिलों में हुए उपचुनाव जोबट और पृथ्वीपुर में बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा दी। वहीं, RR यानी सीधी भर्ती के IAS के जिले में हुए उपचुनाव रैगांव में बीजेपी (BJP) के गढ़ में कांग्रेस ने जीत हासिल की। ऐसे में प्रमोटी अब ये बात उठा रहे हैं कि वे RR से बेहतर काम करते हैं। उधर, मंत्रालय में बैठे आला अफसर आरआर की कुर्सी बचाने के लिए उसका बचाव कर रहे हैं। इनका कहना है कि सांसद जी के कारण बीजेपी हारी।
कलेक्टरों को CM के आगे चुप रहना भारी पड़ा
मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस (VC) में सभी कलेक्टर्स से पूछा आपके जिले में यूरिया तो पर्याप्त मात्रा में हैं ना, कहीं कोई कमी तो नहीं। इस पर किसी कलेक्टर ने कुछ नहीं बोला। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपकी चुप्पी का मतलब ये माना जाए कि कहीं कोई यूरिया का संकट नहीं है। यदि ऐसा है तो अब आपके जिले में यूरिया संकट की खबरें छपीं तो समझ लेना। मैं किसी को छोड़ूंगा नहीं। मुख्यमंत्री की इस हिदायत के बाद से कलेक्टर्स की नींद उड़ी हुई है। कलेक्टर एक दूसरे को फोन लगाकर कह रहे हैं कि सीएम के आगे चुप रहना भारी पड़ गया। कुछ अफसरों ने वीसी के तत्काल बाद कृषि विभाग के आला अफसरों को फोन लगाकर कहा कि उनके जिलों में यूरिया का भारी संकट है, लेकिन मुख्यमंत्री नाराज न हो जाएं, इसलिए नहीं बोला। कलेक्टरों की चिंता ये है कि यदि अब यूरिया संकट से बवाल खड़ा होता है, बेवजह वे मुख्यमंत्री की वक्रदृष्टि का शिकार हो सकते हैं।
कलेक्टरों के छूट रहे पसीने
राजधानी में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने की तैयारियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में होने वाले इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए सरकार ने 37 जिलों के कलेक्टर्स को ढाई लाख आदिवासियों को लाने का टारगेट दिया है। इसके लिए बाकायदा सरकारी खजाने से पैसा भी दिया गया है। उधर, जय युवा आदिवासी संगठन (जयस- JYAS) ने भी इसी दिन स्थानीय स्तर पर अलग-अलग आदिवासी सम्मेलन की घोषणा कर दी। ऐसे में कलेक्टर्स के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है कि वे किस तरह से आदिवासियों को भोपाल भेंजे।